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China: भारत पर US टैरिफ को चीन ने बताया अन्यायपूर्ण, ब्रिक्स से जिनपिंग बोले- व्यापार युद्ध को मिलकर दें जवाब
वर्ल्ड डेस्क, अमर उजाला, बीजिंग
Published by: हिमांशु चंदेल
Updated Mon, 08 Sep 2025 10:51 PM IST
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सार
भारत पर 50% अमेरिकी टैरिफ को चीन ने अनुचित बताते हुए कड़ा विरोध किया। चीन के राजदूत ने कहा कि अमेरिका व्यापार को हथियार की तरह इस्तेमाल कर रहा है। वहीं राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने ब्रिक्स नेताओं की बैठक में कहा कि अमेरिकी टैरिफ वैश्विक अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुंचा रहे हैं।

डोनाल्ड ट्रंप / शी जिनपिंग
- फोटो : ANI
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विस्तार
भारत पर लगाए गए 50 प्रतिशत अमेरिकी टैरिफ को लेकर चीन ने कड़ा विरोध जताया है। भारत में चीन के राजदूत शू फेहोंग ने सोमवार को अमेरिका की नीतियों की आलोचना करते हुए कहा कि वाशिंगटन व्यापार को हथियार की तरह इस्तेमाल कर रहा है। उन्होंने कहा कि अमेरिका लंबे समय से मुक्त व्यापार का लाभ लेता आया है, लेकिन अब अनुचित टैरिफ लगाकर वैश्विक व्यापार व्यवस्था को नुकसान पहुंचा रहा है। इसके साथ ही चीन के राष्ट्रपति जिनपिंग ने भी ब्रिक्स से अमेरिका की कड़ी आलोचना की।
द्वितीय विश्व युद्ध में जापान पर चीन की जीत की 80वीं वर्षगांठ पर आयोजित एक सेमिनार में राजदूत शू ने कहा कि भारत पर लगाया गया 50 प्रतिशत टैरिफ अनुचित और अकारण है। चीन इसका कड़ा विरोध करता है। उन्होंने यह भी बताया कि राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से बातचीत में यह मुद्दा उठाया। उस दौरान मोदी ने कहा था कि भारत-चीन सहयोग 21वीं सदी को एशियाई सदी बनाने में अहम भूमिका निभाएगा। चीन का मानना है कि अमेरिका की टैरिफ नीति न केवल भारत बल्कि समूचे वैश्विक दक्षिण की अर्थव्यवस्था के लिए खतरा है।
अमेरिकी व्यापार चुनौतियों का मिलकर जवाब दें- जिनपिंग
अमेरिका और चीन के बीच टैरिफ युद्ध गहराने के बीच चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने सोमवार को ब्रिक्स देशों से एकजुट होकर इन चुनौतियों का सामना करने की अपील की। ब्रिक्स नेताओं की बैठक को वीडियो लिंक के जरिए संबोधित करते हुए जिनपिंग ने कहा कि वाशिंगटन की ओर से थोपे गए टैरिफ न केवल वैश्विक अर्थव्यवस्था को बाधित कर रहे हैं, बल्कि अंतरराष्ट्रीय व्यापार नियमों का भी उल्लंघन करते हैं।
ये भी पढ़ें- यरुशलम में फलस्तीनी हमलावरों ने बस पर चलाईं अंधाधुंध गोलियां, छह की मौत, कई अन्य घायल
बिना नाम लिए ट्रंप पर साधा निशाना
उन्होंने सीधे तौर पर अमेरिका या राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का नाम लिए बिना कहा कि आज दुनिया जिस तेज़ी से बदलाव देख रही है, वह सदी में एक बार होता है। ऐसे समय में आधिपत्यवाद और संरक्षणवाद लगातार बढ़ रहे हैं। जिनपिंग ने चेताया कि कुछ देशों की तरफ से छेड़े गए टैरिफ और व्यापार युद्ध वैश्विक बाजार में अस्थिरता ला रहे हैं और अंतरराष्ट्रीय आर्थिक व्यवस्था को कमजोर कर रहे हैं।
