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Whatsapp: इटली ने मेटा को दिया झटका; क्या अब वाट्सएप पर भी चलेंगे दूसरे एआई चैटबॉट्स?

टेक डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली Published by: सुयश पांडेय Updated Wed, 24 Dec 2025 02:55 PM IST
सार

इटली की एंटीट्रस्ट संस्था AGCM ने टेक दिग्गज मेटा के खिलाफ सख्त कदम उठाते हुए उसे उन नियमों पर तुरंत रोक लगाने का आदेश दिया है, जिनसे प्रतिद्वंद्वी एआई चैटबॉट्स को वाट्सएप से बाहर किया जा सकता था। 

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Italy’s Antitrust Authority Blocks Meta Rules That Could Push Rival AI Chatbots Out of WhatsApp
वाट्सएप (सांकेतिक तस्वीर) - फोटो : Freepik
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विस्तार
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इटली की एंटीट्रस्ट संस्था AGCM ने टेक कंपनी मेटा के खिलाफ सख्त कदम उठाया है। संस्था ने मेटा को तुरंत उन नियमों पर रोक लगाने का आदेश दिया है, जिनकी वजह से दूसरे एआई चैटबॉट्स को वाट्सएप से बाहर किया जा सकता है। नियामक यह जांच कर रहा है कि क्या मेटा अपनी ताकत का गलत इस्तेमाल करके बाजार में अपनी पकड़ मजबूत कर रहा है और दूसरों के लिए रास्ता बंद कर रहा है।

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मेटा ने क्या कहा?

मेटा ने इस फैसले से असहमति जताई है। कंपनी के प्रवक्ता ने कहा कि यह फैसला गलत है और वे इसके खिलाफ अपील करेंगे। मेटा का तर्क है कि बाहरी (थर्ड पार्टी) एआई चैटबॉट्स की वजह से उनके सिस्टम पर ऐसा दबाव पड़ रहा है, जिसके लिए वह पहले से तैयार नहीं था।

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क्यों शुरू हुई जांच?

इटली की एंटीट्रस्ट संस्था का मानना है कि मेटा का रवैया एआई चैटबॉट बाजार में नई तकनीक और प्रतिस्पर्धा को नुकसान पहुंचा सकता है। इससे आखिरकार आम यूजर्स को ही नुकसान होगा। इसी वजह से जुलाई में वाट्सएप से जुड़े मामलों को लेकर जांच शुरू हुई थी। और नवंबर में इसे बढ़ाकर वाट्सएप के बिजनेस प्लेटफॉर्म की नई शर्तों तक फैला दिया गया। नियामक का कहना है कि ये शर्तें मेटा एआई के मुकाबले दूसरे एआई टूल्स को प्लेटफॉर्म से बाहर कर देती हैं।

यूरोप की बड़ी टेक कंपनियों पर सख्ती

यह मामला यूरोप में बड़ी टेक कंपनियों पर बढ़ती सख्ती का हिस्सा है। यूरोपीय संघ चाहता है कि टेक्नोलॉजी आगे भी बढ़े, लेकिन बाजार में निष्पक्ष प्रतिस्पर्धा बनी रहे। इसी सिलसिले में यूरोपीय आयोग भी मेटा के खिलाफ इसी तरह की एक अलग जांच शुरू कर चुका है। यूरोप का यह सख्त रुख अमेरिका से अलग है, जहां नियम अपेक्षाकृत नरम हैं। वहां की टेक कंपनियों और पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के प्रशासन ने यूरोप की इस नीति की आलोचना भी की है।


यह पूरा मामला दिखाता है कि यूरोपीय देश अब डिजिटल और एआई बाजार में बड़ी टेक कंपनियों की मनमानी को रोकने के लिए कड़े कदम उठा रहे हैं, ताकि प्रतिस्पर्धा बनी रहे और उपभोक्ताओं को नुकसान न हो।

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