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Ayodhya News: सरयू के घाट पर धार्मिक गतिविधियों के लिए शुल्क लेने से रोका

Lucknow Bureau लखनऊ ब्यूरो
Updated Fri, 12 Sep 2025 10:36 PM IST
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Stopped from charging fees for religious activities on the banks of Saryu
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अयोध्या। सरयू के गुप्तार घाट पर कवच ग्लोबल कनेक्ट प्राइवेट लिमिटेड कंपनी को नगर निगम की ओर से कई तरह की जिम्मेदारियां दी गई हैं। फिलहाल कवच की ओर से सिर्फ यहां आने वाले पर्यटकों और श्रद्धालुओं से पार्किंग शुल्क वसूला जा रहा है। इस बीच यहां पर कवच की तरफ से लगाए गए एक नोटिस बोर्ड से विवाद खड़ा हो गया। अब नगर निगम ने धार्मिक गतिविधियों के लिए शुल्क लेने से रोकते हुए इसे विराम दे दिया है।
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कवच की ओर से गुप्तारघाट पर नगर निगम के नाम का उपयोग करते हुए लगवाए गए नोटिस बोर्ड में कहा गया है कि आप सभी सम्मानित लोगों को सूचित किया जाता है कि गुप्तार घाट का संचालन और रखरखाव के साथ व्यापक सुविधा प्रबंधन का जिम्मा कवच को खुली निविदा प्रक्रिया के माध्यम से प्राप्त हुआ है। आप को यह भी सूचित किया जाता है कि घाट पर कार्यदायी संस्था की अनुमति के बिना कोई भी व्यावसायिक, धार्मिक और सांस्कृतिक कार्य न करें।
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इस संबंध में अपर नगर आयुक्त सुमित कुमार ने अमर उजाला को बताया कि कवच के साथ हुए अनुबंध के मुताबिक कंपनी को नगर निगम की ओर से मुख्य रूप से पार्किंग सुविधा उपलब्ध कराने के साथ पाथवे, सांस्कृतिक गतिविधि, क्रूज संचालन, नियमित आरती, बच्चों के लिए खेलकूद गतिविधि और योग के आयोजनों की जिम्मेदारी दी गई है। इस समय पार्किंग के अलावा और कोई गतिविधि कंपनी की ओर से संचालित नहीं की जा रही है।


अपर नगर आयुक्त ने बताया कि कवच के नोटिस बोर्ड के बारे में जानकारी मिलने के बाद इसे संशोधित करवाने के लिए निर्देशित किया गया है। साथ ही गुप्तारघाट पर वाहनों की पार्किंग को व्यवस्थित करने की भी हिदायत दी गई है। कंपनी को स्पष्ट निर्देश दिए गए हैं कि सरयू के घाट पर किसी भी धार्मिक गतिविधि को नियंत्रित करने या उसके लिए किसी तरह के शुल्क वसूलने का कोई अधिकार उन्हें नहीं दिया गया है।



कवच के नोटिस बोर्ड के अनुसार व्यावसायिक कार्य तक की बात तो ठीक रही लेकिन धार्मिक और सांस्कृतिक आयोजनों के लिए अनुमति की बाध्यता के जिक्र से विवाद शुरू हो गया। सोशल मीडिया पर इसे लेकर काफी बखेड़ा हुआ। इतना ही नहीं कांग्रेस समेत कुछ राजनीतिक दलों ने इस विवाद में नगर निगम और महापौर महंत गिरीश पति त्रिपाठी के साथ प्रदेश सरकार तक को घसीट डाला।
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