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Belgium: 'आतंकवाद एक दिन आपको भी नुकसान पहुंचाएगा...', पाकिस्तान को लेकर जयशंकर की पश्चिमी देशों को फिर दो टूक
वर्ल्ड डेस्क, अमर उजाला, ब्रसेल्स।
Published by: निर्मल कांत
Updated Wed, 11 Jun 2025 04:31 PM IST
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सार
Belgium: विदेश मंत्री एस जयशंकर ने एक बार फिर आतंकवाद के मुद्दे पर पाकिस्तान पर निशाना साधा और पश्चिमी देशों को इसको लेकर आगाह किया। जयशंकर ने कहा कि भारत पाकिस्तान के बीच हालिया टकराव सैन्य संघर्ष नहीं बल्कि आतंकवाद के खिलाफ कार्रवाई थी।

विदेश मंत्री एस जयशंकर
- फोटो : पीटीआई (फाइल)
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विस्तार
विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने कहा कि भारत और पाकिस्तान के बीच हाल ही में जो टकराव हुआ, वह केवल दो पड़ोसी देशों के बीच संघर्ष नहीं था, बल्कि यह आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई थी और यही आतंकवाद एक दिन पश्चिमी देशों को भी नुकसान पहुंचाएगा। यह बात उन्होंने एक यूरोपीय समाचार वेबसाइट को बुधवार को दिए इंटरव्यू में कही। उन्होंने भारत और यूरोपीय संघ के बीच मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) की भी पैरवी की और कहा कि भारत कुशल श्रमिक और चीन की तुलना में अधिक भरोसेमंद आर्थिक साझेदारी प्रदान करता है।

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पाकिस्तान में खुद को सुरक्षित महसूस करता रहा बिन लादेन
जयशंकर ने कहा, 'मैं आपको कुछ याद दिलाना चाहता हूं, एक व्यक्ति था ओसामा बिन लादेन। सोचिए, वह आखिर क्यों पाकिस्तान के एक सैन्य कस्बे में उसकी सैन्य अकादमी के ठीक बगल में वर्षों तक खुद को महसूस करता रहा?' पहलगाम आतंकी हमले के जवाब में भारत की ओर से शुरू किए गए ऑपरेशन सिंदूर के एक महीने के बाद जयशंकर यूरोप के दौरे पर हैं। उनसे भारत और पाकिस्तान के बीच हाल ही में चार दिन तक चले संघर्ष के बारे में पूछा गया था।
ये भी पढ़ें: FTA: 'स्विट्जरलैंड की तकनीक से भारत को फायदा मिलेगा', पीयूष गोयल बोले- इस साल निर्यात 825 अरब डॉलर होगा
जयशंकर ने कहा, 'मैं आपको कुछ याद दिलाना चाहता हूं, एक व्यक्ति था ओसामा बिन लादेन। सोचिए, वह आखिर क्यों पाकिस्तान के एक सैन्य कस्बे में उसकी सैन्य अकादमी के ठीक बगल में वर्षों तक खुद को महसूस करता रहा?' पहलगाम आतंकी हमले के जवाब में भारत की ओर से शुरू किए गए ऑपरेशन सिंदूर के एक महीने के बाद जयशंकर यूरोप के दौरे पर हैं। उनसे भारत और पाकिस्तान के बीच हाल ही में चार दिन तक चले संघर्ष के बारे में पूछा गया था।
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पश्चिमी मीडिया की भी आलोचना की
उन्होंने कहा, मैं चाहता हूं कि दुनिया यह समझे कि यह केवल भारत-पाकिस्तान का मुद्दा नहीं है। यह आतंकवाद से जुड़ा मुद्दा है और वहीं आतंकवाद एख दिन आप लोगों (पश्चिमी देशों) के लिए भी समस्या बन जाएगा। उन्होंने अंतरराष्ट्रीय मीडिया की आलोचना करते हुए कहा कि मीडिया ने 'ऑपरेशन सिंदूर' को केवल दो परमाणु संपन्न पड़ोसियों की प्रतिक्रिया के रूप में दिखाया, जबकि यह असल में आतंकवाद के खिलाफ एक कार्रवाई थी।
