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Apps: बार-बार एप्स को बैकग्राउंड से हटाना बंद कीजिए, जानिए क्यों ये आपके फोन की बैटरी को खराब कर सकता है?

टेक डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली Published by: सुयश पांडेय Updated Sat, 27 Dec 2025 11:13 AM IST
सार

स्मार्टफोन यूजर्स के बीच यह धारणा बहुत आम है कि बैकग्राउंड में खुले सभी एप्स को बंद करने से बैटरी बचती है, लेकिन वास्तविकता इससे बिल्कुल उलट है। आज के आधुनिक स्मार्टफोन्स बैकग्राउंड एप्स को अपने आप फ्रीज कर देते हैं ताकि वे बैटरी का इस्तेमाल न करें।

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Does Closing Background Apps Really Save Battery? Experts Bust the Popular Smartphone Myth
नए कानूनों से रेगुलेशन को मजबूत बनाने पर जोर - फोटो : AI
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विस्तार
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भले ही हमारे स्मार्टफोन्स की बैटरी अब बड़ी हो गई है और पावर सिस्टम पहले से कहीं ज्यादा स्मार्ट हो चुके हैं। फिर भी हम बैटरी बचाने की कोशिश में लगे रहते हैं। कई बार ऐसा लगता है जैसे फोन को जिंदा रखना ही हमारा फुल-टाइम जॉब बन गया है। बैटरी की इसी चिंता की वजह से इससे जुड़े कई मिथक आसानी से फैल जाते हैं। आज हम एक ऐसे मिथक की बात करेंगे जो लोगों में काफी आम है। बैकग्राउंड में खुले सभी एप्स को बंद करने से बैटरी बचती है। तो क्या यह सच है? और अगर नहीं तो बैटरी बचाने का सही तरीका क्या है? 

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यह गलतफहमी क्यों है?

सोच बहुत सीधी है अगर बहुत सारे एप्स खुले हैं, तो वे जरूर बैटरी खा रहे होंगे। उन्हें स्वाइप करके हटाना हमें एक तरह का सुकून देता है, जैसे हमने फोन की 'सफाई' कर दी हो और अब उस पर लोड कम हो गया हो। आईफोन हो या एंड्रॉयड, हम सभी को आदत है स्वाइप अप किया और फटाफट सारे एप्स को उड़ा दिया। यह इंटरफेस हमें ऐसा महसूस कराता है कि ये एप्स बैकग्राउंड में चल रहे हैं और पावर कंज्यूम रहे हैं। लेकिन आधुनिक स्मार्टफोन्स के काम करने का तरीका हमारी कल्पना से बिल्कुल अलग है।

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एक्सपर्ट्स क्या कहते हैं?

रीफर्बिश्ड टेक कंपनी 'द बिग फोन स्टोर' के सीईओ और फाउंडर स्टीवन एथवाल कहते हैं कि "एप्स को फोर्स-क्लोज करने से आपकी बैटरी को कोई मदद नहीं मिलती। हां, यह एक बहुत लोकप्रिय माना जाने वाला नुस्खा है लेकिन इसका गलत इस्तेमाल किया जाता है"। एथवाल समझाते हैं कि जब आप किसी एप को फोर्स क्लोज करते हैं और बाद में उसे दोबारा खोलते हैं, तो आपके फोन को उसे शून्य से रिलोड करना पड़ता है। "ऐसा करने से आपके प्रोसेसर और रैम पर जोर पड़ता है, जिसकी कीमत आपकी बैटरी को चुकानी पड़ती है"। दूसरे शब्दों में कहें तो एप को बंद करके दोबारा खोलने में उससे ज्यादा ऊर्जा खर्च होती है, जितनी उसे बैकग्राउंड में पड़ा रहने देने में होती। एथवाल के अनुसार, आज के फोन इतने स्मार्ट हैं कि वे बैकग्राउंड एप्स को 'फ्रीज' कर देते हैं। एंड्रॉयड का 'डोज' फीचर और एपल का 'लो पावर मोड' अपने आप बैकग्राउंड एक्टिविटी को कम कर देते हैं, इसके लिए आपको एप्स बंद करने की जरूरत नहीं है।

तो फिर एप्स कब बंद करने चाहिए?

ऐसा नहीं है कि एप्स को बंद करना हमेशा बेकार है। इसके कुछ अपवाद हैं। जीपीएस, वीडियो कॉल्स और बैकग्राउंड में डाटा चेक करने वाले एप्स लगातार चलते रहते हैं, भले ही आपने उन्हें मिनिमाइज कर दिया हो। बैटरी ड्रेन रोकने के लिए इन्हें स्वाइप करके हटाना सही है"। कोई एप हैंग या फ्रीज हो गया हो, कोई एप असामान्य रूप से बैटरी खा रहा हो या कोई एप बैकग्राउंड में लोकेशन/डाटा का भारी इस्तेमाल कर रहा हो तो उसे हटा देना ही बेहतर है।

बैटरी बचाने के लिए क्या करें? 

अगर एप्स बंद करना समाधान नहीं है, तो फिर क्या है? एक्सपर्ट्स के मुताबिक असल मायनों में बैटरी बचाने के लिए आपको इन तरीकों को फॉलो करना चाहिए। स्क्रीन की चमक बैटरी की सबसे बड़ी दुश्मन है। इसे 'ऑटो-ब्राइटनेस' पर रखें या जितना हो सके कम रखें। सेटिंग्स में जाकर 'बैकग्राउंड एप रिफ्रेश' को बंद करें और लोकेशन एक्सेस केवल उन्हीं एप्स को दें जिन्हें वास्तव में इसकी जरूरत है। जहां संभव हो मोबाइल डाटा की जगह वाई-फाई का इस्तेमाल करें। जब जरूरत न हो तो जीपीएस, ब्लूटूथ और 5G को बंद रखें। फोन को बहुत ज्यादा गर्मी या बहुत ज्यादा ठंड से बचाएं। तापमान बैटरी की सेहत पर सबसे बुरा असर डालता है।

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