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Pithoragarh News: नहीं मिला दूसरा रेडियोलॉजिस्ट, मरीजों को घेर रही इंतजार की बीमारी
संवाद न्यूज एजेंसी, पिथौरागढ़
Updated Tue, 16 Sep 2025 02:05 AM IST
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पिथौरागढ़। सीमांत जिले में रेडियोलॉजिस्ट की कमी मरीजों और गर्भवतियों पर भारी पड़ रही है। सिर्फ एक रेडियोलॉजिस्ट की तैनाती से सीएचसी में अल्ट्रासाउंड बंद हैं। ऐसे में मरीजों और गर्भवतियों को बंद सड़कों के बीच किसी तरह अल्ट्रासाउंड के लिए जिला मुख्यालय पहुंचना पड़ रहा है और अल्ट्रासाउंड कराने के लिए लंबा इंतजार करना पड़ रहा है। सेवा विस्तार के जरिये बमुश्किल दूसरे रेडियोलॉजिस्ट की जिला अस्पताल में तैनाती के निर्देश जारी हुए थे। उन्हें भी हल्द्वानी संबद्ध कर दिया गया और उनकी जगह अन्य रेडियोलॉजिस्ट की तैनाती के दावे अब तक हवाई साबित हुए हैं।
जिले में व्यवस्था के तहत सिर्फ जिला अस्पताल में रेडियोलॉजिस्ट की तैनाती है। ऐसे में जिले भर के मरीजों और गर्भवतियों का अल्ट्रासाउंड करने की जिम्मेदारी इन पर है। एकमात्र रेडियोलॉजिस्ट होने से मुनस्यारी, डीडीहाट, गंगोलीहाट और धारचूला सीएचसी में लंबे समय से अल्ट्रासाउंड ठप हैं। जांच के लिए संबंधित मरीजों और गर्भवतियों को जिला मुख्यालय की दौड लगानी पड़ती है। मानसूनकाल में जिले की सड़कें बंद होने से गर्भवतियों और मरीजों को खासी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है।
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होटल में रुककर अगले दिन अल्ट्रासाउंड कराने की मजबूरी
बंद सड़कों और दरकते पहाड़ों के बीच जान जोखिम में डालकर कई किलोमीटर का पैदल सफर कर मरीजों और गर्भवतियों को जिला अस्पताल आना पड़ता है। पहले दिन जिला मुख्यालय पहुंचकर होटलों में रहना पड़ रहा है, फिर अगले दिन उनका अल्ट्रासाउंड हो रहा है। अल्ट्रासाउंड के लिए जिला मुख्यालय न आना पड़े और सीएचसी में यह सुविधा मिल सके, इसके लिए तीन महीने पूर्व सेवा विस्तार के जरिये दूसरे रेडियोलॉजिस्ट की तैनाती के निर्देश जारी हुए थे लेकिन स्वास्थ्य कारणों से उन्हें हल्द्वानी में संबद्ध कर दिया गया। तब उनकी जगह अन्य रेडियोलॉजिस्ट की जल्द तैनाती के दावे किए गए थे लेकिन लंबे समय बाद भी दूसरे रेडियोलॉजिस्ट की तैनाती नहीं हो सकी है।
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रोस्टर के हिसाब से अल्ट्रासाउंड करना मजबूरी
महिला अस्पताल में हर रोज अल्ट्रासाउंड के लिए जिले के विभिन्न हिस्सों से 50 से अधिक गर्भवतियां पहुंचती हैं। जिला अस्पताल में भी मरीजों का खासा दबाव रहता है। दोनों अस्पतालों की जिम्मेदारी एकमात्र रेडियोलॉजिस्ट पर होने से रोस्टर के हिसाब से अल्ट्रासाउंड करना मजबूरी बना हुआ है। महिला अस्पताल में सप्ताह में सिर्फ दो दिन अल्ट्रासाउंड की व्यवस्था है और अन्य चार दिन जिला अस्पताल जाना पड़ता है। ऐसे में मरीजों के साथ ही अल्ट्रासाउंड के लिए गर्भवतियों को भी लंबा इंतजार करना पड़ता है।
कोट
रेडियोलॉजिस्ट की तैनाती के लिए शासन में पत्राचार किया गया है। शासन स्तर पर ही इनकी तैनाती संभव है। निदेशालय को भी रेडियोलॉजिस्ट के रिक्त पदों की सूचना दी गई है। - डॉ. एसएस नबियाल, सीएमओ, पिथौरागढ़

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होटल में रुककर अगले दिन अल्ट्रासाउंड कराने की मजबूरी
बंद सड़कों और दरकते पहाड़ों के बीच जान जोखिम में डालकर कई किलोमीटर का पैदल सफर कर मरीजों और गर्भवतियों को जिला अस्पताल आना पड़ता है। पहले दिन जिला मुख्यालय पहुंचकर होटलों में रहना पड़ रहा है, फिर अगले दिन उनका अल्ट्रासाउंड हो रहा है। अल्ट्रासाउंड के लिए जिला मुख्यालय न आना पड़े और सीएचसी में यह सुविधा मिल सके, इसके लिए तीन महीने पूर्व सेवा विस्तार के जरिये दूसरे रेडियोलॉजिस्ट की तैनाती के निर्देश जारी हुए थे लेकिन स्वास्थ्य कारणों से उन्हें हल्द्वानी में संबद्ध कर दिया गया। तब उनकी जगह अन्य रेडियोलॉजिस्ट की जल्द तैनाती के दावे किए गए थे लेकिन लंबे समय बाद भी दूसरे रेडियोलॉजिस्ट की तैनाती नहीं हो सकी है।
रोस्टर के हिसाब से अल्ट्रासाउंड करना मजबूरी
महिला अस्पताल में हर रोज अल्ट्रासाउंड के लिए जिले के विभिन्न हिस्सों से 50 से अधिक गर्भवतियां पहुंचती हैं। जिला अस्पताल में भी मरीजों का खासा दबाव रहता है। दोनों अस्पतालों की जिम्मेदारी एकमात्र रेडियोलॉजिस्ट पर होने से रोस्टर के हिसाब से अल्ट्रासाउंड करना मजबूरी बना हुआ है। महिला अस्पताल में सप्ताह में सिर्फ दो दिन अल्ट्रासाउंड की व्यवस्था है और अन्य चार दिन जिला अस्पताल जाना पड़ता है। ऐसे में मरीजों के साथ ही अल्ट्रासाउंड के लिए गर्भवतियों को भी लंबा इंतजार करना पड़ता है।
कोट
रेडियोलॉजिस्ट की तैनाती के लिए शासन में पत्राचार किया गया है। शासन स्तर पर ही इनकी तैनाती संभव है। निदेशालय को भी रेडियोलॉजिस्ट के रिक्त पदों की सूचना दी गई है। - डॉ. एसएस नबियाल, सीएमओ, पिथौरागढ़