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Nepal: नेपाल में हुई हिंसा में मौतों का आंकड़ा पहुंचा 72, अंतरिम पीएम ने मारे गए लोगों को घोषित किया 'शहीद'

वर्ल्ड डेस्क, अमर उजाला, काठमांडू Published by: हिमांशु चंदेल Updated Sun, 14 Sep 2025 06:02 PM IST
सार

नेपाल में भड़की युवा पीढ़ी विरोध प्रदर्शनों में मरने वालों की संख्या 72 हो गई है। इनमें 59 प्रदर्शनकारी, तीन पुलिसकर्मी और 10 कैदी शामिल हैं। अंतरिम प्रधानमंत्री सुशीला कार्की ने इन्हें ‘शहीद’ घोषित कर 10 लाख नेपाली रुपये मुआवजा देने का एलान किया। उन्होंने घायलों के इलाज और संपत्ति नुकसान की भरपाई का वादा किया। 

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Nepal Death toll violence reached 72 interim PM declared deceased as martyrs
नेपाल के हालात - फोटो : PTI
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नेपाल में भ्रष्टाचार और आर्थिक असमानता के खिलाफ भड़केजेन-जेड प्रदर्शनों में अब तक 72 लोगों की मौत हो चुकी है। इनमें 59 प्रदर्शनकारी, तीन पुलिसकर्मी और 10 कैदी शामिल हैं, जो जेल से भागने की कोशिश कर रहे थे। हालात बिगड़ने के बीच देश की पहली महिला अंतरिम प्रधानमंत्री सुशीला कार्की ने एलान किया कि इन मृतकों को ‘शहीद’ का दर्जा दिया जाएगा और उनके परिवारों को 10 लाख नेपाली रुपये की मुआवजा राशि दी जाएगी।
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नव नियुक्त अंतरिम प्रधानमंत्री कार्की ने अपने कार्यभार संभालने के बाद प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि 8 सितंबर को जिनकी मौत हुई है, उन्हें आधिकारिक तौर पर ‘शहीद’ कहा जाएगा। उन्होंने बताया कि घायलों का पूरा इलाज सरकार कराएगी और उन्हें भी आर्थिक सहायता दी जाएगी। इसके अलावा सरकार शवों को काठमांडू से उनके जिलों तक पहुंचाने की व्यवस्था करेगी।
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मुआवजा और पुनर्निर्माण की योजना
कार्की ने यह भी कहा कि जिनकी निजी संपत्तियां प्रदर्शन के दौरान जलाई गई हैं, उन्हें भी मदद दी जाएगी। सरकार उन्हें आसान शर्तों पर ऋण या अन्य उपायों के जरिए राहत देगी। उन्होंने साफ किया कि तोड़फोड़ और आगजनी में शामिल लोगों की जांच की जाएगी और जिम्मेदार लोगों के खिलाफ कार्रवाई होगी।

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सत्ता में रहने का इरादा नहीं
73 वर्षीय कार्की ने स्पष्ट किया कि अंतरिम सरकार केवल छह महीने के लिए है और इसका मकसद सत्ता का स्वाद लेना नहीं बल्कि हालात को सामान्य करना है। उन्होंने कहा कि सरकार का ध्यान केवल भ्रष्टाचार की जांच, व्यवस्था सुधार और जनता के विश्वास को बहाल करने पर होगा।

विरोध प्रदर्शन की पृष्ठभूमि
नेपाल में यह आंदोलन तब शुरू हुआ जब सरकार ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर प्रतिबंध लगा दिया। इस कदम ने पहले से मौजूद भ्रष्टाचार और बेरोजगारी से गुस्साए युवाओं को सड़कों पर ला दिया। ‘युवा पीढ़ी का आंदोलन’ देश में पहली बार इतने बड़े पैमाने पर हुआ, जिसमें मुख्य मांग आर्थिक समानता और भ्रष्टाचार उन्मूलन की थी।

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नेपाल की पहली महिला पीएम
गौरतलब है कि सुशीला कार्की नेपाल की पहली महिला प्रधानमंत्री बनी हैं। वे पहले नेपाल की मुख्य न्यायाधीश भी रह चुकी हैं। उनका कहना है कि इस आंदोलन ने देश की राजनीति और समाज के सामने नई चुनौतियां रखी हैं और सरकार का कर्तव्य है कि इनसे निपटकर जनता को राहत पहुंचाए।

आंदोलन के दौरान फरार हुए 3723 कैदी दोबारा गिरफ्तार
हिंसा के दौरान जेले से भागे 3700 से अधिक कैदियों को पुलिस ने दोबारा गिरफ्तार कर लिया है। नेपाल पुलिस ने रविवार को इसकी पुष्टि की। नेपाल पुलिस ने बताया कि अब तक 3723 फरार कैदियों को गिरफ्तार कर जेलों में वापस भेजा गया है। हालांकि, अभी भी 10,320 कैदी फरार हैं। उन्होंने आम जनता से सतर्क रहने की अपील की। पुलिस के अनुसार, कुछ कैदी स्वेच्छा से वापस लौट आए, जबकि कई ऐसे भी थे जिन्हें भारत भागने की कोशिश के दौरान भारतीय पुलिस की मदद से पकड़ा गया। नेपाल सेना, नेपाल पुलिस और सशस्त्र पुलिस बल मिलकर इन फरार कैदियों को पकड़ने के लिए विशेष अभियान चला रहे हैं।

गौरतलब है कि नौ सितंबर को हुए जेन-ज़ी आंदोलन के दौरान भ्रष्टाचार और सोशल मीडिया प्रतिबंध के खिलाफ व्यापक विरोध-प्रदर्शन हुए थे। इस दौरान हिंसा, आगजनी और तोड़फोड़ की घटनाओं के चलते हजारों कैदी जेल से भाग निकले थे। इन प्रदर्शनों के बाद प्रधानमंत्री के.पी. शर्मा ओली को इस्तीफा देना पड़ा। नेपाल पुलिस ने कहा कि अभियान तब तक जारी रहेगा जब तक सभी फरार कैदी पकड़कर जेल में वापस नहीं भेज दिए जाते।



 
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