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बारिश के कहर से जंगल कराहा: आपदा ने छीन लीं बेजुबानों की सांसें, कुमाऊं भर में मिल चुके है बाघ-तेंदुए के शव

अमर उजाला नेटवर्क, हल्द्वानी Published by: हीरा मेहरा Updated Thu, 18 Sep 2025 10:55 AM IST
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सार

तेज बारिश और बाढ़ जैसी प्राकृतिक आपदाओं ने कुमाऊं भर के जंगलों में भारी तबाही मचाई है, जिसमें बाघ, तेंदुआ और हाथी जैसे वन्यजीवों की मौत भी शामिल है। अधिकारियों द्वारा इन घटनाओं के कारणों की जांच की जा रही है।

 

Carcasses of tigers and leopards have been found in rainwater drains across Kumaon
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विस्तार
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आसमान से बरसी आफत से न केवल इंसानी बस्तियां प्रभावित हुई हैं बल्कि जंगल भी आपदा की मार से अछूता नहीं रहा। तेज बारिश और उफनते नालों-नदियों के बीच बेजुबान वन्यजीवों ने अपनी जान गंवाई। बाघ, तेंदुए और हाथियों सहित अन्य प्राणी बारिश के सामने बेबस नजर आए। प्राकृतिक आपदा ने जंगल में मातम का माहौल पैदा कर दिया है।

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पहले भी कॉर्बेट टाइगर रिजर्व समेत अन्य स्थानों पर आपसी संघर्ष में वन्य जीवों की मौत देखने को मिली है लेकिन बरसात में होने वाले हादसे जानवरों के लिए लगातार आफत बने हैं। बादल फटने जैसे मामलों में अमूमन वन्य जीवों का जान जाने के मामले कम देखे गए हैं। जिन भी मामलों में बाघ, तेंदुए की मौत सामने आई है कि वहां यह तय किया जाना बाकी है कि बरसात में बहकर आए जानवरों की मौत की असल वजह क्या रही है।

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केस 1
चार सितंबर को बाजपुर के लेवड़ा नदी में पुल के नीचे तेंदुए घायल अवस्था में मिला। उसके शरीर पर चोट के निशान थे। माना जा रहा था कि बाढ़ में बहने से वह घायल हुआ।

केस 2
छह सितंबर को कोटद्वार के पास मालन नदी में हाथी का बच्चा बह गया था। जिसे वन कर्मियों ने रेस्क्यू कर बचाया। हाथी का बच्चा झुंड से बिछड़कर नाले में बहा, लेकिन किस्मत से बच गया।

केस-3
नौ सितंबर को चंपावत जिले के टनकपुर में बरसाती नाले में तेंदुए का शव मिला। आशंका जताई गई कि नाले में बहने से उसकी मौत हुई। रिपोर्ट का इंतजार अभी बाकी है।

केस-4
आठ सितंबर को रामनगर वन प्रभाग के कालाढूंगी में चकलुआ बीट में बाघ का शव नाले में मिला। बाघ की उम्र सात वर्ष आंकी गई है। वन्यजीवों के अनुसार घायल अवस्था में बाघ आपदा का सामना नहीं कर पाता। बाघ के नदी में बहकर मौत की आशंका जताई जा रही है।

ये तस्वीर आई भी सामने
कार्बेट टाइगर रिजर्व से सटी कोसी नदी में हिरण और हाथियों के फंसने का वीडियो सामने आ चुका है। तीन सितंबर को कोसी नदी के एक टीले पर पांच हिरण फंस गए थे। एक दिन बाद चार सितंबर को रामनगर वन प्रभाग में मोहान के पास नदी में दो हाथी बहने से बचे।

दैवीय आपदा से वन्यजीवों में सरीसृप को सबसे अधिक परेशानी होती है। उम्रदराज और घायल बाघ, तेंदुए आपदा से पार नहीं पा सकते हैं। बहने के कारण उनकी मौत हो जाती है। अफसोस कि वन्यजीवों पर आए संकट की ओर अभी तक किसी का ध्यान नहीं गया है। - दीप रजवार, वाइल्ड लाइफ फोटोग्राफर

मानसून में वन्यजीवों के वासस्थल प्रभावित होते हैं। उनके हताहत होने की आशंका रहती है। इस बार अभी कोई ऐसा रिकार्ड नहीं है जिसमें वन्यजीवों की मौत दैवीय आपदा से मानी जाए। - रंजन कुमार मिश्रा, पीसीसीएफ हाॅफ वाइल्ड लाइफ।
 

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