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India-China: भारत से लगती सीमा पर चीन लगातार बढ़ा रहा ताकत, हवाईपट्टी से लेकर रेल नेटवर्क तक बनाने में जुटा
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: देवेश त्रिपाठी
Updated Tue, 25 Nov 2025 10:33 AM IST
सार
तिब्बत के पठार का पहाड़ी इलाका और भीषण मौसम सैन्य अभियानों और रसद पहुंचाने की कोशिशों में काफी चुनौतियां पैदा करता है। इस इलाके में तैनात पीएलए के नए रंगरूटों को कई बार ऊंचाई से होने वाली बीमारियों की वजह से अतिरिक्त ऑक्सीजन की जरूरत पड़ती है।
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भारत-चीन सीमा पर ड्रैगन बना रहा बुनियादी ढांचे
- फोटो : ANI
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विस्तार
भारत और चीन के बीच रिश्ते कई मायनों में सुधरते नजर आ रहे हैं। कैलाश मानसरोवर यात्रा से लेकर भारत-चीन हवाई उड़ानों के शुरू होने के मुद्दों के बावजूद सीमा पर चीन की कारस्तानियां रुकने का नाम नहीं ले रही हैं।
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तिब्बत से लगती सीमा पर चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के करीब लगातार अपनी स्थिति को मजबूत करने में जुटी हुई है। चीनी सेना ने इस इलाके में रसद केंद्र से लेकर संपर्क मजबूत करने के लिए सुविधाएं स्थापित की हैं।
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हाल ही में चीन ने तिब्बत में एक ड्रोन (मानवरहित हवाई वाहन) परीक्षण केंद्र की स्थापना की है। माना जा रहा है कि 4300 मीटर की ऊंचाई पर बने इस परीक्षण केंद्र में पीएलए और चीनी ड्रोन निर्माता को इन यूएवी के भीषण मौसम और उच्च ऊंचाई वाले हालातों में परीक्षण में मदद मिलेगी।
इस नई एयरफील्ड में एक 720 मीटर लंबी एक हवाईपट्टी, चार हैंगर्स और प्रशासनिक इमारतें शामिल हैं। गौरतलब है कि तिब्बत के पठार का पहाड़ी इलाका और भीषण मौसम सैन्य अभियानों और रसद पहुंचाने की कोशिशों में काफी चुनौतियां पैदा करता है। इस इलाके में तैनात पीएलए के नए रंगरूटों को कई बार ऊंचाई से होने वाली बीमारियों की वजह से अतिरिक्त ऑक्सीजन की जरूरत पड़ती है।
चीन की ये हरकतें भारत की जमीनी सीमाओं तक ही सीमित नहीं हैं। दक्षिणी चीन सागर में उसने फिर से पाई गई जमीन पर सैन्य सुविधाएं स्थापित की हैं। इनमें हथियारों को स्थापिक करने से लेकर मुख्य इलाकों में लगातार उपस्थिति बनाए रखने जैसी चीजें शामिल हैं।
अमेरिकी वायुसेना के अंतर्गत आने वाले चीन एयरोस्पेस अध्ययन संस्थान (सीएएसआई) की सितंबर, 2025 की रिपोर्ट के मुताबिक तिब्बत के अंदर और बाहर परिवहन नेटवर्क के अभाव चीनी सेना की भारत की सीमा पर सैन्यबल तैनात करने में एक प्रमुख वजह है। इसकी वजह से चीनी सेना को भंडारण आपूर्ति पर पूरी तरह से निर्भर रहना पड़ता है। तिब्बत और उसके आसपास हालिया सड़क, हवाई और रेल नेटवर्क विस्तार ने चीनी सेना की क्षमता को बढ़ाया है।
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