उन्होंने कहा, मैं चाहता हूं कि दुनिया यह समझे कि यह केवल भारत-पाकिस्तान का मुद्दा नहीं है। यह आतंकवाद से जुड़ा मुद्दा है और वहीं आतंकवाद एख दिन आप लोगों (पश्चिमी देशों) के लिए भी समस्या बन जाएगा। उन्होंने अंतरराष्ट्रीय मीडिया की आलोचना करते हुए कहा कि मीडिया ने 'ऑपरेशन सिंदूर' को केवल दो परमाणु संपन्न पड़ोसियों की प्रतिक्रिया के रूप में दिखाया, जबकि यह असल में आतंकवाद के खिलाफ एक कार्रवाई थी।
पहलगाम आंतकी हमले में हुई थी 22 लोगों की मौत
दक्षिण कश्मीर के पहलगाम में 22 अप्रैल को आतंकी हमला हुआ था, जिसमें 26 लोगों की नृशंस तरीके से हत्या कर दी गई थी। इसके बाद भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव बढ़ गया। इस हमले के जवाब में भारत ने सात मई को पाकिस्तान और पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) में आतकी ठिकानों पर सटीक हमले किए थे। यह सैन्य संघर्ष चार दिन तक चला था। 10 मई को भारत और पाकिस्तान के सैन्य महानिदेशकों (डीजीएमओ) के बीच बातचीत हुई, जिसके बाद सैन्य कार्रवाई रोकने पर सहमति बनी।
दक्षिण कश्मीर के पहलगाम में 22 अप्रैल को आतंकी हमला हुआ था, जिसमें 26 लोगों की नृशंस तरीके से हत्या कर दी गई थी। इसके बाद भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव बढ़ गया। इस हमले के जवाब में भारत ने सात मई को पाकिस्तान और पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) में आतकी ठिकानों पर सटीक हमले किए थे। यह सैन्य संघर्ष चार दिन तक चला था। 10 मई को भारत और पाकिस्तान के सैन्य महानिदेशकों (डीजीएमओ) के बीच बातचीत हुई, जिसके बाद सैन्य कार्रवाई रोकने पर सहमति बनी।
'जंंग के मैदान से नहीं निकलेगा समाधान'
जब जयशंकर से पूछा गया कि भारत रूस पर पश्चिमी देशों द्वारा लगाए गए प्रतिबंधों में शामिल क्यों नहीं हुआ, तो उन्होंने कहा कि भारत युद्ध को किसी समस्या का हल नहीं मानता। उन्होंने कहा, हम नहीं मानते कि युद्ध के जरिए मतभेदों को सुलझाया जा सकता है। हमें नहीं लगता कि समाधान जंग के मैदान से आएगा। यह हमारा काम नहीं है कि हम किसी समाधान को थोपें। मैं बस इतना कहना चाहता हूं कि हम न तो किसी पर अपनी राय थोप रहे हैं, न ही किसी की निंदा कर रहे हैं। लेकिन इसका मतलब यह भी नहीं है कि हम पूरी तरह अलग-थलग हैं।
जब जयशंकर से पूछा गया कि भारत रूस पर पश्चिमी देशों द्वारा लगाए गए प्रतिबंधों में शामिल क्यों नहीं हुआ, तो उन्होंने कहा कि भारत युद्ध को किसी समस्या का हल नहीं मानता। उन्होंने कहा, हम नहीं मानते कि युद्ध के जरिए मतभेदों को सुलझाया जा सकता है। हमें नहीं लगता कि समाधान जंग के मैदान से आएगा। यह हमारा काम नहीं है कि हम किसी समाधान को थोपें। मैं बस इतना कहना चाहता हूं कि हम न तो किसी पर अपनी राय थोप रहे हैं, न ही किसी की निंदा कर रहे हैं। लेकिन इसका मतलब यह भी नहीं है कि हम पूरी तरह अलग-थलग हैं।
'भारत के यूक्रेन के साथ भी मजबूत संबंध'
उन्होंने कहा कि भारत के यूक्रेन के साथ भी मजबूत संबंध हैं। यह सिर्फ रूस तक सीमित नहीं हैं। लेकिन हर देश अपने अनुभव, इतिहास और हितों के आधार पर निर्णय करता है। उन्होंने आगे कहा, भारत की सबसे पुरानी शिकायत यही रही है कि हमारी सीमाओं का उल्लंघन (देश की) आजादी के कुछ ही महीनों बाद हुआ, जब पाकिस्तान ने कश्मीर में घुसपैठ करवाई और उस वक्त जो देश सबसे ज्यादा पाकिस्तान के साथ थे, वे पश्चिमी देश थे।
