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कश्मीर पर ब्रिटिश सांसदों ने की चर्चा, भारत ने जताई कड़ी नाराजगी

एजेंसी, लंदन Published by: देव कश्यप Updated Fri, 15 Jan 2021 04:16 AM IST
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British MPs discussion on Kashmir political situation India expressed strong resentment
भारत और ब्रिटेन का झंडा - फोटो : ANI
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जम्मू कश्मीर को लेकर ब्रिटेन की संसद में हुई चर्चा पर भारत ने एतराज जताया है। लेबर पार्टी के सांसदों द्वारा बुधवार को संसद परिसर के वेस्टमिंस्टर सभागार में ‘कश्मीर की राजनीतिक परिस्थिति’ विषय पर आयोजित बहस में ब्रिटेन की कंजरवेटिव सरकार के कुछ सांसदों ने भी हिस्सा लिया।

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भारत ने इसकी निंदा करते हुए किसी तीसरे देश (पाकिस्तान) के झूठे दावाें और निराधार आरोपों पर भरोसा करते हुए ब्रिटिश सांसदों का इस आयोजन में हिस्सा लेने को चिंतनीय बताया। हालांकि बोरिस जॉनसन सरकार ने कश्मीर पर पुराना पक्ष दोहराते हुए कहा कि यह भारत का अंदरूनी मामला है और इसमें लंदन की कोई भूमिका नहीं है।
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भारतीय उच्चायोग ने लेबर पार्टी के सांसदों की इस चर्चा को गलत तथ्यों पर आधारित बताते हुए कहा, 'भारत के केंद्र शासित राज्य जम्मू-कश्मीर को लेकर सभी जानकारी सार्वजनिक मंच पर उपलब्ध है इसके बावजूद चर्चा में जमीनी हकीकत को नजर अंदाज किया गया। इसमें एक तीसरे देश द्वारा प्रचारित नरसंहार, उग्र हिंसा और यातना के निराधार आरोपों पर भरोसा किया गया जो कि चिंतनीय है।'

भारतीय उच्चायोग ने दावा किया कि कश्मीर भारत का एक आंतरिक मुद्दा है, फिर भी वह ब्रिटिश सांसदों की किसी भी तरह की गलतफहमी को दूर करने के लिए उनके साथ संपर्क को हमेशा तैयार है। उच्चायोग ने कहा, किसी दूसरे देश की संसद के भीतर चर्चा में रुचि लेना भारत की नीति नहीं है। लेकिन गलत तथ्यों पर चर्चा होना घातक है। इस लिए उच्चायोग सभी संबंधित पक्षों, जिसमें ब्रिटिश सरकार और सम्मानित सांसद शामिल हैं, के साथ संपर्क में है ताकि भारत के बारे में गलत जानकारी और गलत सूचना से बचा जा सके। लेबर पार्टी की सांसद सारा ओवेन ने इस चर्चा का प्रस्ताव रखा था। चर्चा में कंजर्वेटिव, लेबर और डोमोक्रेटिक यूनयनिस्ट पार्टी के सांसदों ने हिस्सा लिया।

ब्रिटिश सरकार ने हालांकि फिर दोहराया पुराना पक्ष
चर्चा के दौरान ब्रिटिश विदेश मंत्रालय में दक्षिण एशियाई मामलों के मंत्री निजेल एडम्स ने कहा, कश्मीर भारत का अंदरूनी मामला है और सरकार का मानना है कि इसको लेकर भारत-पाकिस्तान के बीच जो भी विवाद है उसे दोनों देश द्विपक्षीय बातचीत से निकालें यही बेहतर है। इसमें लंदन की कोई भूमिका नहीं है। एडम्स ने कहा, ब्रिटेन की सरकार भारत के साथ संपर्क में हैं लेकिन इस बारे में ब्रिटेन का कोई सलाह देना उचित नहीं होगा।

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