{"_id":"686f24796531101c8500f533","slug":"john-gwite-created-history-by-winning-the-poland-race-in-less-than-ten-days-news-in-hindi-2025-07-10","type":"story","status":"publish","title_hn":"John Gwite: दस दिन से पहले पोलैंड रेस फतह कर जॉन ग्वाइट ने रचा इतिहास, बनाया भारत का नया साइकिलिंग रिकॉर्ड","category":{"title":"Sports","title_hn":"खेल","slug":"sports"}}
John Gwite: दस दिन से पहले पोलैंड रेस फतह कर जॉन ग्वाइट ने रचा इतिहास, बनाया भारत का नया साइकिलिंग रिकॉर्ड
स्पोर्ट्स डेस्क, अमर उजाला
Published by: शुभम कुमार
Updated Thu, 10 Jul 2025 07:55 AM IST
विज्ञापन
सार
भारत के अल्ट्रा-एंड्योरेंस साइकिलिस्ट जॉन ग्वाइट ने 3,600 किलोमीटर लंबी रेस अराउंड पोलैंड बिना किसी मदद के अकेले 9 दिन 21 घंटे में पूरी कर नया राष्ट्रीय कीर्तिमान स्थापित किया। उन्होंने 274 घंटे के पुराने रिकॉर्ड को तोड़ा और 31,000 मीटर ऊंचाई वाले चुनौतीपूर्ण रास्तों को पार किया।

भारत के अल्ट्रा-एंड्योरेंस साइकिलिस्ट जॉन ग्वाइट
- फोटो : अमर उजाला प्रिंट / इंस्टाग्राम@john.gwite

विस्तार
भारत के अल्ट्रा-एंड्योरेंस साइकिलिस्ट जॉन ग्वाइट ने इतिहास रचते हुए दुनिया की सबसे चुनौतीपूर्ण साइकिलिंग स्पर्धाओं में से एक रेस अराउंड पोलैंड (आरएपी) को 10 दिनों से भी कम समय में पूरा कर नया राष्ट्रीय कीर्तिमान रच डाला। ग्वाइट ने कई बाधाओं को पार करते हुए 3,600 किलोमीटर की दूरी 237 घंटे में पूरी की। उन्होंने इसके लिए कुल नौ दिन और 21 घंटे का समय लिया है। ग्वाइट ने रेस पूरी करके 274 घंटे के पिछले भारतीय रिकॉर्ड को तोड़ा। वह 10 दिन से कम में इस रेस को पूरा करने वाले देश के पहले साइकिलिस्ट हैं।
बिना सहायता के पूरी की रेस
ग्वाइट ने अन्य प्रतिभागियों की तरह अकेले और बिना किसी सहायता के प्रतिस्पर्धा की। रेस के दौरान साइकिलिस्टों को कोई टीम कार या कोई बाहरी सहायता नहीं दी गई थी। यह रेस इस वजह से भी कठिन हैं, क्योंकि रेस में दुर्गम रास्तों से गुजरते हुए 31 हजार मीटर की ऊंचाई तक जाना होता है। यह रेस एक अन्य कठिन साइकिलिंग स्पर्धा रेस अक्रॉस अमेरिका के लिए एक क्वालिफायर इवेंट भी है।
ये भी पढ़ें:- Sports News: रणजी हीरो गुरविंद्र टोली अपनी जमा पूंजी से बना रहे क्रिकेट का ड्रीम ग्राउंड, जीवन भर की कमाई लगाई
ग्वाइट के नाम हैं कई उपलब्धियां
ग्वाइट ट्रांस हिमालयन रेस को 62 घंटे में पूरा कर चुके हैं। उन्होंने कश्मीर से कन्याकुमारी तक दूरी भी पार की है। पेरिस से ब्रेस्ट और पेरिस की 1229 किलोमीटर की दूरी को उन्होंने 59 घंटे 29 मिनट में पूरा किया। आरएपी ने हमारी शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक, हर क्षमता की परीक्षा ली। यह ऐसा अवसर था, जहां साबित करना था कि एक भारतीय विश्व स्तर पर कंधे से कंधा मिलाकर खड़ा हो सकता है। -जॉन ग्वाइट
ये भी पढ़ें:- Kabaddi: प्रो कबड्डी लीग के 12वें चरण का 29 अगस्त से होगा आगाज, हरियाणा स्टीलर्स करना चाहेगी खिताब का बचाव
विज्ञापन
Trending Videos
बिना सहायता के पूरी की रेस
ग्वाइट ने अन्य प्रतिभागियों की तरह अकेले और बिना किसी सहायता के प्रतिस्पर्धा की। रेस के दौरान साइकिलिस्टों को कोई टीम कार या कोई बाहरी सहायता नहीं दी गई थी। यह रेस इस वजह से भी कठिन हैं, क्योंकि रेस में दुर्गम रास्तों से गुजरते हुए 31 हजार मीटर की ऊंचाई तक जाना होता है। यह रेस एक अन्य कठिन साइकिलिंग स्पर्धा रेस अक्रॉस अमेरिका के लिए एक क्वालिफायर इवेंट भी है।
विज्ञापन
विज्ञापन
ये भी पढ़ें:- Sports News: रणजी हीरो गुरविंद्र टोली अपनी जमा पूंजी से बना रहे क्रिकेट का ड्रीम ग्राउंड, जीवन भर की कमाई लगाई
ग्वाइट के नाम हैं कई उपलब्धियां
ग्वाइट ट्रांस हिमालयन रेस को 62 घंटे में पूरा कर चुके हैं। उन्होंने कश्मीर से कन्याकुमारी तक दूरी भी पार की है। पेरिस से ब्रेस्ट और पेरिस की 1229 किलोमीटर की दूरी को उन्होंने 59 घंटे 29 मिनट में पूरा किया। आरएपी ने हमारी शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक, हर क्षमता की परीक्षा ली। यह ऐसा अवसर था, जहां साबित करना था कि एक भारतीय विश्व स्तर पर कंधे से कंधा मिलाकर खड़ा हो सकता है। -जॉन ग्वाइट
ये भी पढ़ें:- Kabaddi: प्रो कबड्डी लीग के 12वें चरण का 29 अगस्त से होगा आगाज, हरियाणा स्टीलर्स करना चाहेगी खिताब का बचाव