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अमेरिका में आप्रवासन सुधार का एक रोड़ा खत्म

Updated Fri, 28 Jun 2013 07:42 AM IST
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अमेरिकी सीनेट ने एच-1बी वीज़ा में भारी बढ़ोतरी और एक करोड़ से ज़्यादा ग़ैरकानूनी आप्रवासियों को नागरिकता देने वाले एक विधेयक को मंज़ूरी दे दी है।

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देश के आप्रवास क़ानून में व्यापक बदलाव लाने वाले इस विधेयक को राष्ट्रपति ओबामा का पूरा समर्थन प्राप्त है लेकिन रिपब्लिकन बहुमत वाली अमेरिकी कांग्रेस के निचले सदन में इसकी असल परीक्षा होगी। वहां मंज़ूरी मिलने के बाद ही ये क़ानून बन सकेगा।
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इस विधेयक को आठ सीनेट सदस्यों ने मिलकर पेश किया जिनमें चार डेमोक्रेट हैं और चार रिपब्लिकन।

सीनेट में पारित विधेयक के तहत देश में वर्षों से ग़ैरक़ानूनी तरीके से रह रहे एक करोड़ दस लाख लोगों को नागरिकता देने के लिए 13 साल का एक रोडमैप रखा गया है।

इसमें ज़्यादातर ऐसे लोग हैं जो वीज़ा ख़त्म होने के बाद भी अमेरिका में ही बस गए या फिर जो चोरी-छिपे मैक्सिको से अमेरिकी सीमा में प्रवेश कर गए।

ऐसे लोगों को इस क़ानून के पारित हो जाने के बाद एक कागज़ात दिया जाएगा जिससे वो क़ानूनी तरीके से नौकरी कर सकेंगे।

विधेयक में अमेरिका और मैक्सिको की सीमा को पूरी तरह से सील करने के लिए 700 मील लंबी बाड़, 20,000 नए सीमा प्रहरी और निगरानी के लिए ड्रोन जैसी नई टेक्नॉलॉजी के लिए अरबों डॉलर का बजट भी मंज़ूर हुआ है।

एच1-बी वीज़ा

इंज़ीनियर, डॉक्टर जैसै हुनरमंद नौकरियों के लिए दिए जानेवाले एच1-बी वीज़ा की सालाना संख्या को 65,000 से बढ़ाकर 1,15,000 किया है और इसे 1,80,000 तब बढ़ाने की गुंजाइश रखी गई है, टेक्नॉलॉजी उद्योग से जुड़े संगठनों की ओर से इस बात का ख़ासा दबाव था।

वहीं क़ानूनी रूप से अमेरिका में बसनवालों के लिए भी काबिलियत के आधार पर एक प्वाइंट सिस्टम तैयार किया जाएगा जिसमें पारिवारिक रिश्तों से ज़्यादा शिक्षा, नौकरी और उम्र को ज़्यादा अंक मिलेंगे।

अमेरिका आकर नई कंपनी की शुरूआत करनेवालों को तीन साल का वीज़ा मिलेगा।

मुश्किल है राह


राष्ट्रपति बराक ओबामा ने इस विधेयक का स्वागत करते हुए कहा है कि सीनेट का ये फ़ैसला देश की जर्जर आप्रवास क़ानून को सुधारने की ओर एक बड़ा कदम है।

लेकिन इस विधेयक की असली परीक्षा कांग्रेस के निचले सदन में होगी जहां रिपब्लिकन पार्टी बहुमत में है।

रिपब्लिकन पार्टी का कहना है कि पहले सीमा को पूरी तरह से सुरक्षित करें और फिर नागरिकता का रास्ता खोलें। उनकी सोच अभी तक ये रही है कि जिन लोगों ने क़ानून तोड़ा है उन्हें ईनाम नहीं दिया जाना चाहिए।

लेकिन पिछले राष्ट्रपति चुनाव के परिणाम से उनके रूख में थोड़ा लचीलापन नज़र आया है। उस चुनाव में लातिनी मतदाताओं का 71 प्रतिशत वोट बराक ओबामा के पक्ष में गया था।

ग़ैरक़ानूनी तरीके से अमेरिका में रह रहे ज़्यादातर लोग लातिनी अमेरिका से हैं और उनके ख़िलाफ़ जब भी क़ानूनी कार्रवाई होती है तो उसका असर वहां की नागरिकता हासिल कर चुके लातिनी मूल के लोगों पर भी होता है।

माना जा रहा है कि निचले सदन में इस विधेयक को पारित करने से पहले रिपब्लिकन सदस्य इसमें काफ़ी फेरबदल की मांग करेंगे।

देखने वाली बात ये होगी कि ओबामा प्रशासन और उनकी डेमोक्रेटिक पार्टी किस हद तक इस बदलाव को मंज़ूर करेंगे।

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