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Nepal: नेपाल की पहली महिला अटॉर्नी जनरल बनीं सबिता भंडारी, जानें अंतरिम सरकार में कितनी अहम होगी भूमिका?
वर्ल्ड डेस्क, अमर उजाला, काठमांडू
Published by: हिमांशु चंदेल
Updated Sun, 14 Sep 2025 09:32 PM IST
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सार
नेपाल ने इतिहास रचते हुए सबिता भंडारी को पहली महिला अटॉर्नी जनरल नियुक्त किया। राष्ट्रपति रामचंद्र पौडेल ने अंतरिम प्रधानमंत्री सुशीला कार्की की सिफारिश पर यह फैसला लिया। हालांकि उनकी नियुक्ति विवादों में घिरी है क्योंकि उन्होंने संदीप लामिछाने का बचाव किया था।

नेपाल की पहली महिला अटॉर्नी जनरल बनीं सबिता भंडारी।
- फोटो : अमर उजाला ग्राफिक
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विस्तार
नेपाल ने रविवार को अपने इतिहास में एक और नया अध्याय जोड़ दिया है। वरिष्ठ अधिवक्ता सबिता भंडारी को देश की पहली महिला अटॉर्नी जनरल नियुक्त किया गया है। राष्ट्रपति रामचंद्र पौडेल ने अंतरिम प्रधानमंत्री सुशीला कार्की की सिफारिश पर उनका नाम मंजूर किया। इस तरह, यह पहली बार है जब नेपाल की सर्वोच्च कानूनी कुर्सी पर किसी महिला को बैठने का अवसर मिला है।
राष्ट्रपति कार्यालय द्वारा जारी अधिसूचना के अनुसार, सबिता भंडारी को औपचारिक रूप से इस पद पर नियुक्त किया गया। इससे पहले अटॉर्नी जनरल रहे रमेश बादल ने अपना इस्तीफा सौंप दिया था। नेपाल की संवैधानिक परंपरा के मुताबिक, सरकार बदलने पर अटॉर्नी जनरल आमतौर पर इस्तीफा देते हैं।
महिला नेतृत्व की नई शुरुआत
सबिता भंडारी की नियुक्ति प्रधानमंत्री कार्की के लिए भी ऐतिहासिक कदम माना जा रहा है। कार्की स्वयं नेपाल की पहली महिला प्रधानमंत्री बनी हैं और उन्होंने यह जिम्मेदारी उस समय संभाली जब "जेन-ज़ी" आंदोलन के दबाव में बदलाव की मांग तेज हो गई थी। यह कदम नेपाल की राजनीति और प्रशासन में महिला नेतृत्व को मजबूत करने वाला माना जा रहा है।
ये भी पढ़ें- नेपाल में हुई हिंसा में मौतों का आंकड़ा पहुंचा 72, अंतरिम पीएम ने मारे गए लोगों को घोषित किया 'शहीद'
विवादों से घिरी नियुक्ति
हालांकि, सबिता भंडारी की नियुक्ति पूरी तरह विवाद-मुक्त नहीं रही। उन्होंने पहले क्रिकेटर संदीप लामिछाने का बचाव किया था, जिन पर नाबालिग से दुष्कर्म का आरोप लगा था। इसी कारण उनके चयन पर सवाल उठाए जा रहे हैं। आलोचकों का मानना है कि इस मामले से उनकी निष्पक्षता और योग्यता पर संदेह पैदा होता है।
अटॉर्नी जनरल की भूमिका
नेपाल के संविधान के अनुसार, अटॉर्नी जनरल सरकार के मुख्य विधिक सलाहकार होते हैं। वे कानूनी मामलों में सरकार का पक्ष रखते हैं और न्यायपालिका में देश के हितों की रक्षा करते हैं। अब तक यह पद केवल पुरुषों के पास रहा है, लेकिन सबिता भंडारी ने इस परंपरा को तोड़ते हुए नया इतिहास रच दिया है।
ये भी पढ़ें- ट्रंप-जिनपिंग की मुलाकात के लिए बिसात हो रही तैयार, मैड्रिड में यूएस-चीन की आर्थिक-व्यापारिक वार्ता
कैबिनेट विस्तार की तैयारी
प्रधानमंत्री कार्की केवल अटॉर्नी जनरल की नियुक्ति तक सीमित नहीं हैं। उन्होंने रविवार तक पांच नए मंत्रियों की नियुक्ति करने की तैयारी कर ली है और इस दिशा में संभावित उम्मीदवारों के साथ बातचीत भी शुरू कर दी है। यह दिखाता है कि कार्की तेजी से अपनी सरकार को मजबूत करने और प्रशासनिक ढांचे को खड़ा करने में जुटी हैं।

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राष्ट्रपति कार्यालय द्वारा जारी अधिसूचना के अनुसार, सबिता भंडारी को औपचारिक रूप से इस पद पर नियुक्त किया गया। इससे पहले अटॉर्नी जनरल रहे रमेश बादल ने अपना इस्तीफा सौंप दिया था। नेपाल की संवैधानिक परंपरा के मुताबिक, सरकार बदलने पर अटॉर्नी जनरल आमतौर पर इस्तीफा देते हैं।
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महिला नेतृत्व की नई शुरुआत
सबिता भंडारी की नियुक्ति प्रधानमंत्री कार्की के लिए भी ऐतिहासिक कदम माना जा रहा है। कार्की स्वयं नेपाल की पहली महिला प्रधानमंत्री बनी हैं और उन्होंने यह जिम्मेदारी उस समय संभाली जब "जेन-ज़ी" आंदोलन के दबाव में बदलाव की मांग तेज हो गई थी। यह कदम नेपाल की राजनीति और प्रशासन में महिला नेतृत्व को मजबूत करने वाला माना जा रहा है।
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विवादों से घिरी नियुक्ति
हालांकि, सबिता भंडारी की नियुक्ति पूरी तरह विवाद-मुक्त नहीं रही। उन्होंने पहले क्रिकेटर संदीप लामिछाने का बचाव किया था, जिन पर नाबालिग से दुष्कर्म का आरोप लगा था। इसी कारण उनके चयन पर सवाल उठाए जा रहे हैं। आलोचकों का मानना है कि इस मामले से उनकी निष्पक्षता और योग्यता पर संदेह पैदा होता है।
अटॉर्नी जनरल की भूमिका
नेपाल के संविधान के अनुसार, अटॉर्नी जनरल सरकार के मुख्य विधिक सलाहकार होते हैं। वे कानूनी मामलों में सरकार का पक्ष रखते हैं और न्यायपालिका में देश के हितों की रक्षा करते हैं। अब तक यह पद केवल पुरुषों के पास रहा है, लेकिन सबिता भंडारी ने इस परंपरा को तोड़ते हुए नया इतिहास रच दिया है।
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कैबिनेट विस्तार की तैयारी
प्रधानमंत्री कार्की केवल अटॉर्नी जनरल की नियुक्ति तक सीमित नहीं हैं। उन्होंने रविवार तक पांच नए मंत्रियों की नियुक्ति करने की तैयारी कर ली है और इस दिशा में संभावित उम्मीदवारों के साथ बातचीत भी शुरू कर दी है। यह दिखाता है कि कार्की तेजी से अपनी सरकार को मजबूत करने और प्रशासनिक ढांचे को खड़ा करने में जुटी हैं।
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