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UP: बरसाना में राधारानी की प्रधान सखी ललिता जी का मना जन्मोत्सव, अटा अटोर पर्वत पर गूंजे जयकारे

अमर उजाला नेटवर्क, मथुरा Published by: अनुज कुमार Updated Fri, 29 Aug 2025 04:51 PM IST
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सार

उत्तर प्रदेश के बरसाना में राधा अष्टमी को लेकर तैयारियां जोरों पर हैं। भाद्र मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि श्री राधा अष्टमी के रूप में मनाई जाती है, क्योंकि इस दिन भगवान श्रीकृष्ण की शक्तिस्वरूपा श्री राधारानी का प्राकट्य हुआ था। इस वर्ष राधा अष्टमी का व्रत 31 अगस्त,रविवार  को रखा जाएगा।

birth anniversary of Radharani chief friend Lalita ji celebrated today
राधारानी की प्रधान सखी ललिता जी का जन्मोत्सव - फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
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उत्तर प्रदेश के बरसाना में राधा अष्टमी को लेकर तैयारियां जोरों पर हैं। भाद्र मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि श्री राधा अष्टमी के रूप में मनाई जाती है, क्योंकि इस दिन भगवान श्रीकृष्ण की शक्तिस्वरूपा श्री राधारानी का प्राकट्य हुआ था। इस वर्ष राधा अष्टमी का व्रत 31 अगस्त,रविवार  को रखा जाएगा।

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ब्रजभूमि का कण-कण शुक्रवार को भक्ति और आनंद की उमंग से सराबोर रहा। राधारानी की प्रधान सखी ललिता जी का जन्मोत्सव ऊचागांव स्थित ललिता अटा अटोर पर्वत पर अत्यंत श्रद्धा और भव्यता से मनाया गया। पर्वत की तलहटी से लेकर शिखर तक हर ओर दिव्यता और उत्सव का अद्भुत नजारा था। गलियों में पुष्प सज्जा, मंदिरों में दीपमालाएँ और भक्तों की उमंग ने वातावरण को ब्रज की रास-रसधारा से भर दिया।
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सुबह से ही दूर-दराज़ से श्रद्धालुओं का तांता ऊचागांव पहुँचने लगा। पर्वत पर चढ़ते समय भक्त ‘राधे-राधे’ और ‘ललिता सखी की जय’ के जयकारे लगाते हुए आगे बढ़ते। मंदिर प्रांगण में पहुँचते ही उनकी भक्ति आँखों से अश्रुधारा बनकर छलक उठी।

दोपहर बारह बजे सेवायतों ने ललिता जी का पंचामृत से अभिषेक किया। घी, दूध, दही, शहद, बूरा, चन्दन और पुष्पजल से अभिषिक्त श्रीविग्रह के दर्शन कर श्रद्धालु कृतार्थ हो गए। पूरा पर्वत मंत्रोच्चार और बधाई गीतों से गूंज उठा।अभिषेक के बाद भक्तों ने आरती उतारी और आशीर्वाद पाया।

मंदिर प्रांगण में गुर्जर समाज के भक्तों ने पारंपरिक लोकनृत्य प्रस्तुत किया। नृत्य की थाप और मृदंग की गूंज से वातावरण मानो रासलीला के मंच में बदल गया। इसी बीच गोलू सखी की मधुर वाणी में गाए गए बधाई पदों ने समस्त श्रद्धालुओं को भाव-विभोर कर दिया।इस भावपूर्ण प्रस्तुति ने हर किसी को द्वापर युग की लीलाओं का सजीव साक्षात्कार करा दिया। श्रद्धालु झूम उठे और अनेक भक्त नृत्य में शामिल हो गए।

जन्मोत्सव की शोभा तब और बढ़ी जब ब्रजाचार्य पीठ के पीठाधीश्वर गोस्वामी कृष्णानन्द तैलंग, गोस्वामी उपेन्द्र नारायण भट्ट, प्रवक्ता घनश्यामराज भट्ट सहित अनेक संतों ने मंच पर विराजकर मंगल वचन कहे। संतों ने ललिता जी की महिमा का वर्णन करते हुए कहा कि वे राधारानी की सेविका ही नहीं, बल्कि उनकी अंतरंग सखी हैं। उनका जन्म पूरे ब्रज के लिए उत्सव और आनंद का संदेश लेकर आता है।

संतों के आशीष से पूरा माहौल और अधिक पावन हो गया। भक्तों ने प्रसाद ग्रहण कर एक-दूसरे को बधाई दी।इस प्रकार ऊचागांव का अटा अटोर पर्वत शुक्रवार को केवल उत्सव का स्थल ही नहीं रहा, बल्कि भक्ति, माधुर्य और रस की धारा से सराबोर एक जीवंत तीर्थ बन गया। ललिता सखी जन्मोत्सव ने न केवल ऊचागांव की धरा को पावन किया बल्कि हर उस श्रद्धालु के हृदय को भक्ति-रस से भर दिया, जिसने इस अद्वितीय आयोजन का प्रत्यक्ष साक्षात्कार किया।

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