Bangladesh Politics: रहमान की वापसी से कितना अंतर पड़ेगा? पूर्व भारतीय राजदूत ने बताई कूटनीतिक-सियासी बारीकी
बांग्लादेश में फरवरी महीने में आम चुनाव होने वाले हैं, लेकिन उससे पहले आज एक बड़ा राजनीतिक घटनाक्रम देश में होने जा रहा है। 17 साल तक निर्वासन में रहने के बाद बीएनपी नेता तारिक रहमान की स्वदेश वापसी हो रही है। उनकी वापसी और भारत के साथ बांग्लादेश के रिश्तों पर पूर्व भारतीय राजदूत ने कूटनीतिक और सियासी बारीकियां समझाई हैं।
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बांग्लादेश की राजनीति में चल रहा खतरनाक खेल- पूर्व राजदूत
विद्या भूषण सोनी ने कहा कि बांग्लादेश की राजनीति में इस समय 'एक खतरनाक खेल' चल रहा है। उनके मुताबिक, किसी भी लोकतांत्रिक चुनाव के लिए जरूरी है कि सभी राजनीतिक दलों को भाग लेने का मौका मिले, लेकिन आवामी लीग को चुनाव प्रक्रिया से बाहर रखा गया, जिससे चुनाव की निष्पक्षता और प्रतिनिधित्व पर सवाल खड़े होते हैं। उन्होंने कहा, 'जब सभी दलों को बराबर अवसर ही नहीं दिया गया, तो ऐसे चुनाव को वास्तविक प्रतिनिधि चुनाव कैसे कहा जा सकता है?'
#WATCH | Massachusetts, US | On BNP (Bangladesh Nationalist Party) Acting Chairman Tarique Rahman's return to Bangladesh after living in London in exile for 17 years, Former Indian Ambassador Vidya Bhushan Soni says, "A dangerous game is going on in Bangladesh politics... All the… pic.twitter.com/nBCSIH7OXH
— ANI (@ANI) December 25, 2025
'एक ही व्यक्ति पर सारी उम्मीदें टिकाना बड़ा जोखिम'
तारिक रहमान की वापसी पर टिप्पणी करते हुए पूर्व राजदूत ने कहा कि जो नेता 17 साल तक देश से बाहर रहे हों, वे जमीन पर जनता की नब्ज को कितना समझ पाएंगे, यह एक बड़ा सवाल है।
उन्होंने कहा कि एक ही व्यक्ति पर सारी राजनीतिक उम्मीदें टिकाना बड़ा जोखिम है। सोनी ने यह भी कहा कि बांग्लादेश को इस दौर में समझदारी, खुले विचार और ईश्वरीय कृपा; तीनों की जरूरत है, तभी वहां लोकतंत्र की सही मायनों में वापसी संभव हो पाएगी।
भारत-बांग्लादेश संबंधों पर चिंता
भारत-बांग्लादेश संबंधों को लेकर विद्या भूषण सोनी ने कहा कि बांग्लादेश की मौजूदा सत्ताधारी व्यवस्था का मूड भारत के प्रति सकारात्मक नहीं दिखता। उनके अनुसार, भारत विरोधी भावनाओं को सड़कों तक भड़काया गया है, जो दीर्घकाल में दोनों देशों के रिश्तों के लिए नुकसानदेह हो सकता है। उन्होंने कहा कि यह सब राजनीतिक फायदेके लिए किया जा रहा हो सकता है। हालांकि, उन्होंने यह भी साफ किया कि भारत धैर्य रखे हुए हैऔर उसे भरोसा है कि आखिरकार बांग्लादेश में समझदारी जीत हासिल करेगी। पूर्व राजदूत ने कहा, 'भारत ने हमेशा बांग्लादेश का मार्गदर्शन किया है। भारत के बिना बांग्लादेश आगे नहीं बढ़ सकता। यह बात उनके हित में भी है, सिर्फ भारत के हित में नहीं।'
#WATCH | Massachusetts, US | On India-Bangladesh ties, Former Indian Ambassador Vidya Bhushan Soni says, "The present mood in the ruling establishment is not terribly positive towards India. They are the ones who have encouraged people on the street to rise against India... It… pic.twitter.com/RpsRCkLAuw
— ANI (@ANI) December 25, 2025
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पाकिस्तान विकल्प नहीं
पाकिस्तान की ओर झुकाव की संभावनाओं पर बोलते हुए पूर्व राजदूत ने कहा कि बांग्लादेश के पास विकल्प बहुत सीमित हैं। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान खुद राजनीतिक और आर्थिक संकट से जूझ रहा है और वह बांग्लादेश को ज्यादा कुछ नहीं दे सकता, सिवाय धार्मिक आधार पर कुछ समर्थन के। पूर्व राजदूत के मुताबिक, 'यह समर्थन बांग्लादेश को लंबे समय तक आगे नहीं ले जा सकता।'
बांग्लादेश की अग्रणी पार्टी बनकर उभरी बीएनपी
5 अगस्त, 2024 को 'जुलाई विद्रोह' कहे जाने वाले छात्र-नेतृत्व वाले हिंसक आंदोलन में शेख हसीना की अवामी लीग सरकार को गिराने के बाद बदले हुए राजनीतिक परिदृश्य में बीएनपी एक अग्रणी पार्टी के रूप में उभरी है। 2001-2006 के अपने सत्ताकाल में पार्टी की साझेदार जमात-ए-इस्लामी और उसके इस्लामी सहयोगी, अब बीएनपी के मुख्य प्रतिद्वंद्वी के रूप में सामने आए हैं, क्योंकि अंतरिम सरकार ने एक कार्यकारी आदेश के माध्यम से देश के कड़े आतंकवाद विरोधी कानून के तहत अवामी लीग को भंग कर दिया है।
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