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पीएम मोदी ने पुतिन को दिए ये 6 खास तोहफे
अमर उजाला डिजिटल डॉट कॉम Published by: आदर्श Updated Sat, 06 Dec 2025 04:24 AM IST
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की मुलाकात में केवल कूटनीतिक बातचीत ही नहीं, बल्कि भारतीय विरासत और शिल्प कौशल की खुशबू भी महसूस की गई। मोदी ने पुतिन को कई ऐसे खास उपहार भेंट किए, जो भारत-रूस की दशकों पुरानी दोस्ती, सांस्कृतिक रिश्तों और विश्वास की भावना को और मजबूत बनाते हैं। यह उपहार सिर्फ प्रतीकात्मक वस्तुएं नहीं, बल्कि भारतीय कला, खेती, साहित्य, आध्यात्मिकता और हस्तकला की समृद्ध परंपरा का प्रतिनिधित्व करते हैं।
सबसे प्रभावी और भावनात्मक उपहार रहा रूसी भाषा में श्रीमद्भगवद गीता का अनुवाद। महाभारत का यह दिव्य ग्रंथ दुनिया भर में आध्यात्मिक मार्गदर्शक माना जाता है। भगवान कृष्ण द्वारा अर्जुन को दिए गए उपदेश आज भी मानवता, कर्तव्य और धर्म के आधार माने जाते हैं। इसे रूसी भाषा में भेंट करना दोनों देशों के सांस्कृतिक जुड़ाव की एक गहरी अभिव्यक्ति है।
इसके बाद बात आती है कश्मीर के उत्कृष्ट केसर की जिसे ‘कांग’ या ‘जफरान’ कहा जाता है। यह दुनिया का सबसे उम्दा केसर है, जिसके रंग, सुगंध और स्वाद की कोई तुलना नहीं। जीआई टैग प्राप्त यह केसर कश्मीर की प्राकृतिक समृद्धि और स्थानीय किसानों की मेहनत का प्रतीक है। इसे अक्सर ‘रेड गोल्ड’ कहा जाता है और यह भारत की कृषि विरासत को दर्शाता है।
उपहार सूची में भारत की शिल्प कला का एक शानदार उदाहरण भी शामिल रहा आगरा का संगमरमर शतरंज सेट। संगमरमर पर नाजुक इनले कार्य और महीन कारीगरी उत्तर भारत की सदियों पुरानी कला परंपरा की झलक देती है। यह सेट न केवल एक खेल वस्तु है, बल्कि एक कलात्मक स्मृति चिह्न भी है, जो आगरा की प्रसिद्ध मार्बल इनले क्राफ्ट को अंतरराष्ट्रीय मंच पर प्रस्तुत करता है।
भारतीय धातु कला का प्रतिनिधित्व करती महाराष्ट्र की चांदी की घोड़े की प्रतिमा भी पुतिन को भेंट की गई। इस घोड़े की मूर्ति पर की गई सूक्ष्म नक्काशी भारतीय शिल्प कौशल की परिष्कृत परंपरा को दर्शाती है। घोड़ा शक्ति, साहस और आगे बढ़ने का प्रतीक माना जाता है, जो भारत-रूस संबंधों की प्रगति को दर्शाने का एक खूबसूरत रूपक है।
इसके साथ पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद की सिल्वर टी सेट भी उपहारों में शामिल रही। यह सेट बारीक नक्काशी और पारंपरिक धातुकला का उत्कृष्ट नमूना है। भारत और रूस दोनों ही देशों में चाय बातचीत और सांस्कृतिक मेलजोल का माध्यम मानी जाती है, ऐसे में यह उपहार दोनों देशों की समान सामाजिक आदतों को भी दर्शाता है।
उपहारों की इस श्रृंखला को पूरा करती है असम की फाइन ब्लैक टी, जो अपने गहरे स्वाद और खास सुगंध के लिए प्रसिद्ध है। 2007 में जीआई टैग प्राप्त यह चाय ब्रह्मपुत्र घाटी की उपजाऊ धरती और पारंपरिक खेती की पहचान है।
इन उपहारों ने न केवल पुतिन को भारतीय विरासत की झलक दिखाई, बल्कि यह भी संदेश दिया कि भारत संबंधों को भावनाओं, संस्कृति और परंपराओं के साथ जोड़कर देखता है। यह मुलाकात कूटनीतिक रणनीति से आगे बढ़कर दो देशों के सांस्कृतिक सेतु को और मजबूत करती दिखाई दी।
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