कांग्रेस नेता संदीप दीक्षित कहते हैं, "क्या दिल्ली में कोई ऐसी कवायद की गई है जिससे ये सुनिश्चित हो सके कि जो भी व्यक्ति बिहार से वोट देने गया, वो दिल्ली में भी वोट न करे? मैं ये नहीं कह रहा कि वोट कटने चाहिए; मैं ये कह रहा हूँ कि सब कुछ क़ानून के मुताबिक़ होना चाहिए। वो (बीजेपी) वोटर लिस्ट साफ़ नहीं करना चाहते, बल्कि उसमें से विपक्ष के वोट साफ़ करना चाहते हैं। यही वजह है कि SIR एक मुद्दा है.हो सकता है हम इस मुद्दे को जनता तक ठीक से न पहुँचा पाए हों, लेकिन इसका मतलब ये नहीं कि SIR कोई मुद्दा नहीं है।"
कांग्रेस पार्टी ने SIR (सिस्टेमैटिक इंटेंसिव रिवीजन) के मुद्दे पर लगातार केंद्र सरकार और चुनाव आयोग (Election Commission) पर गंभीर आरोप लगाए हैं। उनका मुख्य आरोप यह है कि SIR की प्रक्रिया का दुरुपयोग करके वोटरों के नाम काटे जा रहे हैं, खासकर उन लोगों के जो गरीब, कमजोर और हाशिए पर रहने वाले समुदायों से हैं। कांग्रेस का कहना है कि यह एक सोची-समझी साजिश है जिसके तहत लोकतंत्र की हत्या की जा रही है और लोगों के वोट के अधिकार पर सीधा प्रहार किया जा रहा है।
कांग्रेस नेताओं ने आरोप लगाया है कि चुनाव आयोग, खासकर बिहार जैसे राज्यों में, सरकार के साथ मिलीभगत करके काम कर रहा है और वोट चोरी व धांधली कर रहा है। उन्होंने यहां तक कहा है कि मुख्य चुनाव आयुक्त भाजपा की 'बी-टीम' के रूप में काम कर रहे हैं। कांग्रेस ने SIR की प्रक्रिया पर सवाल उठाते हुए यह मांग की है कि इसे रोका जाए और उन्होंने इसके खिलाफ सड़क से सदन तक लड़ाई लड़ने का संकल्प लिया है। पार्टी ने कई बार संसद परिसर में प्रदर्शन किया है और 'SIR- लोकतंत्र पर वार' जैसे नारे लगाए हैं।
इसके अलावा, उन्होंने SIR से प्रभावित 12 राज्यों के शीर्ष पदाधिकारियों की बैठकें भी बुलाई हैं, ताकि इस मुद्दे पर आगे की रणनीति तैयार की जा सके। कांग्रेस पार्टी ने सुप्रीम कोर्ट द्वारा आधार कार्ड को पहचान दस्तावेज के रूप में मान्यता देने के फैसले का स्वागत करते हुए कहा था कि कोर्ट ने भाजपा-जदयू और चुनाव आयोग की सांठगांठ पर पानी फेर दिया है, जो यह दर्शाता है कि कांग्रेस SIR को राजनीतिक विरोधी दलों को नुकसान पहुंचाने के एक उपकरण के रूप में देखती है।