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Ayodhya News: कृषि विवि की नियुक्तियों में फर्जीवाड़ा, सांसद ने की शिकायत
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कुमारगंज (अयोध्या)। आचार्य नरेंद्र देव कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय कुमारगंज में कुछ महीनों पहले हुई नियुक्तियों का मामला गरमा गया है। पहले एक अभ्यर्थी विवेक कुमार ने धांधली का आरोप लगाया था और अब सांसद लल्लू सिंह ने भी अनियमितताओं का आरोप जड़ दिया। उन्होंने राज्यपाल/ कुलाधिपति, मुख्यमंत्री व कृषि मंत्री समेत कई लोगों को पत्र लिखकर जांच कराए जाने की मांग की है। उनके पत्र से विश्वविद्यालय प्रशासन में हड़कंप मच गया है।
कृषि विश्वविद्यालय में असिस्टेंट प्रोफेसर के 85 पदों के लिए 30 दिसंबर 2021 व एसएमएस (सब्जेक्ट मैटर स्पेशलिस्ट) के 76 पदों के लिए 7 अक्तूबर 2021 को विज्ञापन निकाला गया था। इन नियुक्तियों में उच्च अंक व गोल्ड मेडल प्राप्त अभ्यर्थियों को दरकिनार करने का आरोप लगा है। यही नहीं स्क्रीनिंग कमेटी द्वारा दिए अंक को काटने व वेटेज अंक पर ओवरराइटिंग करने का भी आरोप लगा है।
इनमें एसएमएस के सभी व असिस्टेंट प्रोफेसर के 45 पदों पर नियुक्ति की जा चुकी है। सूत्रों के अनुसार शेष 40 पदों के लिए 16 दिसंबर को कार्य परिषद की बैठक अज्ञात कारणों से निरस्त होने के कारण लिफाफा खोला नहीं जा सका। इस नियुक्ति पर इलाहाबाद आनंद भवन के रहने वाले विवेक कुमार ने सवाल उठाते हुए राज्यपाल व मुख्यमंत्री को साक्ष्य के साथ पत्र लिखकर उच्चस्तरीय जांच की मांग की थी।
वहीं अयोध्या सांसद लल्लू सिंह का 12 दिसंबर को लिखा गया पत्र सार्वजनिक हुआ है। अपने पत्र में उन्होंने कहा है कि विज्ञापन के बाद प्राप्त हुए आवेदनों में उच्च अंक प्राप्त अभ्यर्थियों के आवेदन को स्क्रीनिंग के समय ही छांट दिया गया। साथ ही कुछ लोगों के प्रभाव में आकर उन्हें टेस्ट व साक्षात्कार में अंक देकर नियुक्तियां की जा चुकी हैं। शेष नियुक्तियों का प्रबंध कार्य समिति की बैठक में प्रस्ताव पेश हो चुका है। यह उच्चस्तरीय जांच का विषय है। वहीं सूत्रों के अनुसार उनके इसी शिकायत के बाद 16 दिसंबर को होने वाली कार्य समिति की बैठक टाल दी गई थी।
स्क्रीनिंग में काट-छांट का आरोप, वेटेज पर भी की गई ओवरराइटिंग
एसएएमएस के पदों पर की गई नियुक्तियों में स्क्रीनिंग के विवि के छह वरिष्ठ शिक्षकों को चेयरमैन बनाया गया था। प्रत्येक में विशेषज्ञ सदस्य भी थे। आरोप है कि चयनित कुछ अभ्यर्थियों की स्क्रीनिंग पर मिले अंकों को काटकर दोबारा अंक बढ़ाकर दिया। साथ ही वेटेज पर मिले अंकों पर ओवर राइटिंग कर उसे बढ़ाया गया है।
