सब्सक्राइब करें
Hindi News ›   World ›   Dollar-linked Stablecoin cryptocurrency will come under legal in america finance ministry discuss

फैसला: अमेरिका में कानूनी दायरे में आएगी डॉलर से जुड़ी क्रिप्टोकरेंसी, मंत्रालय ने दिया सुझाव

डिजिटल ब्यूरो, अमर उजाला, वाशिंगटन Published by: कुमार संभव Updated Wed, 03 Nov 2021 09:12 PM IST
विज्ञापन
सार

कानून के दायरे से बाहर रहने की वजह से स्टेबलकॉइन्स का इस्तेमाल तेजी से बढ़ा रहा है, लेकिन इनमें रकम रखने पर उस हालत के लिए कोई गारंटी नहीं है कि अगर जिस कंपनी के भंडार में उसे रखा गया है, उसके दिवालिया हो जाने पर क्या होगा।

Dollar-linked Stablecoin cryptocurrency will come under legal in america finance ministry discuss
क्रिप्टोकरेंसी - फोटो : pixabay
विज्ञापन

विस्तार
Follow Us

अमेरिकी कंपनियों के पास अब 100 अरब डॉलर के स्टेबलकॉइन्स का भंडार इकट्ठा हो गया है। स्टेबलकॉइन्स उन क्रिप्टोकरेंसी को कहा जाता है, जिन्हें डॉलर से जोड़ दिया गया है। ऐसी क्रिप्टोकरेंसी का भाव डॉलर से जुड़ जाता है, इसलिए उन्हें रखने में ज्यादा जोखिम नहीं रहता। अमेरिकी वित्त मंत्रालय ने अपनी एक रिपोर्ट में कहा है कि स्टेबलकॉइन्स असल में एक तरह का बैंक है। मंत्रालय ने सुझाव दिया है कि इन क्रिप्टोकरेंसी भंडारों पर वे सभी नियम लागू होने चाहिए, जो बैंकों पर लागू होते हैं।

loader


वित्त मंत्रालय ने दी यह जानकारी
वित्त मंत्रालय ने इस बारे में तुरंत नियम बनाने की जरूरत बताई है, लेकिन यह तभी संभव है कि जब अमेरिकी कांग्रेस (संसद) इसके लिए विधेयक पारित करे। जानकारों का कहना है कि अगर अमेरिकी कांग्रेस ने स्टेबलकॉइन्स को कानून-सम्मत बना दिया तो इसमें निवेश करने वाले अमेरिकियों की संख्या में तेजी से बढ़ोतरी होगी।
विज्ञापन
विज्ञापन


बैंकों के नियम क्रिप्टोकरेंसी पर होंगे लागू
विशेषज्ञों के मुताबिक, स्टेबलकॉइन्स की अब क्रिप्टोकरेंसी की दुनिया में बड़ी भूमिका बन गई है। ये वास्तविक अर्थव्यवस्था में ठीक वैसी ही भूमिका निभा रहे हैं, जैसे बैंक निभाते हैं। बैंक लोगों को ऐसा खाता रखने की सुविधा देते हैं, जिनमें वे अपना धन रख सकते हैं। फिर वे जब चाहे उस धन को खर्च कर सकते हैं या किसी दूसरे को ट्रांसफर कर सकते हैं। स्टेबलकॉइन्स भी यही सुविधा दे रहे हैं। जहां दूसरी क्रिप्टोकरेंसी के भाव में तेजी से उतार-चढ़ाव आता रहता है, जबकि स्टेबलकॉइन्स का भाव डॉलर के बराबर स्थिर रहता है।

अमेरिकी सरकार ने इस वजह से लिया फैसला
बिटकॉइन दुनिया में सबसे पहली क्रिप्टोकरेंसी के रूप में आया था। उस वक्त यह कहा गया कि भविष्य में क्रिप्टोकरेंसी अमेरिकी डॉलर की जगह ले लेगी। उससे वित्तीय व्यवस्था पर लागू होने वाले अमेरिका के नियम बेअसर हो जाएंगे। हालांकि, विशेषज्ञों का कहना है कि स्टेबलकॉइन्स ने डॉलर को एक क्रिप्टोकरेंसी के रूप में दुनिया के सामने पेश कर दिया है। ऐसे में अब यह जरूरी हो गया है कि अमेरिका सरकार इसे अपने कानून के दायरे में ले आए।

फैसले से होगा यह फायदा
अमेरिकी बैंक सरकारी कानून के दायरे में काम करते हैं। उन पर ऑफिस ऑफ द कॉम्पट्रॉलर ऑफ करेंसी और फेडरल रिजर्व (अमेरिका का केंद्रीय बैंक) का नियंत्रण रहता है। बैंकों में जमा रकम की गारंटी फेडरल डिपॉजिट इंश्योरेंस कॉरपोरेशन देता है। यानी अगर कोई बैंक फेल हो जाता है, तो वहां लोगों की जितनी रकम जमा है, उसे ये संस्था चुकाती है। 

क्रिप्टोकरेंसी को लेकर नहीं है कानून
क्रिप्टोकरेंसी को लेकर अब तक अमेरिका में ऐसा कोई कानून नहीं है। जानकारों के मुताबिक कानून के दायरे से बाहर रहने की वजह से स्टेबलकॉइन्स का इस्तेमाल तेजी से बढ़ा रहा है, लेकिन इनमें रकम रखने पर उस हालत के लिए कोई गारंटी नहीं है कि अगर जिस कंपनी के भंडार में उसे रखा गया है, उसके दिवालिया हो जाने पर क्या होगा। वेबसाइट एक्सियोस.कॉम की एक रिपोर्ट के मुताबिक, स्टेबलकॉइन्स में अपना धन रखने वाले अमेरिकी लोगों की संख्या बढ़ रही है। इससे यह भय भी पैदा हुआ है कि इसका इस्तेमाल मनी लॉन्ड्रिंग या अपराधियों को धन देने के लिए किया जा सकता है। इसलिए अब स्टेबलकॉइन्स को विनियमित करने की प्रक्रिया शुरू हुई है। 

विज्ञापन
विज्ञापन

रहें हर खबर से अपडेट, डाउनलोड करें Android Hindi News App, iOS Hindi News App और Amarujala Hindi News APP अपने मोबाइल पे|
Get latest World News headlines in Hindi related political news, sports news, Business news all breaking news and live updates. Stay updated with us for all latest Hindi news.

विज्ञापन
विज्ञापन

एड फ्री अनुभव के लिए अमर उजाला प्रीमियम सब्सक्राइब करें

Next Article

एप में पढ़ें

Followed