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कॉप-30: न्यायसंगत जलवायु कार्रवाई के लिए भारत ने दोहराई प्रतिबद्धता, अगले सम्मेलन की तुर्किये करेगा मेजबानी

एजेंसी Published by: लव गौर Updated Mon, 24 Nov 2025 04:32 AM IST
सार

भारत ने ब्राजील को संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन रूपरेखा सम्मेलन (यूएनएफसीसीसी) कॉप-30 की अध्यक्षता के दौरान समावेशी नेतृत्व के लिए रविवार को मजबूत समर्थन दिया। साथ ही जलवायु शिखर सम्मेलन में अपनाए गए कई निर्णयों का स्वागत किया। 

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COP-30: India reiterates commitment to equitable climate action, Turkey to host next COP-31 conference
कॉप-30 में केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव - फोटो : X-@byadavbjp
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विस्तार
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ब्राजील में संयुक्त राष्ट्र की तरफ से जलवायु परिवर्तन पर आयोजित अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में भारत ने वैज्ञानिक व न्यायसंगत जलवायु कार्रवाई के प्रति अपनी प्रतिबद्धता दोहराई। भारत ने कहा कि वह एक ऐसा वैश्विक क्रम चाहता है जो नियम-आधारित, न्यायसंगत व राष्ट्रीय संप्रभुता का सम्मान करने वाला हो। नई दिल्ली ने सभी पक्षों के साथ मिलकर सभी के लिए समावेशी, न्यायसंगत व समान जलवायु महत्वाकांक्षा सुनिश्चित करने की भी प्रतिबद्धता जताई। सम्मेलन में भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री भूपेंद्र यादव ने किया।
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भारत ने ब्राजील को संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन रूपरेखा सम्मेलन (यूएनएफसीसीसी) कॉप-30 की अध्यक्षता के दौरान समावेशी नेतृत्व के लिए रविवार को मजबूत समर्थन दिया। साथ ही जलवायु शिखर सम्मेलन में अपनाए गए कई निर्णयों का स्वागत किया। हालांकि, नई दिल्ली ने जलवायु परिवर्तन की समस्याओं को रोकने के उद्देश्य से किसी नीति को तैयार करने में कॉप-30 को विशेष रूप से सफल नहीं बताया।
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जलवायु वार्ताओं का समापन चरम मौसम की मार से निपटने के लिए देशों को अधिक वित्तीय सहायता के वादे के साथ हुआ, लेकिन जीवाश्म ईंधनों को चरणबद्ध तरीके से समाप्त करने की कोई रूपरेखा शामिल नहीं की गई। ग्लोबल गोल ऑन एडाप्टेशन (जीजीए) के तहत हुई प्रगति का स्वागत करते हुए भारत ने इस निर्णय के न्याय व समानता के पहलू पर जोर दिया। उसने कहा कि यह विकासशील देशों में अनुकूलन की बेहद जरूरी आवश्यकता की पहचान को दर्शाता है।

कॉप-31 की तुर्किये करेगा मेजबानी
लंबे समय से चल रहे गतिरोध को सुलझाते हुए ऑस्ट्रेलिया व तुर्किये इस बात पर सहमत हुए हैं कि 2026 के कॉप-31 की मेजबानी तुर्किये करेगा। हालांकि, बातचीत की प्रक्रिया का नेतृत्व ऑस्ट्रेलिया करेगा। अंकारा व कैनबरा, दोनों ने 2022 में शिखर सम्मेलन की मेजबानी करने के लिए दावेदारी पेश की थी और उसके बाद से दोनों ने हटने से इन्कार कर दिया था।

न्यायसंगत परिवर्तन तंत्र की स्थापना मील का पत्थर
भारत ने कॉप-30 की प्रमुख उपलब्धियों, विशेष रूप से न्यायसंगत परिवर्तन तंत्र की स्थापना पर संतोष व्यक्त किया। बयान में इसे एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर बताया गया और उम्मीद जताई गई कि यह वैश्विक व राष्ट्रीय स्तर पर समानता तथा जलवायु न्याय को क्रियान्वित करने में मदद करेगा। भारत ने सीओपी30 की अध्यक्षता का धन्यवाद भी किया, जिसने एकतरफा व्यापार-प्रतिबंधक जलवायु उपायों पर चर्चा का अवसर प्रदान किया। इन उपायों का प्रभाव सभी विकासशील देशों पर पड़ रहा है। ये समानता व सीबीडीआर-आरसी के सिद्धांतों के खिलाफ हैं जो पेरिस समझौते में निहित हैं। इन मुद्दों को अनदेखा नहीं किया जा सकता।

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ग्लोबल साउथ को चाहिए वैश्विक मदद
भारत ने अपनी जलवायु कार्रवाई की दृष्टिकोण को दोहराते हुए कहा कि जलवायु परिवर्तन के प्रभाव को कम करने के लिए उठाए जाने वाले उपायों का बोझ उन पर नहीं डाला जाना चाहिए, जिनकी जिम्मेदारी सबसे कम है। ग्लोबल साउथ की जनसंख्या सर्वाधिक प्रभावित हैं। उसे वैश्विक समर्थन की आवश्यकता है ताकि वे जलवायु परिवर्तन के बढ़ते प्रभावों से खुद को बचा सकें। विकासशील अथवा कम विकसित देशों को ग्लोबल साउथ या वैश्विक दक्षिण के नाम से भी जाना जाता है।

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विभाजन व भू-राजनीति से वैश्विक सहयोग पर विपरीत असर पड़ा: संरा
कॉप-30 के समापन के बीच संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन कार्यकारी सचिव साइमन स्टिल ने कहा कि इस साल अंतरराष्ट्रीय सहयोग पर इन्कार, विभाजन व भू-राजनीति का बहुत विपरीत प्रभाव पड़ा। कॉप-30 जलवायु शिखर सम्मेलन के नतीजों पर अपने बयान में स्टिल ने कहा, वैश्विक संस्था शायद जलवायु की लड़ाई नहीं जीत रही है लेकिन पक्ष अभी भी इसमें लगे हुए हैं और पक्के इरादे से लड़ रहे हैं। हमें पता था कि यह कॉप मुश्किल राजनीतिक माहौल में होगा। हालांकि, कॉप-30 शिखर सम्मेलन ने दिखाया कि जलवायु सहयोग बरकरार है।
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