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Tehri News: बूढ़ाकेदार में कैलापीर देवता के निशान के साथ खेतों में दौड़े श्रद्धालु
संवाद न्यूज एजेंसी, टिहरी
Updated Thu, 20 Nov 2025 05:48 PM IST
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गुरु कैलापीर देवता के निशान के साथ ही श्रद्धालुओं ने लगाई आस्था की दौड़
देवता से मांगा क्षेत्र और परिवार की खुशहाली का आशीर्वाद, तीन दिवसीय मेला शुरू
हमारी सांस्कृतिक धरोहर है गुरु कैलापीर मेला : शाह
घनसाली (टिहरी)। बूढ़ाकेदार में श्री गुरु कैलापीर देवता के निशान के साथ भक्तों के दौड़ लगाते ही तीन दिवसीय ऐतिहासिक मेले का शुभारंभ हो गया। थाती-कठुड़ पट्टी के सैकड़ों लोगों ने गुरु कैलापीर देवता के निशान के साथ पुंडारा के खेतों में सात चक्कर दौड़ लगाकर क्षेत्र और परिवार की खुशहाली के लिए मन्नतें मांगी।
इससे पहले बुधवार रात को बड़ी दीपावली पर बूढ़ाकेदार क्षेत्र में लोगों ने भैलो खेलकर सामूहिक दीपावली मनाई। बालगंगा और धर्मगंगा के संगम पर बूढ़ाकेदार में बृहस्पतिवार से तीन दिवसीय गुरु कैलापीर मेला शुरू हुआ। कैलापीर मंदिर में पूजा-अर्चना के लिए सुबह से ही दूर-दराज क्षेत्रों से श्रद्धालुओं का पहुंचने का सिलसिला शुरू हो गया था।
दोपहर को दूर-दराज ग्रामीण क्षेत्रों से श्रद्धालु ढोल-दमाऊं के साथ सीटी बजाते हुए मंदिर परिसर पहुंचे। ढोल-नगाड़ों की थाप पर देवता को विधि विधान के साथ मंदिर से बाहर लाया गया। देवता के पश्वा निशान के साथ निकटवर्ती पुंडारा के खेतों में पहुंचे। देवता के साथ सैकड़ों लोगों ने पुंडारा के खेतों में देवता के झंडे के साथ चक्कर लगाने शुरू किए।
सात चक्कर तक हर कोई देवता के निशान के साथ खेतों में भागता रहा। उसके बाद श्रद्धालु खेतों में रखे पुवाल एक-दूसरे पर फेंकते रहे। श्रद्धालुओं को आशीर्वाद देने के बाद देवता के निशान को अपने मूल स्थान पर स्थापित कर दिया गया। मेले में स्थानीय लोक कलाकारों की ओर से सांस्कृतिक कार्यक्रम की प्रस्तुति दी गई।
मुख्य अतिथि विधायक शक्ति लाल शाह ने कहा कि बूढ़ाकेदार धाम व गुरु कैलापीर क्षेत्र के मुख्य आराध्य देवता हैं। पहाड़ के त्योहारों और मेलों में शामिल गुरु कैलापीर मेला एक प्रसिद्ध मेला है। क्षेत्र के विकास के लिए कार्य योजना बनाकर काम किया जा रहा। इस मौके पर दायित्वधारी वीरेंद्र दत्त सेमवाल, ब्लॉक प्रमुख कंडारी, मंदिर समिति के अध्यक्ष भूपेंद्र नेगी, प्रधान बचेेंद्र प्रसाद सेमवाल, पलायन निवारण आयोग के सदस्य रामप्रकाश पैन्यूली, जिला पंचायत सदस्य मकानी देवी, बीडीसी गंगा, ममता सेमवाल, संतोषी, डॉ. विजय प्रकाश नेगी मौजूद रहे।
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हमारी सांस्कृतिक धरोहर है गुरु कैलापीर मेला : शाह
घनसाली (टिहरी)। बूढ़ाकेदार में श्री गुरु कैलापीर देवता के निशान के साथ भक्तों के दौड़ लगाते ही तीन दिवसीय ऐतिहासिक मेले का शुभारंभ हो गया। थाती-कठुड़ पट्टी के सैकड़ों लोगों ने गुरु कैलापीर देवता के निशान के साथ पुंडारा के खेतों में सात चक्कर दौड़ लगाकर क्षेत्र और परिवार की खुशहाली के लिए मन्नतें मांगी।
इससे पहले बुधवार रात को बड़ी दीपावली पर बूढ़ाकेदार क्षेत्र में लोगों ने भैलो खेलकर सामूहिक दीपावली मनाई। बालगंगा और धर्मगंगा के संगम पर बूढ़ाकेदार में बृहस्पतिवार से तीन दिवसीय गुरु कैलापीर मेला शुरू हुआ। कैलापीर मंदिर में पूजा-अर्चना के लिए सुबह से ही दूर-दराज क्षेत्रों से श्रद्धालुओं का पहुंचने का सिलसिला शुरू हो गया था।
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दोपहर को दूर-दराज ग्रामीण क्षेत्रों से श्रद्धालु ढोल-दमाऊं के साथ सीटी बजाते हुए मंदिर परिसर पहुंचे। ढोल-नगाड़ों की थाप पर देवता को विधि विधान के साथ मंदिर से बाहर लाया गया। देवता के पश्वा निशान के साथ निकटवर्ती पुंडारा के खेतों में पहुंचे। देवता के साथ सैकड़ों लोगों ने पुंडारा के खेतों में देवता के झंडे के साथ चक्कर लगाने शुरू किए।
सात चक्कर तक हर कोई देवता के निशान के साथ खेतों में भागता रहा। उसके बाद श्रद्धालु खेतों में रखे पुवाल एक-दूसरे पर फेंकते रहे। श्रद्धालुओं को आशीर्वाद देने के बाद देवता के निशान को अपने मूल स्थान पर स्थापित कर दिया गया। मेले में स्थानीय लोक कलाकारों की ओर से सांस्कृतिक कार्यक्रम की प्रस्तुति दी गई।
मुख्य अतिथि विधायक शक्ति लाल शाह ने कहा कि बूढ़ाकेदार धाम व गुरु कैलापीर क्षेत्र के मुख्य आराध्य देवता हैं। पहाड़ के त्योहारों और मेलों में शामिल गुरु कैलापीर मेला एक प्रसिद्ध मेला है। क्षेत्र के विकास के लिए कार्य योजना बनाकर काम किया जा रहा। इस मौके पर दायित्वधारी वीरेंद्र दत्त सेमवाल, ब्लॉक प्रमुख कंडारी, मंदिर समिति के अध्यक्ष भूपेंद्र नेगी, प्रधान बचेेंद्र प्रसाद सेमवाल, पलायन निवारण आयोग के सदस्य रामप्रकाश पैन्यूली, जिला पंचायत सदस्य मकानी देवी, बीडीसी गंगा, ममता सेमवाल, संतोषी, डॉ. विजय प्रकाश नेगी मौजूद रहे।