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China: 'टैरिफ-प्रतिबंध युद्ध का समाधान नहीं...', चीन ने रूसी तेल आयात पर अमेरिकी प्रस्ताव को किया खारिज
वर्ल्ड डेस्क, अमर उजाला, बीजिंग
Published by: हिमांशु चंदेल
Updated Sun, 14 Sep 2025 11:13 PM IST
सार
चीन ने अमेरिका के उस प्रस्ताव को ठुकरा दिया जिसमें जी7 देशों से रूस से तेल खरीदने वालों पर टैरिफ लगाने को कहा गया था। विदेश मंत्री वांग यी ने कहा कि युद्ध समाधान नहीं है और प्रतिबंध समस्याओं को और बढ़ाते हैं। अमेरिकी वित्त मंत्री स्कॉट बेसेंट ने ट्रंप के आह्वान को दोहराते हुए रूस की आय रोकने की बात कही थी।
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डोनाल्ड ट्रंप और शी जिनपिंग
- फोटो : ANI
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विस्तार
बीजिंग ने अमेरिका के उस प्रस्ताव को सिरे से खारिज कर दिया है जिसमें जी7 देशों से रूस से तेल खरीदने वाले देशों पर टैरिफ लगाने की मांग की गई थी। चीन के विदेश मंत्री वांग यी ने साफ कहा कि युद्ध किसी समस्या का समाधान नहीं है और प्रतिबंध मुद्दों को और जटिल बना देते हैं। यह बयान ऐसे समय आया है जब अमेरिकी वित्त मंत्री स्कॉट बेसेंट ने जी7 मंत्रियों से राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के आह्वान को दोहराते हुए रूस पर दबाव बनाने की अपील की थी।
वांग यी ने शनिवार को अपने स्लोवेनियाई समकक्ष तान्या फाजोन के साथ वार्ता के दौरान कहा कि चीन किसी युद्ध में शामिल नहीं होता और न ही युद्ध की योजना बनाता है। चीन का काम है शांति वार्ता को बढ़ावा देना और संवाद के जरिए विवादों का राजनीतिक समाधान तलाशना। उन्होंने दोहराया कि चीन हमेशा अंतरराष्ट्रीय विवादों को बातचीत और परामर्श से हल करने के पक्ष में रहा है।
अमेरिका की जी7 से अपील
अमेरिकी वित्त मंत्री बेसेंट ने जी7 देशों के वित्त मंत्रियों के साथ बातचीत में ट्रंप के इस रुख को दोहराया कि अगर जी7 सचमुच यूक्रेन युद्ध खत्म करने के लिए गंभीर है तो उन्हें भी रूस से तेल खरीदने वाले देशों पर टैरिफ लगाना चाहिए। अमेरिकी बयान के मुताबिक, केवल तभी रूस की युद्ध मशीन की आय को काटा जा सकता है और पर्याप्त दबाव बनाया जा सकता है।
ये भी पढ़ें- डोनाल्ड ट्रंप की टैरिफ चेतावनी पर भड़का ड्रैगन, कहा- चीन किसी युद्ध का हिस्सा नहीं...
भारत और चीन पर इशारा
हालांकि बेसेंट के बयान में किसी देश का नाम नहीं लिया गया, लेकिन अमेरिका पहले भी भारत और चीन पर आरोप लगाता रहा है कि वे रूस से तेल खरीदकर उसके खिलाफ बने दबाव को कमजोर कर रहे हैं। चीन ने इस पर पलटवार करते हुए कहा कि वह जिम्मेदार बड़ा देश है और उसका रिकॉर्ड शांति व सुरक्षा के मुद्दों पर सबसे बेहतर रहा है।
चीन का कड़ा जवाब
वांग यी ने कहा कि युद्ध समस्याओं का हल नहीं है, प्रतिबंध केवल उन्हें और कठिन बना देते हैं। उन्होंने अमेरिका की ओर से लगाए गए आरोपों को खारिज करते हुए स्पष्ट किया कि बीजिंग बातचीत के जरिए ही समाधान चाहता है। इस दौरान उन्होंने यह भी कहा कि आर्थिक प्रतिबंधों से अंतरराष्ट्रीय ऊर्जा बाजार और अस्थिर हो जाएंगे, जिससे गरीब देशों पर सबसे ज्यादा असर पड़ेगा।
ये भी पढ़ें- 'ब्रिटेन की सरकार में क्रांतिकारी बदलाव की जरूरत, आगे आए जनता', लंदन में प्रवासी विरोधी रैली में बोले मस्क
पुतिन पर आर्थिक दबाव की रणनीति
अमेरिका का मानना है कि रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की युद्ध मशीन को रोकने का सबसे बड़ा तरीका यही है कि उसकी तेल बिक्री से होने वाली आय को बंद किया जाए। इसी सोच के तहत अमेरिका चाहता है कि जी7 देश मिलकर रूस के तेल आयात करने वाले देशों पर आर्थिक दबाव डालें। लेकिन चीन के विरोध से यह पहल कमजोर पड़ती दिख रही है।
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अमेरिका की जी7 से अपील
अमेरिकी वित्त मंत्री बेसेंट ने जी7 देशों के वित्त मंत्रियों के साथ बातचीत में ट्रंप के इस रुख को दोहराया कि अगर जी7 सचमुच यूक्रेन युद्ध खत्म करने के लिए गंभीर है तो उन्हें भी रूस से तेल खरीदने वाले देशों पर टैरिफ लगाना चाहिए। अमेरिकी बयान के मुताबिक, केवल तभी रूस की युद्ध मशीन की आय को काटा जा सकता है और पर्याप्त दबाव बनाया जा सकता है।
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भारत और चीन पर इशारा
हालांकि बेसेंट के बयान में किसी देश का नाम नहीं लिया गया, लेकिन अमेरिका पहले भी भारत और चीन पर आरोप लगाता रहा है कि वे रूस से तेल खरीदकर उसके खिलाफ बने दबाव को कमजोर कर रहे हैं। चीन ने इस पर पलटवार करते हुए कहा कि वह जिम्मेदार बड़ा देश है और उसका रिकॉर्ड शांति व सुरक्षा के मुद्दों पर सबसे बेहतर रहा है।
चीन का कड़ा जवाब
वांग यी ने कहा कि युद्ध समस्याओं का हल नहीं है, प्रतिबंध केवल उन्हें और कठिन बना देते हैं। उन्होंने अमेरिका की ओर से लगाए गए आरोपों को खारिज करते हुए स्पष्ट किया कि बीजिंग बातचीत के जरिए ही समाधान चाहता है। इस दौरान उन्होंने यह भी कहा कि आर्थिक प्रतिबंधों से अंतरराष्ट्रीय ऊर्जा बाजार और अस्थिर हो जाएंगे, जिससे गरीब देशों पर सबसे ज्यादा असर पड़ेगा।
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पुतिन पर आर्थिक दबाव की रणनीति
अमेरिका का मानना है कि रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की युद्ध मशीन को रोकने का सबसे बड़ा तरीका यही है कि उसकी तेल बिक्री से होने वाली आय को बंद किया जाए। इसी सोच के तहत अमेरिका चाहता है कि जी7 देश मिलकर रूस के तेल आयात करने वाले देशों पर आर्थिक दबाव डालें। लेकिन चीन के विरोध से यह पहल कमजोर पड़ती दिख रही है।
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