ब्रिक्स देशों भारत, ब्राजील, चीन, रूस और दक्षिण अफ्रीका के सामने अमेरिका द्वारा लगाए गए भारी टैरिफ गंभीर चुनौती बनकर खड़े हुए हैं। विशेषकर भारत और चीन पर 50 प्रतिशत तक टैरिफ ने उभरती अर्थव्यवस्थाओं में अनिश्चितता पैदा कर दी है।
ये भी पढ़ें- भारत विरोधी दावों के फैक्ट-चेक से भड़के ट्रंप के करीबी नवारो, रूसी तेल खरीद को बताया 'ब्लड मनी'
ब्रिक्स देशों को साथ मिलकर काम करना होगा- जिनपिंग
जिनपिंग ने कहा कि इस नाजुक मोड़ पर ब्रिक्स देशों को खुलेपन, समावेशिता और आपसी सहयोग की भावना से काम करना चाहिए। उन्होंने बहुपक्षवाद और बहुपक्षीय व्यापार प्रणाली की रक्षा पर जोर दिया। उनके अनुसार, अगर ब्रिक्स देश एकजुट होकर कदम उठाते हैं तो वे न केवल अमेरिकी दबाव का सामना कर सकते हैं, बल्कि वैश्विक दक्षिण के लिए निष्पक्षता और न्याय की भी रक्षा कर पाएंगे।
चीनी राष्ट्रपति ने इस बैठक को बेहद प्रासंगिक बताते हुए कहा कि हमें अंतरराष्ट्रीय संबंधों में लोकतंत्र को बढ़ावा देना चाहिए और वैश्विक शासन प्रणाली में सुधार लाना चाहिए। उन्होंने कहा कि दक्षिणी देशों की आवाज और प्रतिनिधित्व बढ़ाना समय की मांग है।

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अमेरिका और चीन के बीच टैरिफ युद्ध गहराने के बीच चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने सोमवार को ब्रिक्स देशों से एकजुट होकर इन चुनौतियों का सामना करने की अपील की। ब्रिक्स नेताओं की बैठक को वीडियो लिंक के जरिए संबोधित करते हुए जिनपिंग ने कहा कि वाशिंगटन की ओर से थोपे गए टैरिफ न केवल वैश्विक अर्थव्यवस्था को बाधित कर रहे हैं, बल्कि अंतरराष्ट्रीय व्यापार नियमों का भी उल्लंघन करते हैं।
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ब्रिक्स देशों भारत, ब्राजील, चीन, रूस और दक्षिण अफ्रीका के सामने अमेरिका द्वारा लगाए गए भारी टैरिफ गंभीर चुनौती बनकर खड़े हुए हैं। विशेषकर भारत और चीन पर 50 प्रतिशत तक टैरिफ ने उभरती अर्थव्यवस्थाओं में अनिश्चितता पैदा कर दी है।
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ब्रिक्स देशों को साथ मिलकर काम करना होगा- जिनपिंग
जिनपिंग ने कहा कि इस नाजुक मोड़ पर ब्रिक्स देशों को खुलेपन, समावेशिता और आपसी सहयोग की भावना से काम करना चाहिए। उन्होंने बहुपक्षवाद और बहुपक्षीय व्यापार प्रणाली की रक्षा पर जोर दिया। उनके अनुसार, अगर ब्रिक्स देश एकजुट होकर कदम उठाते हैं तो वे न केवल अमेरिकी दबाव का सामना कर सकते हैं, बल्कि वैश्विक दक्षिण के लिए निष्पक्षता और न्याय की भी रक्षा कर पाएंगे।
चीनी राष्ट्रपति ने इस बैठक को बेहद प्रासंगिक बताते हुए कहा कि हमें अंतरराष्ट्रीय संबंधों में लोकतंत्र को बढ़ावा देना चाहिए और वैश्विक शासन प्रणाली में सुधार लाना चाहिए। उन्होंने कहा कि दक्षिणी देशों की आवाज और प्रतिनिधित्व बढ़ाना समय की मांग है।