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Pithoragarh News: सर्जन का स्थानांतरण होते ही लैप्रोस्कोपिक सर्जरी बंद
संवाद न्यूज एजेंसी, पिथौरागढ़
Updated Wed, 26 Nov 2025 10:59 PM IST
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पिथौरागढ़। जिला अस्पताल में तैनात सर्जन का स्थानांतरण होने से स्वास्थ्य सेवाएं पटरी से उतर गईं हैं इसकी मार जिले के मरीज झेल रहे हैं। सर्जन का स्थानांतरण होने से लैप्रोस्कोपिक सर्जरी भी बंद हो गई है और मरीज दूरबीन विधि से ऑपरेशन के लिए मैदानी क्षेत्रों के अस्पतालों में जाने के लिए मजबूर हैं। लाखों की लागत से खरीदी गई लैप्रोस्कोपी मशीन अब कमरे में बंद रहेगी जब तक कि किसी नए सर्जन की यहां तैनाती नहीं हो जाती।
जिला अस्पताल में दो सर्जन तैनात थे। सर्जन डॉ. लाल सिंह बोरा को लैप्रोस्कोपिक सर्जरी में महारथ हासिल होने से करीब तीन महीने पूर्व यहां लाखों रुपये की मशीन खरीदी गई। दूरबीन विधि से ऑपरेशन शुरू होने से मरीजों को काफी राहत मिल रही थी। साथ ही मरीजों को दूरबीन विधि से ऑपरेशन के लिए मैदानी क्षेत्रों के बड़े अस्पतालों में भी नहीं जाना पड़ रहा था।
पिछले दिनों सर्जन डॉ. बोरा का स्थानांतरण होने से अब जिला अस्पताल में लैप्रोस्कोपिक सर्जरी भी बंद हो गई है। मरीज चीरा-टांका लगाकर कष्टदायक ऑपरेशन कराने के लिए मजबूर हैं। पूर्व में जिला अस्पताल में हर महीने औसतन आठ से 10 मरीजों की बच्चेदानी, आंत और पथरी की लैप्रोस्कोपिक सर्जरी हो रही थी जो अब बंद हो गई है।
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जनरल सर्जरी के लिए भी मिलने लगी है लंबी तारीख
जिला अस्पताल में अब एकमात्र सर्जन पर मरीजों की जांच, इलाज और ऑपरेशन की जिम्मेदारी आ गई है। ऐसे में यहां अब सप्ताह में सिर्फ एक दिन ऑपरेशन की व्यवस्था लागू करनी पड़ी है जबकि पूर्व में सप्ताह में दो दिन ऑपरेशन हो रहे थे। मरीजों के सापेक्ष ऑपरेशन कम होने से अब इसके लिए लंबी तारीख मिलने लगी है। ऐसे में गंभीर मरीजों को ऑपरेशन के लिए अन्य अस्पतालों का रुख करना पड़ रहा है।
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प्रशिक्षण में जाएंगे सर्जन तो लटक जाएंगे सभी ऑपरेशन
अस्पताल प्रबंधन के मुताबिक, जिला अस्पताल में तैनात एकमात्र सर्जन को लैप्रोस्कोपिक सर्जरी का प्रशिक्षण देने की योजना है ताकि मशीन का संचालन कर इसे जंग खाने से बचाया जा सके। दिक्कत यह है कि यदि सर्जन को प्रशिक्षण के लिए भेजा गया तो यहां सभी ऑपरेशन ठप हो जाएंगे। वहीं यदि सर्जन को लैप्रोस्कोपिक सर्जरी का प्रशिक्षण नहीं दिया गया तो लाखों की मशीन में खराबी आने का खतरा है। ऐसे में अस्पताल प्रबंधन और स्वास्थ्य विभाग के लिए एक तरफ खाई, दूसरी तरफ कुआं जैसे हालात पैदा हो गए हैं।
कोट
