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बाढ़ से बर्बादी: मलबे में दफन फसलें...खेतों में जमा हुई दो-दो फीट मिट्टी, गांव से लेकर शहर तक सड़कों पर कीचड़

संवाद न्यूज एजेंसी, मथुरा Published by: अमर उजाला ब्यूरो Updated Sun, 14 Sep 2025 02:42 PM IST
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सार

मथुरा में यमुना का जलस्तर घट रहा है। अब खेतों से लेकर सड़कों तक पर बर्बादी का मंजर दिख रहा है। दो-दो फीट मिट्टी और मलबा उपजाऊ खेतों में जमा हो गया है। इस मिट्टी की मोटी परत के नीचे फसलें पूरी तरह से दफन हो गईं।

Crops buried in debris, two feet of soil deposited in fields
बाढ़ के बाद सड़कों पर गंदगी। - फोटो : संवाद न्यूज एजेंसी
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विस्तार
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मथुरा में यमुना का जलस्तर शनिवार शाम को घटकर खतरे के निशान 166 मीटर से नीचे आ गया है। मंगलवार से लगातार जलस्तर घट रहा है, लेकिन दुश्वारियां बरकरार हैं। बाढ़ के कहर से सैकड़ों एकड़ फसलें मलबे में दफन हो गईं हैं। खेतों में दो-दो फीट मिट्टी जमा हो गई है। गांव से लेकर शहर तक की गलियां कीचड़ से कराह रही हैं। हालांकि कई क्षेत्रों में अभी भी ठहरा हुआ पानी बर्बादी की कहानी बयां कर रहा है, लेकिन प्रशासन व नगर निगम सफाई व्यवस्था में जुटा हुआ है।
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जिन क्षेत्रों में यमुना का पानी उतर गया है, वहां निचले इलाकों में जलभराव हो गया है। ईसापुर, जयसिंहपुरा, हंसगंज समेत कई क्षेत्र शामिल हैं। इन क्षेत्रों में जलनिकासी के लिए नगर निगम की टीम ने ट्रैक्टर पंपसेट लगाए हैं। जलभराव वाले क्षेत्रों से लगातार पानी निकाला जा रहा है। 
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इधर, धीरे-धीरे ग्रामीणों क्षेत्रों में पानी कम हुआ तो लोगों ने राहत की सांस ली है, लेकिन खेतों का मंजर बर्बादी की कहानी बयां कर रहा है। दो-दो फीट मिट्टी और मलबा उपजाऊ खेतों में जमा हो गया है। इस मिट्टी की मोटी परत के नीचे फसलें पूरी तरह से दफन हो गईं। किसानों को अब न सिर्फ अपनी बर्बाद हुई फसलों की चिंता सता रही है, बल्कि खेतों से मोटी मिट्टी हटाना भी चुनौती बन गया है।

 

वहीं शनिवार शाम पांच बजे यमुना का जलस्तर घटकर खतरे के निशान 166 मीटर से नीचे पहुंचा गया। एडीएम एफआर डॉ. पंकज कुमार वर्मा ने बताया कि शनिवार को हथिनीकुंड से 28391 क्यूसेक, ओखला से 30534 क्यूसेक और गोकुल बैराज से 88785 क्यूसेक पानी डिस्चार्ज किया जा रहा है। बीते दिनों की अपेक्षा यह आंकड़ा बेहद कम है। आने वाले दिनों में जल्दी ही स्थितियां सामान्य हो जाएंगी।

 

सड़क पर जमा मलबे को ट्रैक्टर से हटा रहे ग्रामीण
जिन ग्रामीण क्षेत्रों में पानी उतर गया है, वहां के ग्रामीण स्वयं ट्रैक्टर की मदद से सड़कों पर जमा मलबे को हटा रहे हैं। नौहझील क्षेत्र के कई गांव ऐसे हैं, जहां स्थितियां सामान्य हो गई हैं। हालांकि निचले क्षेत्रों में अभी भी पानी भरा हुआ है।
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