Smartphone Factory: क्या आप जानते हैं दुनिया की सबसे बड़ी स्मार्टफोन फैक्ट्री चीन में नहीं, बल्कि भारत में है?
अक्सर माना जाता है कि स्मार्टफोन मैन्युफैक्चरिंग का केंद्र चीन है, लेकिन दुनिया की सबसे बड़ी एकल इमारत वाली स्मार्टफोन फैक्ट्री भारत में स्थित है। यह फैक्ट्री सैमसंग की है और उत्तर प्रदेश के नोएडा में मौजूद है।
विस्तार
स्मार्टफोन बनाने वाली कंपनियों की फैक्ट्रियां पूरी दुनिया में फैली हुई हैं। हालांकि, इनमें से अधिकांश एशिया में स्थित हैं। एक समय था जब चीन मैन्युफैक्चरिंग के लिए मुख्य पसंद हुआ करता था, लेकिन अब सैमसंग और एपल जैसी कंपनियां भारत, वियतनाम और इंडोनेशिया जैसे देशों में अपनी प्रोडक्शन यूनिट्स लगा रही हैं। लेकिन, क्या आपने कभी सोचा है कि दुनिया की सबसे बड़ी स्मार्टफोन फैक्ट्री किस कंपनी की है? तकनीकी रूप से इसका जवाब 'सैमसंग' है, लेकिन कहानी में कई दिलचस्प मोड़ हैं जो हम आपको इस लेख में बताने वाले हैं।
सैमसंग का नोएडा प्लांट है दुनिया की सबसे बड़ी एकल मोबाइल फैक्ट्री
सैमसंग की सबसे बड़ी स्मार्टफोन फैक्ट्री दक्षिण कोरिया या चीन में नहीं, बल्कि भारत के नोएडा (उत्तर प्रदेश) शहर में है। इस यूनिट का इतिहास काफी पुराना है।1996 में इसे सबसे पहले टीवी बनाने के लिए स्थापित किया गया था। 2007 में सैमसंग ने यहां मोबाइल फोन बनाना शुरू किया। 2017 में सैमसंग ने फैक्ट्री के विस्तार के लिए लगभग 700 मिलियन डॉलर का निवेश किया। 2018 में विस्तार पूरा होने के बाद, यह आधिकारिक तौर पर दुनिया की सबसे बड़ी मोबाइल फैक्ट्री बन गई। इस फैक्ट्री की विशालता का अंदाजा इन आंकड़ों से लगाया जा सकता है कि यह फैक्ट्री सालाना लगभग 12 करोड़ फोन बनाने की क्षमता रखती है। यह फैक्ट्री करीब 35 एकड़ में फैली है और इसका फ्लोर एरिया 1.4 मिलियन स्क्वायर फीट है। तुलना के लिए, यह 24 अमेरिकी फुटबॉल मैदानों के बराबर है। हालांकि, यह ध्यान देने योग्य है कि सिर्फ इसलिए कि फैक्ट्री 12 करोड़ फोन बना सकती है। इसका मतलब यह नहीं है कि वह हर साल इतने फोन बनाती ही है। उत्पादन हमेशा मांग पर निर्भर करता है। आज भी सैमसंग के अधिकांश फोन वियतनाम में बनते हैं, जहां कंपनी ने भारी निवेश किया हुआ है।
मैन्युफैक्चरिंग कैंपस के मामले में फॉक्सकॉन की 'आईफोन सिटी' सबसे बड़ी
सैमसंग ने अपनी नोएडा फैक्ट्री को 'दुनिया की सबसे बड़ी फैक्ट्री' का खिताब खुद दिया है। ये एक छत के नीचे उसकी उत्पादन क्षमता पर आधारित है। सैमसंग की यह फैक्ट्री एक विशाल एकल इमारत है। अगर हम 'मैन्युफैक्चरिंग कैंपस' यानी कई इमारतों का समूह को शामिल करें, तो फॉक्सकॉन की 'आईफोन सिटी' इससे कहीं आगे निकल जाती है।
आईफोन सिटी की क्षमता सैमसंग की नोएडा फैक्ट्री से करीब 50% ज्यादा
फॉक्सकॉन दुनिया की सबसे बड़ी इलेक्ट्रॉनिक्स बनाने वाली कंपनी है, जो एपल के लिए आईफोन बनाती है। चीन के झेंग्झौ में स्थित इसका कैंपस विशाल है। यह एक दिन में 5 लाख आईफोन तक बना सकती है, यानी सालाना लगभग 18 करोड़ यूनिट्स (सैमसंग की नोएडा फैक्ट्री से करीब 50% ज्यादा)। इसका कुल फ्लोर स्पेस सैमसंग की फैक्ट्री से 10 गुना बड़ा है और यह जिस जमीन पर है वह 20 गुना बड़ी है। चूंकि फॉक्सकॉन के पास एक ही प्लॉट पर कई अलग-अलग इमारतें हैं, जबकि सैमसंग के पास 'एकल इमारत' है। इसलिए 'तकनीकी रूप से' सैमसंग का दावा सही है कि उनके पास सबसे बड़ी 'फैक्ट्री' (एकल यूनिट) है।
फॉक्सकॉन एक बड़ी फैक्ट्री के बजाय कई इमारतों वाला कैंपस क्यों बनाता है?
इसके पीछे एक ठोस रणनीति है। सैमसंग अपनी फैक्ट्री में केवल अपने ही प्रोडक्ट बनाता है, इसलिए उसे सब कुछ एक छत के नीचे रखने में कोई दिक्कत नहीं है। दूसरी ओर, फॉक्सकॉन एपल, गूगल और निंटेंडो जैसी कई कंपनियों के लिए प्रोडक्ट बनाता है। एपल कभी नहीं चाहेगा कि गूगल के इंजीनियर्स उनके नए आईफोन के प्रोटोटाइप देख लें। इसलिए, अलग-अलग ग्राहकों के लिए अलग-अलग इमारतें होना जरूरी है। अगर किसी एक इमारत में आग लग जाए या कोई तकनीकी खराबी आ जाए, तो पूरा काम नहीं रुकता। बाकी इमारतों में काम चलता रहता है। अगर किसी प्रोडक्ट की मांग कम हो जाती है, तो फॉक्सकॉन उस खाली इमारत को किसी दूसरे क्लाइंट के लिए इस्तेमाल कर सकता है।