उम्मीद है जल्द दूसरे सर्जन की तैनाती होगी। ऐसा होने पर व्यवस्था पटरी पर आ जाएगी। यहां तैनात सर्जन को लैप्रोस्कोपिक सर्जरी का प्रशिक्षण देने की योजना है। पूरा प्रयास रहेगा कि जल्द लैप्रोस्कोपिक सर्जरी फिर से शुरू हो और मशीन को खराब होने से बचाया जा सके। - डॉ. भागीरथी गर्ब्याल, पीएमएस, जिला अस्पताल, पिथौरागढ़
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जिला अस्पताल में दो सर्जन तैनात थे। सर्जन डॉ. लाल सिंह बोरा को लैप्रोस्कोपिक सर्जरी में महारथ हासिल होने से करीब तीन महीने पूर्व यहां लाखों रुपये की मशीन खरीदी गई। दूरबीन विधि से ऑपरेशन शुरू होने से मरीजों को काफी राहत मिल रही थी। साथ ही मरीजों को दूरबीन विधि से ऑपरेशन के लिए मैदानी क्षेत्रों के बड़े अस्पतालों में भी नहीं जाना पड़ रहा था।
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पिछले दिनों सर्जन डॉ. बोरा का स्थानांतरण होने से अब जिला अस्पताल में लैप्रोस्कोपिक सर्जरी भी बंद हो गई है। मरीज चीरा-टांका लगाकर कष्टदायक ऑपरेशन कराने के लिए मजबूर हैं। पूर्व में जिला अस्पताल में हर महीने औसतन आठ से 10 मरीजों की बच्चेदानी, आंत और पथरी की लैप्रोस्कोपिक सर्जरी हो रही थी जो अब बंद हो गई है।
जनरल सर्जरी के लिए भी मिलने लगी है लंबी तारीख
जिला अस्पताल में अब एकमात्र सर्जन पर मरीजों की जांच, इलाज और ऑपरेशन की जिम्मेदारी आ गई है। ऐसे में यहां अब सप्ताह में सिर्फ एक दिन ऑपरेशन की व्यवस्था लागू करनी पड़ी है जबकि पूर्व में सप्ताह में दो दिन ऑपरेशन हो रहे थे। मरीजों के सापेक्ष ऑपरेशन कम होने से अब इसके लिए लंबी तारीख मिलने लगी है। ऐसे में गंभीर मरीजों को ऑपरेशन के लिए अन्य अस्पतालों का रुख करना पड़ रहा है।
प्रशिक्षण में जाएंगे सर्जन तो लटक जाएंगे सभी ऑपरेशन
अस्पताल प्रबंधन के मुताबिक, जिला अस्पताल में तैनात एकमात्र सर्जन को लैप्रोस्कोपिक सर्जरी का प्रशिक्षण देने की योजना है ताकि मशीन का संचालन कर इसे जंग खाने से बचाया जा सके। दिक्कत यह है कि यदि सर्जन को प्रशिक्षण के लिए भेजा गया तो यहां सभी ऑपरेशन ठप हो जाएंगे। वहीं यदि सर्जन को लैप्रोस्कोपिक सर्जरी का प्रशिक्षण नहीं दिया गया तो लाखों की मशीन में खराबी आने का खतरा है। ऐसे में अस्पताल प्रबंधन और स्वास्थ्य विभाग के लिए एक तरफ खाई, दूसरी तरफ कुआं जैसे हालात पैदा हो गए हैं।
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उम्मीद है जल्द दूसरे सर्जन की तैनाती होगी। ऐसा होने पर व्यवस्था पटरी पर आ जाएगी। यहां तैनात सर्जन को लैप्रोस्कोपिक सर्जरी का प्रशिक्षण देने की योजना है। पूरा प्रयास रहेगा कि जल्द लैप्रोस्कोपिक सर्जरी फिर से शुरू हो और मशीन को खराब होने से बचाया जा सके। - डॉ. भागीरथी गर्ब्याल, पीएमएस, जिला अस्पताल, पिथौरागढ़

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