सिम कार्ड नियम: दूरसंचार विभाग की बड़ी चेतावनी, किया यह काम तो ठोका जाएगा 50 लाख रु. का जुर्माना
धोखेबाज विभिन्न तरीकों का उपयोग कर इन संसाधनों का गलत इस्तेमाल कर रहे हैं। रिपोर्टों के अनुसार, अपराधी धोखे या पहचान छिपाकर सिम कार्ड और एसएमएस हेडर जैसी टेलीकॉम पहचान प्राप्त कर रहे हैं और इसके माध्यम से जनता को बड़े पैमाने पर फर्जी संदेश भेज रहे हैं।
विस्तार
भारत में हाल ही में साइबर धोखाधड़ी के मामलों में तेजी से वृद्धि देखी गई है। दूरसंचार विभाग (DoT) ने दूरसंचार संसाधनों के दुरुपयोग को लेकर चिंता व्यक्त की है और इस प्रकार की आपराधिक गतिविधियों को रोकने के लिए कई पहल शुरू की हैं। धोखेबाज विभिन्न तरीकों का उपयोग कर इन संसाधनों का गलत इस्तेमाल कर रहे हैं। रिपोर्टों के अनुसार, अपराधी धोखे या पहचान छिपाकर सिम कार्ड और एसएमएस हेडर जैसी टेलीकॉम पहचान प्राप्त कर रहे हैं और इसके माध्यम से जनता को बड़े पैमाने पर फर्जी संदेश भेज रहे हैं।
धोखाधड़ी के तरीके
यह भी सामने आया है कि कुछ लोग अपने नाम पर सिम कार्ड लेकर दूसरों को इस्तेमाल के लिए दे रहे हैं। कई मामलों में, इन सिम कार्डों का उपयोग साइबर धोखाधड़ी में किया जाता है, जिससे असली सिम कार्ड धारक भी अपराध में संलिप्त माने जा सकते हैं। इसके अलावा, फर्जी दस्तावेजों, धोखाधड़ी या पहचान की नकल (इम्पर्सोनेशन) द्वारा सिम कार्ड प्राप्त करने के मामले भी सामने आए हैं, जो टेलीकम्युनिकेशन अधिनियम, 2023 का उल्लंघन है।
कुछ मामलों में, प्वाइंट ऑफ सेल (POS) केंद्रों ने भी इन फर्जी सिम कार्डों की खरीद-फरोख्त में भूमिका निभाई है, जिससे वे भी इस अपराध में भागीदार बन जाते हैं। इसके अलावा, अपराधी आईपी एड्रेस, आईएमईआई नंबर (मोबाइल उपकरण की पहचान करने वाला नंबर) और एसएमएस हेडर में बदलाव कर धोखाधड़ी भरे संदेश भेज रहे हैं।
दूरसंचार विभाग की चेतावनी
- धारा 42 (3) (c) के तहत टेलीकॉम पहचान छेड़छाड़ करना प्रतिबंधित है।
- धारा 42 (3) (e) के अनुसार किसी भी व्यक्ति को धोखाधड़ी से सिम कार्ड या दूरसंचार पहचान प्राप्त करने की मनाही है।
- धारा 42 (7) के तहत यह अपराध गंभीर और गैर-जमानती (नॉन-बेलेबल) माना गया है, जिसे आपराधिक प्रक्रिया संहिता, 1973 के तहत दंडनीय बनाया गया है।
- कड़ी सजा का प्रावधान
- धारा 42 (3) के तहत अपराधियों को तीन साल तक की कैद, पचास लाख रुपये तक का जुर्माना, या दोनों हो सकते हैं।
- धारा 42 (6) के अनुसार, जो लोग इन अपराधों में सहायता करते हैं, उन पर भी समान दंड लागू होगा।