वहीं, इस संबंध में विवि के कुलपति डॉ. बिजेंद्र सिंह का पक्ष जानने के लिए कई बार उनके मोबाइल पर कई बार फोन किया गया, लेकिन फोन नहीं उठा। उन्हें बात करने का मेसेज भी किया गया, लेकिन कोई जवाब नहीं मिला। उसके बाद उनका फोन ही बंद हो गया।
स्क्रीनिंग में मेरे पास केवल स्क्रीन करने की पावर होती है। स्क्रीनिंग के बाद मेरिट बनाना व साक्षात्कार कराना मेरे अधिकार क्षेत्र में नहीं है। जहां तक स्क्रीनिंग की बात है तो मैंने सही करके दिया था, आगे क्या हुआ इसकी जानकारी नहीं।
-डॉ. नमिता जोशी, चेयरमैन, स्क्रीनिंग कमेटी
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इनमें एसएमएस के सभी व असिस्टेंट प्रोफेसर के 45 पदों पर नियुक्ति की जा चुकी है। सूत्रों के अनुसार शेष 40 पदों के लिए 16 दिसंबर को कार्य परिषद की बैठक अज्ञात कारणों से निरस्त होने के कारण लिफाफा खोला नहीं जा सका। इस नियुक्ति पर इलाहाबाद आनंद भवन के रहने वाले विवेक कुमार ने सवाल उठाते हुए राज्यपाल व मुख्यमंत्री को साक्ष्य के साथ पत्र लिखकर उच्चस्तरीय जांच की मांग की थी।
वहीं अयोध्या सांसद लल्लू सिंह का 12 दिसंबर को लिखा गया पत्र सार्वजनिक हुआ है। अपने पत्र में उन्होंने कहा है कि विज्ञापन के बाद प्राप्त हुए आवेदनों में उच्च अंक प्राप्त अभ्यर्थियों के आवेदन को स्क्रीनिंग के समय ही छांट दिया गया। साथ ही कुछ लोगों के प्रभाव में आकर उन्हें टेस्ट व साक्षात्कार में अंक देकर नियुक्तियां की जा चुकी हैं। शेष नियुक्तियों का प्रबंध कार्य समिति की बैठक में प्रस्ताव पेश हो चुका है। यह उच्चस्तरीय जांच का विषय है। वहीं सूत्रों के अनुसार उनके इसी शिकायत के बाद 16 दिसंबर को होने वाली कार्य समिति की बैठक टाल दी गई थी।
स्क्रीनिंग में काट-छांट का आरोप, वेटेज पर भी की गई ओवरराइटिंग
एसएएमएस के पदों पर की गई नियुक्तियों में स्क्रीनिंग के विवि के छह वरिष्ठ शिक्षकों को चेयरमैन बनाया गया था। प्रत्येक में विशेषज्ञ सदस्य भी थे। आरोप है कि चयनित कुछ अभ्यर्थियों की स्क्रीनिंग पर मिले अंकों को काटकर दोबारा अंक बढ़ाकर दिया। साथ ही वेटेज पर मिले अंकों पर ओवर राइटिंग कर उसे बढ़ाया गया है।
वहीं, इस संबंध में विवि के कुलपति डॉ. बिजेंद्र सिंह का पक्ष जानने के लिए कई बार उनके मोबाइल पर कई बार फोन किया गया, लेकिन फोन नहीं उठा। उन्हें बात करने का मेसेज भी किया गया, लेकिन कोई जवाब नहीं मिला। उसके बाद उनका फोन ही बंद हो गया।
स्क्रीनिंग में मेरे पास केवल स्क्रीन करने की पावर होती है। स्क्रीनिंग के बाद मेरिट बनाना व साक्षात्कार कराना मेरे अधिकार क्षेत्र में नहीं है। जहां तक स्क्रीनिंग की बात है तो मैंने सही करके दिया था, आगे क्या हुआ इसकी जानकारी नहीं।
-डॉ. नमिता जोशी, चेयरमैन, स्क्रीनिंग कमेटी