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नैनीताल : बलियानाले में हो रहे पानी के रिसाव की गुत्थी सुलझी, जीआईसी मैदान के नीचे जलक्षेत्र से आता है पानी
न्यूज़ डेस्क, अमर उजाला, नैनीताल
Published by: हल्द्वानी ब्यूरो
Updated Thu, 03 Jun 2021 01:58 AM IST
सार
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इस क्षेत्र में भूमिगत झील न होकर भीतर पानी जमा है। इस प्राकृतिक जल स्रोत से लंबे समय से पानी का रिसाव हो रहा है और यही पानी बलिया नाले से रिसते हुए बाहर निकल रहा है।
इस जल को पंप करके नैनीझील में डालने से झील का जलस्तर वर्ष भर एक समान रह सकता है
- फोटो : अमर उजाला फाइल फोटो
पिछले कई वर्षों से बलियानाले में हो रहे पानी के रिसाव की गुत्थी आखिर सुलझ गई है। यह स्पष्ट हो गया है कि इस रिसाव का नैनझील से कोई संबंध नहीं है जैसा कि पूर्व में पर्यावरणविद और आम जन आशंका जताते थे।
यह रिसाव इस क्षेत्र में लगभग 200 मीटर की लंबाई और पांच मीटर भूमि के भीतर के क्षेत्र में जमा जलराशि से हो रहा है। इस क्षेत्र में भूमिगत झील न होकर भीतर पानी जमा है। इस प्राकृतिक जल स्रोत से लंबे समय से पानी का रिसाव हो रहा है और यही पानी बलिया नाले से रिसते हुए बाहर निकल रहा है।
सिंचाई विभाग के अधिशासी अभियंता हरीशचंद्र सिंह के मुताबिक कुछ समय पहले आईआईटी रुड़की के अधिकारियों ने क्षेत्र में जल रिसाव के कारणों का पता लगाने के लिए सर्वे किया था। सर्वे में पता चला है कि जीआईसी मैदान के पास से सिपाहीधारा की ओर लगभग 75 मीटर की गहराई में पानी का एक स्रोत है। जिससे बाहर निकलने से पूर्व जल लगभग दो सौ मीटर के फैलाव और पांच मीटर की गहराई तक फैल चुका है।
यह एक जल संतृप्त क्षेत्र बन गया है। जीआईसी मैदान से 75 मीटर नीचे यह सतह पर आकर एक जलधारा के रूप में बह रहा है। उन्होंने कहा कि इस जल को पंप करके नैनीझील में डालने से झील का जलस्तर वर्ष भर एक समान बना रह सकता है।
इधर बलियानाला क्षेत्र की समस्या को लेकर हाईकोर्ट में जनहित याचिका कर चुके पर्यावरणविद् और विश्व वानिकी संस्थान वियाना के पूर्व अध्यक्ष प्रो. अजय रावत ने जल रिसाव की गुत्थी सुलझाने के लिए अधिशासी अभियंता हरीशचंद्र सिंह के प्रयासों की सराहना करते हुए कहा है कि इसका नैनीझील के संरक्षण में बहुत महत्वपूर्ण योगदान होगा।
रिसाव के पानी के सदुपयोग को डीएम गंभीर
बलियानाले से रिस रहे पानी का कैसे सदुपयोग किया जाए, इसे लेकर जिला प्रशासन गंभीर है। जल्द ही इस संबंध में डीएम की अध्यक्षता में महत्वपूर्ण बैठक भी होनी तय है। जिलाधिकारी धीराज सिंह गर्ब्याल ने बताया कि आईआईटी रुड़की की रिपोर्ट आने के बाद उन्होंने ही इस मामले को हाई पावर कमेटी की बैठक में रखा था।
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डीएम ने शासन को पत्र भेजकर बताया था कि बलियानाले की परियोजना पर जापान के विशेषज्ञ काम कर रहे थे जो अब लौट चुके हैं। ऐसे में जिलाधिकारी ने शासन से इस कार्य को किसी अन्य विभाग को सौंपने की भी अनुमति मांगी थी। जिलाधिकारी ने बताया कि उक्त जलकुंड के आसपास बोरिंग कर उस पानी को निकालने की योजना पर काम चल रहा है जिसके लिए सरकार पैसा देने को तैयार है। कहा कि यदि ऐसा हुआ तो नैनीताल में पीने के पानी का एक नया विकल्प मिल जाएगा।
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