UK News: दो दशक बीते...उम्मीदों की फाइलें दौड़ती रहीं, नहीं बना किस्मत की पुल; जिंदगी और मौत के बीच फंसे लोग
रामगंगा नदी पर बनने वाला पुल गंगोलीहाट और बेड़ीनाग ब्लाॅक के लोगों की मुश्किलें कम कर सकता था। सिस्टम की अनदेखी और विभागीय लापरवाही ने पूरे क्षेत्र को ठगा हुआ है।

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सरकारी दफ्तरों की फाइलों में पिछले लगभग 20 साल से दौड़ रहा पुल आज भी लोगों की उम्मीदों को जिंदा रखे हुए है। रामगंगा नदी पर बनने वाला यह पुल गंगोलीहाट और बेड़ीनाग ब्लाॅक के लोगों की मुश्किलें कम कर सकता था। सिस्टम की अनदेखी और विभागीय लापरवाही ने पूरे क्षेत्र को ठगा हुआ है।

साल 2006 में स्वीकृत इस पुल ने उम्मीदें जगाई थीं कि अब पहाड़ की दूरी घटेगी, जीवन आसान होगा और पर्यटन को नई उड़ान मिलेगी। मगर दो दशक बाद भी पुल पर गाड़ियां दाैड़ने का सपना पूरा नहीं हो पाया। इसकी जगह अब तक सिर्फ प्रस्ताव, निविदा और आगणन की फाइलें सरकारी गलियारों में घिसट रही हैं।
स्थानीय लोग बताते हैं कि बांस-आंवलाघाट और दशाईथल-आंवलाघाट के बीच में राम गंगा पर वर्ष 2006 में पुल स्वीकृत हुआ था जो अब तक नहीं बन पाया। दशाईथल से नदी किनारे आंवलाघाट तक सड़क पहुंच चुकी है। वहीं पिथौरागढ़-बांस होते हुए आंवलाघाट तक सड़क पहले ही बन चुकी है। लोक निर्माण विभाग ने साल 2024 में करीब छह करोड़ की निविदा भी निकाली थी। ठेकेदार ने काम शुरू किया तो विभाग ने भूस्खलन क्षेत्र का हवाला देकर निर्माण रोक दिया। अब 8.82 करोड़ का नया आगणन तैयार किया गया है।
दो दशक तक लोग अपनी उम्मीदें टूटते देखते रहे लेकिन विभाग ने कभी संवेदनशीलता नहीं दिखाई। अगर यह पुल समय पर बन गया होता तो आज पाताल भुवनेश्वर गुफा और हाट कालिका मंदिर तक पहुंचना आसान होता। पर्यटन फलता-फूलता और हजारों लोगों की जिंदगी बदल जाती। सवाल यह है कि जनता और कितने साल नेताओं के वादों और विभागीय बहानों के भरोसे जिएगी?
जिंदगी और मौत के बीच फंसे लोग
इस पुल के न बनने से गंगोलीहाट की भेरंगपट्टी के दर्जनों गांव चिटगल, अग्रौन, पोखरी, बिरगोली, सुड़ाल, सकार जैसे क्षेत्रों के लोग रोजाना त्रासदी झेल रहे हैं। खेतों के उत्पाद बाजार तक नहीं पहुंच पाते। मरीज अस्पताल तक पहुंचने से पहले ही दम तोड़ देते हैं। पनार होते हुए पिथौरागढ़ पहुंचने में लंबा समय लगता है। बरसात में पनार-घाट सड़क बंद हो जाए तो लोग मानो कैद हो जाते हैं। यह सिर्फ सड़क का सवाल नहीं बल्कि इंसानों की जिंदगी का सवाल है।
रामगंगा नदी पर प्रस्तावित पुल बेहद महत्व का है। इस पुल के बनने से गंगोलीहाट की जिला मुख्यालय से दूरी कम हो जाएगी। लोगों को सुविधा तो मिलेगी ही पर्यटन को भी बढ़ावा मिलेगा। - जगत सिंह खाती, पूर्व पालिकाध्यक्ष, पिथौरागढ़
गंगोलीहाट के भेरंगपट्टी के गांव फल उत्पादन की दृष्टि से अनुकूल हैं। बाजार की अधिक दूरी होने से किसान अपने उत्पादों को नहीं ले जा पाते हैं। सड़क पर आवागमन शुरू होने पर किसानों की आजीविका में सुधार होगा। -चंद्रेश पंत, सामाजिक कार्यकर्ता, गंगोलीहाट