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Pauri News: ग्लेशियरों का पिघलना आपदाओं के जोखिम को बढ़ा रहा
संवाद न्यूज एजेंसी, पौड़ी
Updated Wed, 10 Dec 2025 06:25 PM IST
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बीजीआर परिसर के वनस्पति विभाग में हुआ कार्यक्रम
संवाद न्यूज एजेंसी
पौड़ी। जीबी पंत राष्ट्रीय हिमालयी पर्यावरण संस्थान के सहयोग से बीजीआर परिसर के वनस्पति विभाग में दो दिवसीय कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस दौरान पर्वतीय पारस्थितिकी, जैव विविधता, ग्लेशियरों की बदलती स्थिति और उनके वैज्ञानिक प्रबंधन पर चर्चा की गई। इस दौरान वक्ताओं ने ग्लेशियरों के लगातार सिकुड़ने पर चिंता जताई। कहा गया कि ग्लेशियरों का तेजी से पिघलना हिमालयी क्षेत्रों में आपदाओं के जोखिम को बढ़ा रहा है।
परिसर निदेशक प्रो. यूसी गैरोला ने कहा कि जैव विविधता संरक्षण और पर्वतीय पारिस्थितिकी को सुरक्षित रखने में युवा पीढ़ी महत्वपूर्ण योगदान दे सकती है। उन्होंने छात्रों को स्वैच्छिक सेवाओं, पर्यावरण संरक्षण अभियानों और समुदाय आधारित कार्यक्रमों में सक्रिय भाग लेने के लिए प्रेरित किया। डॉ. विक्रम नेगी ने कहा कि बढ़ते तापमान के कारण ग्लेशियरों का तीव्र पिघलना हिमालयी क्षेत्रों में जल संसाधनों और आपदाओं के जोखिम को बढ़ा रहा है। प्रो. प्रभाकर बड़ोनी ने कहा कि ग्लेशियर ताजे जल के प्रमुख स्रोत हैं और ये नदियों को स्थिर प्रवाह प्रदान करते हैं। ग्लेशियरों का तेजी से सिकुड़ना भविष्य के लिए जल संकट है और पर्वतीय समुदायों के सामाजिक व आर्थिक ढांचे पर गंभीर प्रभाव डाल सकता है। जीबी पंत राष्ट्रीय हिमालयी पर्यावरण संस्थान के वैज्ञानिक प्रभारी डॉ. केसी सेकर ने पर्वतीय जैव विविधता पर प्रकाश डाला। कार्यक्रम में डाॅ. यशवंत राणा, डाॅ. अमन कुमार, डाॅ. प्रदीप भंडारी, विनय कुमार, राहुल उप्रेती, चंद्रप्रकाश आदि शामिल रहे।
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पौड़ी। जीबी पंत राष्ट्रीय हिमालयी पर्यावरण संस्थान के सहयोग से बीजीआर परिसर के वनस्पति विभाग में दो दिवसीय कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस दौरान पर्वतीय पारस्थितिकी, जैव विविधता, ग्लेशियरों की बदलती स्थिति और उनके वैज्ञानिक प्रबंधन पर चर्चा की गई। इस दौरान वक्ताओं ने ग्लेशियरों के लगातार सिकुड़ने पर चिंता जताई। कहा गया कि ग्लेशियरों का तेजी से पिघलना हिमालयी क्षेत्रों में आपदाओं के जोखिम को बढ़ा रहा है।
परिसर निदेशक प्रो. यूसी गैरोला ने कहा कि जैव विविधता संरक्षण और पर्वतीय पारिस्थितिकी को सुरक्षित रखने में युवा पीढ़ी महत्वपूर्ण योगदान दे सकती है। उन्होंने छात्रों को स्वैच्छिक सेवाओं, पर्यावरण संरक्षण अभियानों और समुदाय आधारित कार्यक्रमों में सक्रिय भाग लेने के लिए प्रेरित किया। डॉ. विक्रम नेगी ने कहा कि बढ़ते तापमान के कारण ग्लेशियरों का तीव्र पिघलना हिमालयी क्षेत्रों में जल संसाधनों और आपदाओं के जोखिम को बढ़ा रहा है। प्रो. प्रभाकर बड़ोनी ने कहा कि ग्लेशियर ताजे जल के प्रमुख स्रोत हैं और ये नदियों को स्थिर प्रवाह प्रदान करते हैं। ग्लेशियरों का तेजी से सिकुड़ना भविष्य के लिए जल संकट है और पर्वतीय समुदायों के सामाजिक व आर्थिक ढांचे पर गंभीर प्रभाव डाल सकता है। जीबी पंत राष्ट्रीय हिमालयी पर्यावरण संस्थान के वैज्ञानिक प्रभारी डॉ. केसी सेकर ने पर्वतीय जैव विविधता पर प्रकाश डाला। कार्यक्रम में डाॅ. यशवंत राणा, डाॅ. अमन कुमार, डाॅ. प्रदीप भंडारी, विनय कुमार, राहुल उप्रेती, चंद्रप्रकाश आदि शामिल रहे।
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