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Bangladesh: बांग्लादेश चुनाव आयोग ने आम चुनाव के लिए रोडमैप किया जारी, अगले साल रमजान से पहले होगा मतदान
वर्ल्ड डेस्क, अमर उजाला, ढाका
Published by: पवन पांडेय
Updated Thu, 28 Aug 2025 11:28 PM IST
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सार
5 अगस्त को राष्ट्र के नाम संबोधन में यूनुस ने कहा था कि 13वां संसदीय चुनाव रमजान से पहले, यानी फरवरी में होगा। लेकिन अब चुनाव आयोग की ओर से रोडमैप घोषित होते ही सियासी विवाद शुरू हो गया है। नए उभरते छात्र-आधारित दल नेशनल सिटिजन पार्टी ने इस पर आपत्ति जताई है।

प्रोफेसर मुहम्मद यूनुस, बांग्लदेश की अंतरिम सरकार के मुख्य सलाहकार
- फोटो : X @ChiefAdviserGoB
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विस्तार
बांग्लादेश के शीर्ष चुनाव आयोग ने गुरुवार को अगले साल फरवरी में होने वाले आम चुनाव के लिए आधिकारिक रोडमैप जारी कर दिया। आयोग ने कहा कि चुनाव की तारीख से कम से कम 60 दिन पहले पूरा शेड्यूल घोषित कर दिया जाएगा। चुनाव आयोग के वरिष्ठ सचिव अख्तर अहमद ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया, 'मुख्य सलाहकार कार्यालय ने हमसे कहा है कि चुनाव रमजान से पहले कराए जाएं। अगर मैं गलत नहीं हूं तो रमजान 17 या 18 फरवरी से शुरू होगा। इससे आप संभावित चुनाव की तारीख का अंदाजा लगा सकते हैं।'
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सितंबर तक दलों से बातचीत
अहमद ने बताया कि रोडमैप के तहत राजनीतिक दलों और अन्य हितधारकों के साथ चर्चा सितंबर के अंत तक पूरी करने का लक्ष्य है। यह प्रक्रिया करीब डेढ़ महीने तक चल सकती है। आयोग ने फरवरी के पहले पखवाड़े में चुनाव कराने का लक्ष्य तय किया है। यह पूरा रोडमैप अंतरिम सरकार के मुख्य सलाहकार और नोबेल विजेता प्रोफेसर मोहम्मद यूनुस के निर्देशों के आधार पर तैयार किया गया है। इसे बुधवार को आयोग की मंजूरी भी मिल गई।
24 अहम कार्यों पर जोर
रोडमैप में कुल 24 प्रमुख कार्यों को प्राथमिकता दी गई है। इनमें लोक प्रतिनिधित्व आदेश (आरपीओ) और निर्वाचन क्षेत्रों का परिसीमन अधिनियम जैसे अध्याय में संशोधन, मतदाता सूची अधिनियम एवं निर्वाचन अधिकारी (विशेष प्रावधान) अधिनियम 1991 में सुधार, चुनाव आयोग सचिवालय अधिनियम 2009 की समीक्षा, चरणबद्ध तरीके से मतदाता सूची का अंतिम रूप, देशी-विदेशी चुनाव पर्यवेक्षकों और पत्रकारों के लिए नीति, नए राजनीतिक दलों का पंजीकरण शामिल हैं। अहमद ने कहा कि चुनाव की आधिकारिक घोषणा दिसंबर के दूसरे या तीसरे हफ्ते में की जा सकती है।
यूनुस की घोषणा और सियासी असंतोष
5 अगस्त को राष्ट्र के नाम संबोधन में यूनुस ने कहा था कि 13वां संसदीय चुनाव रमजान से पहले, यानी फरवरी में होगा। लेकिन अब चुनाव आयोग की ओर से रोडमैप घोषित होते ही सियासी विवाद शुरू हो गया है। नए उभरते छात्र-आधारित दल नेशनल सिटिजन पार्टी ने इस पर आपत्ति जताई है। एनसीपी का कहना है कि सरकार ने वादाखिलाफी की है। दरअसल, एनसीपी उसी भेदभाव के खिलाफ छात्र (एसएडी) आंदोलन से निकला संगठन है, जिसने पिछले साल बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन करके शेख हसीना की सरकार को सत्ता से बाहर किया था। एनसीपी के संयुक्त संयोजक और पूर्व एसएडी नेता अरिफुल इस्लाम अदीब ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, 'जुलाई चार्टर लागू करने से पहले रोडमैप लाना वादाखिलाफी है। इससे भविष्य में संकट खड़ा होगा और इसकी जिम्मेदारी सरकार पर होगी।' एनसीपी मांग कर रहा है कि 'जुलाई चार्टर' के तहत नई संविधान सभा गठित कर नया संविधान बनाया जाए, ताकि 1972 के मौजूदा संविधान को बदला जा सके।
यह भी पढ़ें - Pakistan Flood: पाकिस्तान के पंजाब में बाढ़ से तबाही, 24 घंटे में 17 की मौत; सुरक्षित जगह पहुंचाए गए लाखों लोग
अन्य दलों की मांगें
