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    ड्रैगन की नयी चालः 'वन बेल्ट वन रोड' मुहिम में शामिल हो भारत तो बदल दिया जाएगा CPEC का नाम
 
            	    एजेंसी, बीजिंग             
                              Published by: तिवारी अभिषेक       
                        
       Updated Wed, 27 Mar 2019 07:45 PM IST
        
       
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                        प्रतीकात्मक तस्वीर
                                
    
        
    
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चीन ने कहा है कि भारत यदि वन बेल्ट वन रोड (ओबीओआर) मुहिम में शामिल हो तो वह चीन पाकिस्तान आर्थिक गलियारे (सीपीईसी) का नाम बदलने को तैयार है। भारत में चीन के राजदूत लू झोहुई ने पिछले हफ्ते कहा था कि चीन सीपीईसी पर भारत की चिंता को दूर करने के लिए तैयार है।
 
चीन के विदेश मंत्रालय ने इस घटनाक्रम पर बृहस्पतिवार को कहा कि उसने पाकिस्तान को नाराज किए बिना अपने राजदूत को इस मुद्दे पर नई दिल्ली से बात करने को कहा था। भारत स्थित अपने राजदूत झोहुई के हाल के बयान पर जवाब देते हुए चीन के विदेश मंत्रालय ने कहा कि वह बयान का न तो समर्थन करता है और न ही खंडन करता है।
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            पढ़ें: चीन ने फिर बढ़ाई भारत की चिंता, ब्रह्मपुत्र की बजाय तिब्बत की नदियों पर बनाएगा और बांध
मंत्रालय के मुताबिक, राजदूत को इस्लामाबाद को नाराज किए बिना इस मुद्दे पर नई दिल्ली से बात करने को प्रोत्साहित किया गया था। राजदूत लू ने पिछले हफ्ते दिल्ली के जेएनयू में चीनी मामलों के विशेषज्ञ और छात्रों से बातचीत में कहा था कि चीन ‘सीपीईसी’ का नाम बदल सकता है और भारत की चिंता दूर करने के लिए जम्मू-कश्मीर, नाथुला पास या नेपाल के रास्ते एक वैकल्पिक गलियारा बना सकता है। बदले में भारत को ओबीओर से जुड़ने का सुझाव दिया था।
दरअसल नेपाल और म्यांमार में चीन का भारी निवेश है और इसलिए दक्षिण में अपने सबसे बड़े पड़ोसी से ओबीओआर के जरिये जुड़ने का दबाव बना रहा है। लेकिन भारत ने अब तक इस प्रस्ताव का कोई जवाब नहीं दिया है।
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जानकारों का मानना है कि लू ने सार्वजनिक रूप से सीपीईसी का नाम बदलने का दो बार संकेत दिया है। इसका मतलब साफ है कि वह बीजिंग के निर्देश पर काम कर रहे हैं, यह उनका निजी विचार नहीं हो सकता। चीनी विदेश मंत्रालय ने कहा कि सीपीईसी एक आर्थिक सहयोग का कार्यक्रम है। इसका क्षेत्रीय विवादों से कुछ लेना देना नहीं है। यह कश्मीर मसले पर चीन और पाकिस्तान के रुख को भी प्रभावित नहीं करेगा।
भारत का इनकार ओबीओर के विकास में बड़ी बाधा
 
                                            india-china
                                                                                            
    
                                            
                                                                                
                                                                                                                         
                                                वन बेल्ट वन रोड में शामिल होने से भारत का इनकार इसके विकास में सबसे बड़ी रुकावट है। मई में बीजिंग में ओबीओआर फोरम में भारत को शामिल नहीं किए जाने को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पहले ही अपना रुख साफ कर चुके हैं।
                                                                                                                                 
                                                
                                                                                                                                 
                                                
                                                                                                                                 
                                                
                                                                                                                                 
                                                
भारत पहला बड़ा देश था जिसने उस कार्यक्रम में हिस्सा नहीं लिया था, जबकि अमेरिका सहित ज्यादातर पश्चिमी देशों ने उसमें अपने आधिकारिक प्रतिनिधि भेजे थे। इसलिए चीन भारत को इसमें शामिल करने के लिए मनुहार कर रहा है।
                                                                                                                                 
                                                
                                                                                                                                 
                                                
                                                                                                                                 
                                                 
                                                                                                                                                        
 
                                                                                                
                            भारत पहला बड़ा देश था जिसने उस कार्यक्रम में हिस्सा नहीं लिया था, जबकि अमेरिका सहित ज्यादातर पश्चिमी देशों ने उसमें अपने आधिकारिक प्रतिनिधि भेजे थे। इसलिए चीन भारत को इसमें शामिल करने के लिए मनुहार कर रहा है।