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ड्रैगन का आदेश: पूरे चीन पर मंदारिन भाषा थोपने के लिए आक्रामक अभियान शुरू

एजेंसी, बीजिंग। Published by: Jeet Kumar Updated Thu, 02 Dec 2021 06:28 AM IST
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सार

चीन की सरकार के इस फैसले से कैंटोनीज, होक्किएन, तिब्बती, मंगोलियाई और उइगर जैसी क्षेत्रीय बोलियों व भाषाओं के लिए संकट खड़ा कर दिया है।

chinese government aggressive campaign launched to impose Mandarin language on whole of China
चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग। - फोटो : सोशल मीडिया
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विस्तार
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चीन की कम्युनिस्ट सरकार राष्ट्रीय भाषा मंदारिन पूरे देश पर पूरी तरह थोपने के लिए आक्रामक अभियान शुरू कर रहा है। उसका लक्ष्य है कि 2025 तक चीन के 85 फीसदी नागरिक मंदारिन का उपयोग करें।

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चीनी सरकार ने बुधवार को जारी आदेश में कहा, देश में आधुनिक अर्थव्यवस्था के विकास के लिए मंदारिन का उपयोग जरूरी है। इतना ही नहीं 2035 तक  शत प्रतिशत नागरिकों को मंदारिन भाषी बनाने की लक्ष्य भी तय किया गया है।
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नीति को कानूनी समर्थन दिया गया है। बुधवार को जारी नीतिगत दस्तावेज के मुताबिक लक्ष्य पाने के लिए कठोर पर्यवेक्षण की व्यवस्था की गई है। साथ ही निर्देश दिया गया है कि मंदारिन सभी सरकारी एजेंसियों की आधिकारिक भाषा के रूप में उपयोग की जाए। स्कूलों, समाचारों, प्रकाशनों, रेडियो, फिल्म, टेलीविजन, सार्वजनिक सेवाएं और अन्य क्षेत्रों में केवल मंदारिन का प्रयोग किया जाए।  

इसके अलावा अधिकारियों को निर्देश दिया गया है कि अंतरराष्ट्रीय अकादमिक संगठनों व वैश्विक समारोहों में मंदारिन की स्थिति और प्रभाव को सख्ती से बढ़ाया जाए। इसके लिए दुनियाभर में खोले गए कन्फ्यूशियस  संस्थानों के नेटवर्क का इस्तेमाल किया जाए। 

आलोचकों ने शिक्षा प्रणाली और रोजगार के लिए जरूरी शर्तों में इस तरह के बदलाव का विरोध किया है, जिसकी वजह से अल्पसंख्यक भाषाओं को महत्वहीन बनाया जा रहा है। इसे चीन की सरकार की तरफ से उन संस्कृतियों को मिटाने के अभियान के तौर पर देखा जा रहा है, जो हान जातीय समूह से मेल नहीं खाती हैं।

विरोध का दमन
सभी पर मंदारिन थोपने के चीन सरकार के फैसले के खिलाफ कई बार विरोध प्रदर्शन भी हुआ है। पिछले साल मंगोलिया में सरकारी निर्देशों के लिए मानक मंदारिन के इस्तेमाल का फैसला किया गया, जिसका काफी विरोध हुआ, लेकिन चीन की सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी ने विरोध का बेरहमी से यह कहते हुए दमन कर दिया कि अर्थव्यवस्था और राष्ट्रीय एकता के लिए भाषा की एकरूपता जरूरी है।

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