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सुप्रीम कोर्ट के आदेश से झटके के साथ कांग्रेस को राहत भी
ब्यूरो/अमर उजाला, देहरादून
Updated Fri, 22 Apr 2016 09:11 PM IST
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supreme court
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नैनीताल हाईकोर्ट के आदेश पर सर्वोच्च न्यायालय के स्थगन आदेश से कांग्रेस को झटका लगा है, पर राहत भी मिली है। कांग्रेस को इस बात की आशंका थी कि लोकसभा सत्र शुरू होने से पहले ही केंद्र राष्ट्रपति शासन हटाकर भाजपा की सरकार बनाने की कोशिश कर सकती है।

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कोर्ट के आदेश से इतना जरूर हुआ है कि कांग्रेस को कम से कम 27 तक इस चिंता से मुक्ति मिल गई है। शुक्रवार को देर शाम तक स्थिति साफ होते ही कांग्रेस ने अपने विधायकों को अपने निर्वाचन क्षेत्रों में व्यस्त हो जाने की इजाजत भी दे दी। पार्टी स्तर पर इतना जरूर स्वीकार किया जा रहा है कि सुप्रीम कोर्ट की चुनौती से पार पाना आसान नहीं होगा।
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हाईकोर्ट का रुख हरीश रावत के लिए खासा राहत देने वाला साबित हुआ था। हाईकोर्ट का फैसला आने के तुरंत बाद ही कांग्रेस ने यह भी मान लिया था कि मामला सुप्रीम कोर्ट तक जाएगा। ऐसे में केविएट के रुप में बचाव की कोशिश भी की गई थी।
कांग्रेस को नैनीताल उच्च न्यायालय का फैसला आने से पहले ही इस बात की आशंका सताने लगी थी कि लोकसभा सत्र के शुरू होने से पहले ही भाजपा प्रदेश में सरकार बनाने की कोशिश करेगी। इसके चलते कांग्रेस ने बाकायदा राजभवन से कांग्रेस को सरकार बनाने के लिए आमंत्रित करने का आग्रह किया था।
25 से पहले सरकार बनाने के लिए भाजपा कर रही थी तैयारी
र्वोच्च न्यायालय के स्थगन आदेश से कांग्रेस अब 27 अप्रैल तक इस आशंका से खुद को मुक्त पा रही है। कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष किशोर उपाध्याय का कहना है कि भाजपा प्रदेश में 25 से पहले सरकार बनाने के लिए पूरी तरह से तैयारी कर रही थी।
सर्वोच्च न्यायालय के स्थगन आदेश की जानकारी मिलने के बाद कांग्रेस ने अपने विधायकों को निर्वाचन क्षेत्रों की ओर रुख करने के लिए कह दिया है। इतना तय है कि पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत अब एक बार फिर से कानूनी लड़ाई में उलझ गए हैं।
राष्ट्रपति शासन के अलावा सदन में विधानसभा अध्यक्ष की भूमिका, दल बदल कानून, वित्त विनियोग विधेयक पर स्थिति, स्टिंग आदि ऐसे तमाम मसले हैं, जिन पर रावत को एक बार फिर से कसरत करनी होगी।
अब 18 मार्च को सदन की स्थिति का मुद्दा भी उठ सकता है। कांग्रेस के नौ बागी विधायकों की स्थिति पर भी कुछ हद तक तस्वीर साफ हो जाने की उम्मीद है।