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Ayodhya News: पैदल यात्री दबाव को बिजली में परिवर्तित करने पर होगा शोध
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अयोध्या। डॉ. राममनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय के लिए उत्तर प्रदेश विज्ञान व प्रौद्योगिकी परिषद से 16.08 लाख रुपये की अनुसंधान परियोजना स्वीकृत हुई है। यह परियोजना ट्रांसड्यूसर सक्षम टाइल्स से ऊर्जा उत्पाद पर आधारित है। इससे पैदल यात्री दबाव को बिजली में परिवर्तित किया जा सकेगा। इस परियोजना के प्रधान अन्वेषक आईईटी के विद्युत अभियांत्रिकी विभाग के सहायक प्राध्यापक डॉ. समेंद्र प्रताप सिंह हैं।
सह अन्वेषक के रूप में भौतिकी एवं इलेक्ट्रॉनिक्स विभाग के प्रो. गंगाराम मिश्र, सिविल इंजीनियरिंग विभाग के सहायक प्राध्यापक सौहार्द्र ओझा व एमएमएमयूटी गोरखपुर के विद्युत अभियांत्रिकी विभाग के प्रो. प्रभाकर तिवारी शामिल हैं। प्रधान अन्वेषक ने बताया कि परियोजना का उद्देश्य ऐसी ऊर्जा सक्षम टाइल्स का विकास करना है, जो पैदल यात्री दबाव को बिजली में परिवर्तित कर सके। यह तकनीक वहां पर उपयुक्त होगी, जहां पर ह्यूमन फुटफाल अधिकतम हो। ऐसे स्थान रेलवे स्टेशन, मेट्रो स्टेशन, बस स्टैंड, मॉल, विश्वविद्यालय परिसर या अन्य सार्वजनिक स्थल हो सकते हैं।
इस तकनीकी से उत्पन्न बिजली प्रकाश व्यवस्था और छोटे उपकरणों के संचालन के लिए पर्याप्त होगी। सिविल इंजीनियरिंग दृष्टिकोण से यह टिकाऊ और पर्यावरण अनुकूल अवसंरचना के निर्माण में सहायक होगी। वहीं, इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग के दृष्टिकोण से यह देश की ऊर्जा आत्मनिर्भरता की दिशा में एक अभिनव पहल है। विश्वविद्यालय के रिसर्च एंड इनोवेशन सेल के निदेशक प्रो. एसके रायजादा ने कहा कि यह परियोजना हमारे विश्वविद्यालय की शोध व नवाचार क्षमता को नई ऊंचाई प्रदान करेगी।
कुलपति डॉ. बिजेंद्र सिंह ने कहा कि यह बहु विषयी परियोजना विश्वविद्यालय की शैक्षणिक उत्कृष्टता और समाजोपयोगी शोध का उदाहरण है, जो छात्रों और शोधार्थियों को नवाचार के लिए प्रेरित करेगी। कुलसचिव विनय सिंह ने परियोजना टीम को शुभकामना देते हुए इसे विश्वविद्यालय की अनुसंधान यात्रा में मील का पत्थर बताया। उन्होंने कहा कि इस तरह की परियोजनाएं नैक ग्रेडिंग के लिए भी महत्वपूर्ण हैं और विश्वविद्यालय को राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अनुसंधान के क्षेत्र में पहचान दिलाने में सहायक होंगी।

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सह अन्वेषक के रूप में भौतिकी एवं इलेक्ट्रॉनिक्स विभाग के प्रो. गंगाराम मिश्र, सिविल इंजीनियरिंग विभाग के सहायक प्राध्यापक सौहार्द्र ओझा व एमएमएमयूटी गोरखपुर के विद्युत अभियांत्रिकी विभाग के प्रो. प्रभाकर तिवारी शामिल हैं। प्रधान अन्वेषक ने बताया कि परियोजना का उद्देश्य ऐसी ऊर्जा सक्षम टाइल्स का विकास करना है, जो पैदल यात्री दबाव को बिजली में परिवर्तित कर सके। यह तकनीक वहां पर उपयुक्त होगी, जहां पर ह्यूमन फुटफाल अधिकतम हो। ऐसे स्थान रेलवे स्टेशन, मेट्रो स्टेशन, बस स्टैंड, मॉल, विश्वविद्यालय परिसर या अन्य सार्वजनिक स्थल हो सकते हैं।
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इस तकनीकी से उत्पन्न बिजली प्रकाश व्यवस्था और छोटे उपकरणों के संचालन के लिए पर्याप्त होगी। सिविल इंजीनियरिंग दृष्टिकोण से यह टिकाऊ और पर्यावरण अनुकूल अवसंरचना के निर्माण में सहायक होगी। वहीं, इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग के दृष्टिकोण से यह देश की ऊर्जा आत्मनिर्भरता की दिशा में एक अभिनव पहल है। विश्वविद्यालय के रिसर्च एंड इनोवेशन सेल के निदेशक प्रो. एसके रायजादा ने कहा कि यह परियोजना हमारे विश्वविद्यालय की शोध व नवाचार क्षमता को नई ऊंचाई प्रदान करेगी।
कुलपति डॉ. बिजेंद्र सिंह ने कहा कि यह बहु विषयी परियोजना विश्वविद्यालय की शैक्षणिक उत्कृष्टता और समाजोपयोगी शोध का उदाहरण है, जो छात्रों और शोधार्थियों को नवाचार के लिए प्रेरित करेगी। कुलसचिव विनय सिंह ने परियोजना टीम को शुभकामना देते हुए इसे विश्वविद्यालय की अनुसंधान यात्रा में मील का पत्थर बताया। उन्होंने कहा कि इस तरह की परियोजनाएं नैक ग्रेडिंग के लिए भी महत्वपूर्ण हैं और विश्वविद्यालय को राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अनुसंधान के क्षेत्र में पहचान दिलाने में सहायक होंगी।