ये भी पढ़ें: Illegal Foreigners In PAK: 'अफगानी नागरिक और अवैध विदेशी स्वेच्छा से छोड़ दें देश', पाकिस्तान ने चेतावनी दी
उन्होंने कहा कि भारत के यूक्रेन के साथ भी मजबूत संबंध हैं। यह सिर्फ रूस तक सीमित नहीं हैं। लेकिन हर देश अपने अनुभव, इतिहास और हितों के आधार पर निर्णय करता है। उन्होंने आगे कहा, भारत की सबसे पुरानी शिकायत यही रही है कि हमारी सीमाओं का उल्लंघन (देश की) आजादी के कुछ ही महीनों बाद हुआ, जब पाकिस्तान ने कश्मीर में घुसपैठ करवाई और उस वक्त जो देश सबसे ज्यादा पाकिस्तान के साथ थे, वे पश्चिमी देश थे।
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'अपने अतीत पर नजर डालें पश्चिमी देश'
जयशंकर ने कहा, 'अगर वही देश जो तब टालमटोल कर रहे थे, अब आकर हमसे कहते हैं कि आइए, अंतरराष्ट्रीय सिद्धांतों पर बड़ी-बड़ी बातें करें, तो मुझे पूरा हक है कि मैं उनसे कहूं कि पहले अपने अतीत पर भी नजर डालें।' जब उनसे पूछा गया कि आज की बदलती भूराजनीति में भारत की भूमिका क्या है, तो उन्होंने कहा, बहु-ध्रुवीयता अब कोई भविष्य की बात नहीं रही। वह पहले से आ चुकी है। अब यूरोप को अपनी क्षमता के आधार पर और अपने वैश्विक संबंधों को ध्यान में रखते हुए अपने हित में निर्णय लेने की जरूरत है।
जयशंकर ने कहा, 'अगर वही देश जो तब टालमटोल कर रहे थे, अब आकर हमसे कहते हैं कि आइए, अंतरराष्ट्रीय सिद्धांतों पर बड़ी-बड़ी बातें करें, तो मुझे पूरा हक है कि मैं उनसे कहूं कि पहले अपने अतीत पर भी नजर डालें।' जब उनसे पूछा गया कि आज की बदलती भूराजनीति में भारत की भूमिका क्या है, तो उन्होंने कहा, बहु-ध्रुवीयता अब कोई भविष्य की बात नहीं रही। वह पहले से आ चुकी है। अब यूरोप को अपनी क्षमता के आधार पर और अपने वैश्विक संबंधों को ध्यान में रखते हुए अपने हित में निर्णय लेने की जरूरत है।
बहुध्रुवीय दुनिया के साथ संबंध गहरे करना चाहता है भारत
उन्होंने कहा, मैं आज यूरोप में ‘रणनीतिक स्वायत्तता' जैसे शब्द सुनता हूं, जो पहले हमारे शब्दकोश का हिस्सा थे। उन्होंने यह भी कहा कि यूरोपीय संघ आज वैश्विक व्यवस्था का एक प्रमुख स्तंभ है और पहले से कहीं अधिक स्वतंत्र निर्णय लेने वाला बन चुका है और भारत इस बहु-ध्रुवीय दुनिया में उसके साथ संबंध और गहरा करना चाहता है। जब उनसे यूरोपीय संघ के कार्बन सीमा समायोजन तंत्र (सीबीएएम) के बारे में पूछा गया, तो उन्होंने कहा कि भारत इसका विरोध नहीं कर रहा, लेकिन उसे इस पर गंभीर आपत्तियां हैं।
उन्होंने कहा, मैं आज यूरोप में ‘रणनीतिक स्वायत्तता' जैसे शब्द सुनता हूं, जो पहले हमारे शब्दकोश का हिस्सा थे। उन्होंने यह भी कहा कि यूरोपीय संघ आज वैश्विक व्यवस्था का एक प्रमुख स्तंभ है और पहले से कहीं अधिक स्वतंत्र निर्णय लेने वाला बन चुका है और भारत इस बहु-ध्रुवीय दुनिया में उसके साथ संबंध और गहरा करना चाहता है। जब उनसे यूरोपीय संघ के कार्बन सीमा समायोजन तंत्र (सीबीएएम) के बारे में पूछा गया, तो उन्होंने कहा कि भारत इसका विरोध नहीं कर रहा, लेकिन उसे इस पर गंभीर आपत्तियां हैं।