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Paris Olympics: टोक्यो ओलंपिक 2020 में पदक से चूकने के बाद रो पड़ी थीं मनु भाकर, अब पदक जीतकर किया सपना पूरा

स्पोर्ट्स डेस्क, अमर उजाला, पेरिस Published by: स्वप्निल शशांक Updated Sun, 28 Jul 2024 05:42 PM IST
सार

मनु टोक्यो ओलिंपिक में महिलाओं की 10 मीटर एयर पिस्टल इवेंट के फाइनल में नहीं पहुंच सकीं थीं। यह बात सामने आई थी कि क्वालिफिकेशन राउंड के दौरान उनकी पिस्टल में खराबी आ गई थी। अब उन्होंने पेरिस ओलंपिक में दम दिखाया है और कांस्य पदक अपने नाम किया।

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Shooter Manu Bhaker cried after missing out on medal in Tokyo Olympics 2020, showed courage in Paris Olympics
मनु भाकर - फोटो : PTI
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विस्तार
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भारत की 22 वर्षीय युवा शूटर मनु भाकर पेरिस ओलंपिक 2024 के महिलाओं की 10 मीटर एयर पिस्टल के फाइनल में तीसरे स्थान पर रहीं और कांस्य पदक अपने नाम किया। वह ओलंपिक शूटिंग में पदक जीतने वाली पहली भारतीय महिला एथलीट भी हैं। हालांकि, उनके लिए टोक्यो ओलंपिक से इस ओलंपिक में पदक जीतने तक का सफर आसान नहीं रहा है। इस दौरान वह डिप्रेशन से गुजरीं, लेकिन उन्होंने हौसला नहीं गंवाया और जमकर मेहनत की और अब पेरिस ओलंपिक में शानदार प्रदर्शन किया है। वह क्वालिफिकेशन राउंड में तीसरे स्थान पर रहते हुए फाइनल में पहुंचीं। अब उन्होंने चीन और हंगरी की शीर्ष एथलीट को पीछे छोड़ते हुए कांस्य पदक अपने नाम किया। फाइनल में मनु भाकर ने 221.7 का स्कोर बनाया। दक्षिण कोरिया की ओह ये जिन ने स्वर्ण और किम येजी ने रजत पदक अपने नाम किया।
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टोक्यो ओलंपिक 2020 में क्या हुआ था?
मनु टोक्यो ओलिंपिक में महिलाओं की 10 मीटर एयर पिस्टल इवेंट के फाइनल में नहीं पहुंच सकीं थीं। यह बात सामने आई थी कि क्वालिफिकेशन राउंड के दौरान उनकी पिस्टल में खराबी आ गई थी। उनकी पिस्टल ने ऐन मौके पर उन्हें धोखा दिया था। मनु क्वालिफिकेशन राउंड में 575 अंक लेकर 12वें स्थान पर रहीं थीं। मनु को पिस्टल में खराबी की वजह से पांच मिनट इंतजार भी करना पड़ा था। 

मनु के पिता रामकिशन भाकर और नेशनल राइफल संघ के अधिकारी ने भी मनु की पिस्टल में तकनीकी खराबी की बात स्वीकार की थी। मनु ने तब क्वालिफिकेशन राउंड में 98 पॉइंट हासिल किए थे। दूसरे राउंड में उनकी पिस्टल में खराबी आ गई। इसके बाद वह टारगेट छोड़कर बाहर आईं और करीब पांच मिनट बाद उनकी पिस्टल ठीक हुई। उन्होंने दूसरे राउंड में 95, तीसरे में 94, चौथे 95, पांचवें में 98 और छठे राउंड में 95 अंक अर्जित किए। वह फाइनल में पहुंचने से दो अंक पीछे रह गईं थीं। इसके बाद मनु को रोते हुए देखा गया था। वह भावुक हो गई थीं। 

अमर उजाला को मनु ने सुनाई पूरी कहानी
इस पूरे घटनाक्रम पर मनु भाकर ने अमर उजाला से भी बातचीत की थी। इस फरवरी में अमर उजाला संवाद के दौरान मनु भाकर ने उस घटना और इस हार से अपने उबरने की कहानी बताई थी। मनु ने कहा, 'टोक्यो ओलंपिक के बाद मैं दो महीने डिप्रेस थी। मैं जानती थी कि मैं जहां सिल्वर-ब्रॉन्ज नहीं, बल्कि गोल्ड जीत सकती हूं, लेकिन वहां पिस्टल की वजह से मैं  चूक गई। लेकिन लाइफ वहां खत्म थोड़ी हो गई। मैंने सोचा कि मैं फिर से वो मोमेंट क्रिएट कर लूंगी। ओलंपिक के बाद एक महीने तक शूटिंग को देखा तक नहीं था। कहना यह चाहती हूं कि अगर कभी कामयाबी न मिले तो इसको सोचकर हार नहीं मान लेनी चाहिए। आपको ये सोचना चाहिए कि मैं आगे भी कर सकती हूं। आपके लिए लाइफ में सबसे ज्यादा जरूरी होती है आपकी खुशी। अगर आप हार के बाद भी खुश होने की क्षमता रखते हैं तो आप वो मोमेंट आगे चलकर भी दोहरा सकते हैं।' अब मनु ने इस बात को सच कर दिखाया है। उन्होंने उस मोमेंट को फिर से बनाया और अब उसे जी रही हैं। पूरा इंटरव्यू यहां देखें

बोल्ट की आत्मकथा पढ़कर प्रेरित हुईं मनु भाकर
मनु भाकर ने अमर उजाला से बताया था कि वह उसेन बोल्ट को देखकर और उनकी बायोग्रफी पढ़कर प्रेरित हुई हैं। मनु ने किसी हार से उबरने का तरीका बताते हुए कहा था- आप सभी को बायोग्रफी पढ़नी चाहिए। मैं अभी उसेन बोल्ट की बुक पढ़ रही हूं। मैंने देखा है कि उन्हें हार कर जितनी प्रेरणी मिलती है वह उन्हें जीत से नहीं मिलती। हारने की प्रेरणा बहुत मजबूत होती है। बोल्ट कितनी बार हारे, लेकिन उन्होंने उससे प्रेरणा ली और आज देखिए कोई ऐसी प्रतियोगिता नहीं जिसने उन्होंने नहीं जीती हो। मनु ने अमर उजाला से कहा था, 'ओलंपिक की जब बात आती है तो पूरा देश इकट्ठा हो जाता है। टोक्यो ओलंपिक मेरा पहला था। मैंने उस तरह का दबाव कभी नहीं झेला था। मैं बहुत ज्यादा नर्वस थी। हालांकि, पेरिस ओलंपिक के लिए मैं मेंटल ट्रेनिंग और योगा कर रही हूं। जो पिछली बार परेशानी हुई थी वो परेशानी इस बार न हो। उसकी पूरी तैयारी कर रही हूं। उम्मीद है कि इस बार आपकी आशाओं के साथ मैं तिरंगा लहरा सकूं।' मनु ने जो कहा वो कर दिखाया है और उन्होंने पेरिस में तिरंगा लहराया है।

इसके साथ ही उन्होंने शूटिंग में भारत के पदक के 12 साल के सूखे को भी खत्म किया। 2012 लंदन ओलंपिक में गगन नारंग और विजय कुमार ने शूटिंग में पदक जीता था। यह शूटिंग में भारत का पांचवां पदक है। मनु से पहले चारों एथलीट्स पुरुष थे। वह राज्यवर्धन सिंह राठौड़, अभिनव बिंद्रा, गगन नारंग और विजय कुमार के क्लब में शामिल हो गईं।
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