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ईरान में चुनाव: हसन रूहानी के कार्यकाल में ही बन जाएगी परमाणु डील पर सहमति?

वर्ल्ड डेस्क, अमर उजाला, तेहरान Published by: Harendra Chaudhary Updated Thu, 20 May 2021 07:40 PM IST
सार

अमेरिका को डील में वापस लाने के लिए वियना में चल रही वार्ता का चौथा दौर अगले हफ्ते होना है। इस बीच खबर यह है कि दोनों पक्षों के वार्ताकार अपनी सरकारों से अंतिम निर्देश लेने के मकसद से तेहरान और वाशिंगटन चले गए हैं। गौरतलब है कि ईरान परमाणु डील 2015 में हुआ था...

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According to the chief negotiator of Iran, possibility of Iran nuclear deal can be implemented again during the tenure of Iran's President Hassan Rouhani
हसन रूहानी (फाइल फोटो) - फोटो : Agency (File Photo)
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विस्तार
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ईरान परमाणु डील में अमेरिका को फिर से शामिल करने के लिए चल रही बातचीत में प्रगति पर ईरान ने संतोष जताया है। संभावना जताई गई है कि अगले हफ्ते वियना में होने वाली बातचीत में करार में अमेरिका की वापसी की शर्तें तय हो जाएंगी। ईरान के मुख्य वार्ताकार के मुताबिक ये मुमकिन है कि ईरान के राष्ट्रपति हसन रूहानी के कार्यकाल में ही ये समझौता फिर से अमल में आ जाए। ईरान में अगले 18 जून को नए राष्ट्रपति का चुनाव होना है।

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अमेरिका को डील में वापस लाने के लिए वियना में चल रही वार्ता का चौथा दौर अगले हफ्ते होना है। इस बीच खबर यह है कि दोनों पक्षों के वार्ताकार अपनी सरकारों से अंतिम निर्देश लेने के मकसद से तेहरान और वाशिंगटन चले गए हैं। गौरतलब है कि ईरान परमाणु डील 2015 में हुआ था। उस पर एक तरफ से ईरान और दूसरी तरफ से अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस, चीन और जर्मनी ने दस्तखत किए थे। उस समय बराक ओबामा अमेरिका के राष्ट्रपति थे। 2017 में राष्ट्रपति बनने के बाद डोनाल्ड ट्रंप ने अमेरिका को इस समझौते से निकाल लिया। जो बाइडन ने पिछले राष्ट्रपति चुनाव में वादा किया था कि वे जीते, तो फिर से अमेरिका को इस करार का हिस्सा बनाएंगे। उनके उसी वादे के मुताबिक वियना में बातचीत चल रही है।
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ईरान के मुख्य वार्ताकार अब्बास अराघची ने बुधवार को कहा- ‘मेरी राय में पिछले दो हफ्तों में अच्छी प्रगति हुई है। कुछ मुख्य मुद्दे बाकी रह गए हैं, जिन पर आगे बातचीत होनी है। उन पर दोनों देशों की सरकारों को निर्णय लेना है।’ यूरोपियन यूनियन के वार्ताकार एनरिक मोरा ने विश्वास जताया है कि समझौता हो जाएगा, हालांकि उन्होंने कहा कि कुछ बड़े मसले हल होने अभी बाकी हैं।

जानकारों के मुताबिक बातचीत मुख्य रूप से तीन मुद्दों पर केंद्रित है। ये हैं- ईरान पर लगाई गई वे कौन-कौन सी खास पाबंदियां हैं जिन्हें हटाने को अमेरिका तैयार है, अमेरिका के समझौते से हटने के बाद यूरेनियम संवर्धन की दिशा में ईरान ने जो कदम उठाए उन्हें वापस लेने के लिए उसे कितना वक्त दिया जाए और इस दौरान ने परमाणु हथियार बनाने संबंधी जो ज्ञान ईरान ने हासिल कर लिए हैं, उनके बारे में क्या किया जाए। गौरतलब है कि इस दौरान ने ईरान ने यूरेनियन के 60 फीसदी तक संवर्धन की क्षमता हासिल कर ली है।

ईरान के राष्ट्रपति हसन रूहानी ने बुधवार को कहा कि ईरान के वार्ताकार सर्वोच्च नेता अयातुल्लाह खामेनई के दिशा-निर्देशों के मुताबिक वियना वार्ता में हिस्सा ले रहे हैं। उन्होंने कहा- ‘मैं ईरान के लोगों से वादा करता हूं कि वियना वार्ता का अंत उनकी जीत के रूप मे होगा। इस दिशा में बड़े कदम उठा लिए गए हैं। अगर कोई राष्ट्रीय हितों को ताक पर रख कर दलीय हितों को तरजीह देता है, तो यह देश से विश्वासघात होगा।’

विश्लेषकों के मुताबिक रूहानी के निशाने पर राष्ट्रपति चुनाव में उतरे कट्टरपंथी उम्मीदवार थे। उन उम्मीदवारों ने परमाणु मुद्दे पर रूहानी के रुख की आलोचना की है। माना जाता है कि अगर कट्टरपथियों की जीत हुई, तो फिर ईरान परमाणु डील को फिर से जिंदा करना ज्यादा मुश्किल हो जाएगा। इसीलिए वार्ता में शामिल दूसरे देशों ने भी रूहानी के राष्ट्रपति रहते समझौते को अंतिम रूप देने की कोशिशों में पूरी ताकत झोंक दी है।

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