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Tariffe Hike: कौन लेगा इन 30 करोड़ मोबाइल यूजर्स की सुध, जबरदस्ती कराना पड़ रहा महंगा रिचार्ज

टेक डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली Published by: प्रदीप पाण्डेय Updated Wed, 17 Jul 2024 02:40 PM IST
सार

साल 2022 में सरकार द्वारा जारी किए आंकड़े के मुताबिक देश में 600 मिलियन यानी 60 करोड़ स्मार्टफोन यूजर्स हैं, लेकिन करीब 300 मिलियन यानी 30 करोड़ ऐसे यूजर्स हैं जिनके पास स्मार्टफोन नहीं है। साल 2022 में सरकार द्वारा जारी किए आंकड़े के मुताबिक देश में 600 मिलियन यानी 60 करोड़ स्मार्टफोन यूजर्स हैं, लेकिन करीब 300 मिलियन यानी 30 करोड़ ऐसे यूजर्स हैं जिनके पास स्मार्टफोन नहीं है। 

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30 crore feature phone users they are forced to do expensive recharge after Tariffe Hike
No recharge plans only for calling - फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
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कुछ दिन पहले ही निजी टेलीकॉम कंपनियों ने अपने रिचार्ज प्लान महंगे किए हैं। एयरटेल, जियो और वोडाफोन आइडिया के प्लान करीब 25 फीसदी तक महंगे हुए हैं। टेलीकॉम कंपनियों के इस फैसले के बाद लोगों को BSNL की याद आई है लेकिन इसके साथ समस्या यह है कि सभी सर्किल में नेटवर्क की दिक्कत है। ऐसे में निजी कंपनियों के साथ बने रहना लोगों की मजबूरी है। 

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साल 2022 में सरकार द्वारा जारी किए आंकड़े के मुताबिक देश में 600 मिलियन यानी 60 करोड़ स्मार्टफोन यूजर्स हैं, लेकिन करीब 300 मिलियन यानी 30 करोड़ ऐसे यूजर्स हैं जिनके पास स्मार्टफोन नहीं है। ये यूजर्स 2जी, 3जी और 4जी (फीचर) फोन का इस्तेमाल कर रहे हैं यानी देश में करीब 30 करोड़ फीचर फोन यूजर्स हैं, लेकिन हैरानी वाली बात यह है कि इन फीचर्स फोन यूजर्स के लिए कोई रिचार्ज प्लान नहीं है।

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30 करोड़ मोबाइल यूजर्स को जबरदस्ती कराना पड़ रहा महंगा रिचार्ज

देश के इन 30 करोड़ फीचर्स फोन यूजर्स को वही रिचार्ज प्लान लेना पड़ रहा है जो स्मार्टफोन यूजर्स के लिए डिजाइन किए गए हैं। किसी भी कंपनी के पास अब ऐसे प्लान नहीं हैं जो बिना डाटा का आता हो यानी जिन्हें डाटा नहीं चाहिए, उनसे भी निजी टेलीकॉम कंपनियां डाटा का पैसा ले रही हैं। 

उदाहरण के तौर पर हर घर में कोई-ना-कोई बुजूर्ग हैं और उन्हें सिर्फ एक ऐसे प्लान की जरूरत है जिसके साथ लंबी वैलिडिटी मिले, क्योंकि उन्हें आउटगोइंग और इंटरनेट से ज्यादा इनकमिंग की जरूरत है तो ऐसे लोगों के लिए कोई रिचार्ज प्लान ही मौजूद नहीं है। टेलीकॉम कंपनियों की मनमानी की वजह से फीचर फोन यूजर्स को भी स्मार्टफोन वाले रिचार्ज कराने पड़ रहे हैं।

नियामक है चुप

टेलीकॉम रेगुलेटरी अथॉरिटी ऑफ इंडिया भी इस मामले पर चुप्पी साधे हुए है। सेलुलर ऑपरेटर एसोसिएशन ऑफ इंडिया को भी इससे कोई मतलब नहीं है। पहले कम-से-कम यह सुविधा थी कि रिचार्ज नहीं कराने पर भी इनकमिंग बंद नहीं होती थी, लेकिन आज ऐसा नहीं है। यूजर्स परेशान हैं लेकिन उनके पास कोई ऐसा हथियार नहीं है जिसके जरिए वे सरकार तक अपनी बात पहुंचा सकें। फीचर फोन यूजर्स सोशल मीडिया का भी इस्तेमाल नहीं करते, ताकि वे सोशल मीडिया के जरिए ही सरकार तक अपनी बात पहुंचा सकें। टेलीकॉम कंपनियों की इस मनमानी का जवाब और इलाज किसी के पास नहीं है।

इस संबंध में अमर उजाला ने रिलायंस जियो, एयरटेल और वोडाफोन आइडिया से संपर्क किया तो सभी ने कोई भी बयान देने से मना कर दिया। जियो के पास तो सिर्फ 4जी और 5जी है, ऐसे में 2जी और 3जी की जिम्मेदारी जियो की तो नहीं है लेकिन जियो ऐसे प्लान जरूर लॉन्च कर सकता है जिनमें लंबी वैधता मिले और डाटा ना हो।

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