जमात-ए-इस्लामी: अनुपातिक प्रतिनिधित्व प्रणाली के तहत चुनाव कराने की मांग कर रही है ताकि संसद में उनकी हिस्सेदारी बढ़े। बीएनपी (बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी): शेख हसीना की अनुपस्थिति में यह सबसे बड़ा दल बनकर उभरा है। यूनुस सरकार ने कार्यकारी आदेश के तहत अवामी लीग की गतिविधियों को बंद कर दिया था। जमात और एनसीपी दोनों इस बात पर भी जोर दे रहे हैं कि पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना और उनकी सरकार के नेताओं के खिलाफ मुकदमे जल्द पूरे किए जाएं। हसीना इस वक्त अनुपस्थिति में अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायाधिकरण (आईसीटी) में कई मामलों का सामना कर रही हैं। हालांकि यूनुस और उनके सलाहकार लगातार आश्वासन दे रहे हैं कि फरवरी से पहले मुक्त और निष्पक्ष चुनाव होंगे, लेकिन राजनीतिक दलों में अभी भी संदेह गहराता जा रहा है। एनसीपी के बयानों और विरोधी रुख ने इस असमंजस को और बढ़ा दिया है।

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सितंबर तक दलों से बातचीत
अहमद ने बताया कि रोडमैप के तहत राजनीतिक दलों और अन्य हितधारकों के साथ चर्चा सितंबर के अंत तक पूरी करने का लक्ष्य है। यह प्रक्रिया करीब डेढ़ महीने तक चल सकती है। आयोग ने फरवरी के पहले पखवाड़े में चुनाव कराने का लक्ष्य तय किया है। यह पूरा रोडमैप अंतरिम सरकार के मुख्य सलाहकार और नोबेल विजेता प्रोफेसर मोहम्मद यूनुस के निर्देशों के आधार पर तैयार किया गया है। इसे बुधवार को आयोग की मंजूरी भी मिल गई।
24 अहम कार्यों पर जोर
रोडमैप में कुल 24 प्रमुख कार्यों को प्राथमिकता दी गई है। इनमें लोक प्रतिनिधित्व आदेश (आरपीओ) और निर्वाचन क्षेत्रों का परिसीमन अधिनियम जैसे अध्याय में संशोधन, मतदाता सूची अधिनियम एवं निर्वाचन अधिकारी (विशेष प्रावधान) अधिनियम 1991 में सुधार, चुनाव आयोग सचिवालय अधिनियम 2009 की समीक्षा, चरणबद्ध तरीके से मतदाता सूची का अंतिम रूप, देशी-विदेशी चुनाव पर्यवेक्षकों और पत्रकारों के लिए नीति, नए राजनीतिक दलों का पंजीकरण शामिल हैं। अहमद ने कहा कि चुनाव की आधिकारिक घोषणा दिसंबर के दूसरे या तीसरे हफ्ते में की जा सकती है।
यूनुस की घोषणा और सियासी असंतोष
5 अगस्त को राष्ट्र के नाम संबोधन में यूनुस ने कहा था कि 13वां संसदीय चुनाव रमजान से पहले, यानी फरवरी में होगा। लेकिन अब चुनाव आयोग की ओर से रोडमैप घोषित होते ही सियासी विवाद शुरू हो गया है। नए उभरते छात्र-आधारित दल नेशनल सिटिजन पार्टी ने इस पर आपत्ति जताई है। एनसीपी का कहना है कि सरकार ने वादाखिलाफी की है। दरअसल, एनसीपी उसी भेदभाव के खिलाफ छात्र (एसएडी) आंदोलन से निकला संगठन है, जिसने पिछले साल बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन करके शेख हसीना की सरकार को सत्ता से बाहर किया था। एनसीपी के संयुक्त संयोजक और पूर्व एसएडी नेता अरिफुल इस्लाम अदीब ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, 'जुलाई चार्टर लागू करने से पहले रोडमैप लाना वादाखिलाफी है। इससे भविष्य में संकट खड़ा होगा और इसकी जिम्मेदारी सरकार पर होगी।' एनसीपी मांग कर रहा है कि 'जुलाई चार्टर' के तहत नई संविधान सभा गठित कर नया संविधान बनाया जाए, ताकि 1972 के मौजूदा संविधान को बदला जा सके।
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अन्य दलों की मांगें
जमात-ए-इस्लामी: अनुपातिक प्रतिनिधित्व प्रणाली के तहत चुनाव कराने की मांग कर रही है ताकि संसद में उनकी हिस्सेदारी बढ़े। बीएनपी (बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी): शेख हसीना की अनुपस्थिति में यह सबसे बड़ा दल बनकर उभरा है। यूनुस सरकार ने कार्यकारी आदेश के तहत अवामी लीग की गतिविधियों को बंद कर दिया था। जमात और एनसीपी दोनों इस बात पर भी जोर दे रहे हैं कि पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना और उनकी सरकार के नेताओं के खिलाफ मुकदमे जल्द पूरे किए जाएं। हसीना इस वक्त अनुपस्थिति में अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायाधिकरण (आईसीटी) में कई मामलों का सामना कर रही हैं। हालांकि यूनुस और उनके सलाहकार लगातार आश्वासन दे रहे हैं कि फरवरी से पहले मुक्त और निष्पक्ष चुनाव होंगे, लेकिन राजनीतिक दलों में अभी भी संदेह गहराता जा रहा है। एनसीपी के बयानों और विरोधी रुख ने इस असमंजस को और बढ़ा दिया है।
general election in Bangladesh