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Uttarakhand: जाली प्रमाणपत्रों से कैसे हथियाई गईं सरकारी नौकरियां? कैसे बाहर के लोग बने पहाड़ के शिक्षक?

अमर उजाला नेटवर्क, ऊधम सिंह नगर Updated Thu, 06 Nov 2025 01:05 PM IST
सार

उत्तराखंड के शिक्षा विभाग में सहायक अध्यापक भर्ती में जाली प्रमाणपत्रों का बड़ा घोटाला सामने आया है। लगभग 40 लोगों ने नकली दस्तावेजों के जरिए सरकारी नौकरियां हासिल कीं, जबकि युवा बेरोजगार रह गए। 

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Government job grabbed in education department by using fake documents
धोखाधड़ी
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विस्तार
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उत्तराखंड के शिक्षा विभाग में जाली प्रमाणपत्रों के जरिए भर्ती का खेल सामने आया है। जाली दस्तावेजों के सहारे सरकारी नौकरी हथियाने वालों ने पहाड़ के युवाओं के हक पर खुला डाका डाला। मेहनत करने वाले, मेरिट पाने वाले स्थानीय अभ्यर्थी बेरोजगारी की मार झेलते रहे और बाहर से आए कुछ लोगों ने जाली दस्तावेज से सहायक अध्यापक बन बए। अब तक ऐसे 40 फर्जी लोगों की जानकारी सामने आ चुकी है।

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उत्तराखंड में वर्ष 2024 में प्राथमिक शिक्षा में डीएलएड धारी लोगों के लिए सहायक अध्यापक की भर्ती प्रक्रिया शुरू हुई। इसके लिए ऊधमसिंह नगर में कुल 309 पद स्वीकृत थे। इसमें से बैकलॉग के 44 पद और दिव्यांग कोटे की भी कुछ सीटें खाली रह गईं। इसमें करीब 256 लोगों की नियुक्ति प्रक्रिया पूरी की गई। इनमें से 40 सहायक शिक्षक ऐसे हैं जिन्होंने उत्तराखंड के युवाओं का हक मारकर फर्जी दस्तावेजों के बूते नौकरी पा ली। सिस्टम की आंखों में धूल झाेंककर प्रक्रिया में शामिल हो गए। फिर मेरिट सूची में जगह बनाकर और शपथपत्र पर नियुक्ति मिलने के बाद सरकारी शिक्षक बन गए।
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सिस्टम की आंखों में ऐसे झोंकी धूल
शिक्षा विभाग के मुताबिक उत्तर प्रदेश सरकार ने 2017 में शासनादेश जारी किया था कि उत्तर प्रदेश में डीएलएड प्रशिक्षण के लिए उत्तर प्रदेश का स्थायी निवासी होना जरूरी है। ऊधमसिंह नगर में परिवीक्षा पर सहायक अध्यापक की नौकरी कर रहे 40 लोगों ने डीएलएड उत्तर प्रदेश से किया है। इसके लिए उन्होंने यूपी का स्थायी निवास प्रमाणपत्र लगाया। जब उत्तराखंड में भर्ती निकली तो ये लोग फर्जी तरीके से कागजों में उत्तराखंड निवासी बन गए। जाली स्थायी निवास प्रमाणपत्र के आधार पर उन्हें यहां सहायक अध्यापक की नौकरी मिल गई। मेरिट में आने के कारण इन्हें शपथपत्र के आधार पर परिवीक्षा पर नियुक्ति तो दे दी गई लेकिन अब 40 अध्यापक शिक्षा विभाग के रडार पर आ गए हैं।

तहसीलों की भूमिका जांच के दायरे में
सहायक शिक्षक भर्ती के लिए बड़ी संख्या में उत्तर प्रदेश के अभ्यर्थियों ने आवेदन किया था। कइयों को नौकरी भी मिली। एक ही समय में दो राज्यों से स्थायी निवास प्रमाणपत्र कैसे बन सकता है। सवाल उठना लाजिमी है कि तहसील प्रशासन ने किस आधार पर इनको उत्तराखंड का स्थायी निवास प्रमाणपत्र जारी कर दिया।

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