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Hockey: विश्व विजेता हॉकी टीम की विजयगाथा 50वें वर्ष में पहुंची, सभी धर्मों के अनुयायियों ने दिया आशीर्वाद
अमर उजाला ब्यूरो, नई दिल्ली।
Published by: स्वप्निल शशांक
Updated Sat, 16 Mar 2024 10:28 AM IST
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सार
शुक्रवार को भी जब टीम को सम्मानित किया गया तो हिंदू, सिख, ईसाई, मुस्लिम, बौद्ध धर्म के अनुयायियों ने उन्हें आशीर्वाद दिया।

भारतीय टीम
- फोटो : Social Media
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विस्तार
भारतीय हॉकी टीम के विश्व चैंपियन बनने की विजयगाथा शुक्रवार को 50वें वर्ष में पहुंच गई। 15 मार्च, 1975 को अजीत पाल सिंह की कप्तानी में भारत ने पाकिस्तान को 2-1 से हराकर एकमात्र बार ऑर्थर वॉकर ट्रॉफी जीती थी। इस जीत के 49 वर्ष पूरे होने पर अल्पसंख्यक आयोग के चेयरमैन इकबाल सिंह लालपुरा और विदेश राज्य मंत्री मीनाक्षी लेखी की ओर से विश्व विजेता टीम का शुक्रवार को अनोखा सम्मान किया गया।
15 मार्च को फाइनल से पहले भारतीय टीम ने क्वालालंपुर मंदिर, मस्जिद, गुरुद्वारा और चर्च जाकर आशीर्वाद लिया था। शुक्रवार को भी जब टीम को सम्मानित किया गया तो हिंदू, सिख, ईसाई, मुस्लिम, बौद्ध धर्म के अनुयायियों ने उन्हें आशीर्वाद दिया।
सम्मान समारोह में भारतीय टीम के नौ सदस्य अशोक दीवान, असलम शेर खान, अजीत पाल सिंह, ओंकार सिंह, वीजे फिलिप्स, अशोक कुमार, एचजेएस चिमनी, बीपी गोविंदा, हरचरण सिंह शामिल हुए। अशोक कुमार ने याद किया कि किस तरह टीम के सदस्य फाइनल से पहले मंदिर, मस्जिद, गुरुद्वारा और चर्च गए थे।
जीत के 49 वर्ष होने पर ठीक उसी तरह सभी धर्मों के अनुयायियों से टीम को आशीर्वाद दिलाना बेहद खास है। अशोक कुमार के मुताबिक पाकिस्तान ने पहले गोल कर बढ़त हासिल कर ली थी। सुरजीत सिंह ने दूसरे हाफ में बराबरी दिलाई और उनके गोल की बदौलत टीम को 2-1 की बढ़त मिली। बढ़त के बाद मैच के अंतिम 16 मिनट में गोल नहीं खाना सबसे बड़ी चुनौती थी। पूरी टीम ने प्रण कर लिया था, बस गोल नहीं होने देना है। इसमें गोलकीपर अशोक दीवान ने अहम भूमिका निभाई थी।

15 मार्च को फाइनल से पहले भारतीय टीम ने क्वालालंपुर मंदिर, मस्जिद, गुरुद्वारा और चर्च जाकर आशीर्वाद लिया था। शुक्रवार को भी जब टीम को सम्मानित किया गया तो हिंदू, सिख, ईसाई, मुस्लिम, बौद्ध धर्म के अनुयायियों ने उन्हें आशीर्वाद दिया।
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सम्मान समारोह में भारतीय टीम के नौ सदस्य अशोक दीवान, असलम शेर खान, अजीत पाल सिंह, ओंकार सिंह, वीजे फिलिप्स, अशोक कुमार, एचजेएस चिमनी, बीपी गोविंदा, हरचरण सिंह शामिल हुए। अशोक कुमार ने याद किया कि किस तरह टीम के सदस्य फाइनल से पहले मंदिर, मस्जिद, गुरुद्वारा और चर्च गए थे।
जीत के 49 वर्ष होने पर ठीक उसी तरह सभी धर्मों के अनुयायियों से टीम को आशीर्वाद दिलाना बेहद खास है। अशोक कुमार के मुताबिक पाकिस्तान ने पहले गोल कर बढ़त हासिल कर ली थी। सुरजीत सिंह ने दूसरे हाफ में बराबरी दिलाई और उनके गोल की बदौलत टीम को 2-1 की बढ़त मिली। बढ़त के बाद मैच के अंतिम 16 मिनट में गोल नहीं खाना सबसे बड़ी चुनौती थी। पूरी टीम ने प्रण कर लिया था, बस गोल नहीं होने देना है। इसमें गोलकीपर अशोक दीवान ने अहम भूमिका निभाई थी।