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Nepal Gen Z Protests: 'जेन-जी आंदोलन के समय सरकार ने गोली चलाने को नहीं कहा'; दावे खारिज कर बोले पूर्व PM ओली
वर्ल्ड डेस्क, अमर उजाला, काठमांडू
Published by: पवन पांडेय
Updated Fri, 19 Sep 2025 03:32 PM IST
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सार
Nepal Gen Z Protests: नेपाल के पूर्व प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने हाल ही में हुए जेन-जी आंदोलन को लेकर लगाए जा रहे उन आरोपों को खारिज कर दिया है, जिसमें दावा किया जा रहा है कि उनकी सरकार ने आंदोलन के दौरान प्रदर्शनकारियों को गोली मारने का आदेश जारी किया था।

केपी शर्मा ओली, नेपाल के पूर्व प्रधानमंत्री
- फोटो : ANI
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विस्तार
नेपाल के अपदस्थ प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने इस बात से इनकार किया है कि उनकी सरकार ने 8 सितंबर को आंदोलन के पहले दिन ‘जेन-जी’ विरोध प्रदर्शन के दौरान प्रदर्शनकारियों को गोली मारने का आदेश दिया था, जिसमें तकरीबन 19 लोग मारे गए थे। बता दें कि नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी (एकीकृत मार्क्सवादी-लेनिनवादी) के अध्यक्ष ने इसके बजाय घुसपैठियों को इस त्रासदी के लिए ज़िम्मेदार ठहराया।
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पूर्व पीएम ओली ने संदेश जारी कर किया दावा
पूर्व पीएम ओली ने देश के संविधान दिवस पर जारी एक संदेश में दावा किया, 'सरकार ने प्रदर्शनकारियों पर गोली चलाने का आदेश नहीं दिया था।' इस दौरान उन्होंने ये भी दावा किया, 'प्रदर्शनकारियों पर स्वचालित बंदूकों से गोलियां चलाई गईं, जो पुलिसकर्मियों के पास नहीं थीं, और इसकी जांच होनी चाहिए।' शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शनों में घुसपैठ का दावा करते हुए, सीपीएन-यूएमएल अध्यक्ष ने कहा, 'घुसपैठ करने वाले षड्यंत्रकारियों ने आंदोलन को हिंसक बना दिया, और इस तरह हमारे युवा मारे गए।' जानमाल के नुकसान पर दुख व्यक्त करते हुए, ओली ने घटना की जांच की मांग की।
सभी पीढ़ियों को एकजुट होना होगा- ओली
उन्होंने फेसबुक पर एक पोस्ट में कहा, 'मेरे पद से इस्तीफा देने के बाद सिंह दरबार सचिवालय और सुप्रीम कोर्ट में आग लगा दी गई, नेपाल का नक्शा जला दिया गया और कई महत्वपूर्ण सरकारी इमारतों में आग लगा दी गई।' उन्होंने आगे कहा, 'मैं इन घटनाओं के पीछे की साजिशों के बारे में विस्तार से नहीं बताना चाहता, समय खुद ही सब कुछ कह देगा।' उन्होंने संविधान लागू करते समय देश के सामने आई चुनौतियों को भी याद किया। उन्होंने कहा, 'संविधान सीमा पर नाकेबंदी और राष्ट्रीय संप्रभुता के खिलाफ चुनौतियों के बीच लागू किया गया था।' उन्होंने आगे कहा, 'नेपाल की सभी पीढ़ियों को एकजुट होना होगा - हमारी संप्रभुता पर हमले का सामना करने और हमारे संविधान की रक्षा करने के लिए।'
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केपी शर्मा ओली ने 9 सितंबर को इस्तीफा दे दिया, जब 8 सितंबर को विरोध प्रदर्शनों के दौरान पुलिस कार्रवाई में कम से कम 19 लोगों की मौत के लिए उनके इस्तीफे की मांग करते हुए सैकड़ों आंदोलनकारी उनके कार्यालय में घुस आए। 8 और 9 सितंबर को कथित भ्रष्टाचार और सोशल मीडिया पर प्रतिबंध के खिलाफ हुए हिंसक विरोध प्रदर्शन के दौरान 3 पुलिसकर्मियों सहित 72 लोग मारे गए थे।

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पूर्व पीएम ओली ने संदेश जारी कर किया दावा
पूर्व पीएम ओली ने देश के संविधान दिवस पर जारी एक संदेश में दावा किया, 'सरकार ने प्रदर्शनकारियों पर गोली चलाने का आदेश नहीं दिया था।' इस दौरान उन्होंने ये भी दावा किया, 'प्रदर्शनकारियों पर स्वचालित बंदूकों से गोलियां चलाई गईं, जो पुलिसकर्मियों के पास नहीं थीं, और इसकी जांच होनी चाहिए।' शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शनों में घुसपैठ का दावा करते हुए, सीपीएन-यूएमएल अध्यक्ष ने कहा, 'घुसपैठ करने वाले षड्यंत्रकारियों ने आंदोलन को हिंसक बना दिया, और इस तरह हमारे युवा मारे गए।' जानमाल के नुकसान पर दुख व्यक्त करते हुए, ओली ने घटना की जांच की मांग की।
सभी पीढ़ियों को एकजुट होना होगा- ओली
उन्होंने फेसबुक पर एक पोस्ट में कहा, 'मेरे पद से इस्तीफा देने के बाद सिंह दरबार सचिवालय और सुप्रीम कोर्ट में आग लगा दी गई, नेपाल का नक्शा जला दिया गया और कई महत्वपूर्ण सरकारी इमारतों में आग लगा दी गई।' उन्होंने आगे कहा, 'मैं इन घटनाओं के पीछे की साजिशों के बारे में विस्तार से नहीं बताना चाहता, समय खुद ही सब कुछ कह देगा।' उन्होंने संविधान लागू करते समय देश के सामने आई चुनौतियों को भी याद किया। उन्होंने कहा, 'संविधान सीमा पर नाकेबंदी और राष्ट्रीय संप्रभुता के खिलाफ चुनौतियों के बीच लागू किया गया था।' उन्होंने आगे कहा, 'नेपाल की सभी पीढ़ियों को एकजुट होना होगा - हमारी संप्रभुता पर हमले का सामना करने और हमारे संविधान की रक्षा करने के लिए।'
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केपी शर्मा ओली ने 9 सितंबर को इस्तीफा दे दिया, जब 8 सितंबर को विरोध प्रदर्शनों के दौरान पुलिस कार्रवाई में कम से कम 19 लोगों की मौत के लिए उनके इस्तीफे की मांग करते हुए सैकड़ों आंदोलनकारी उनके कार्यालय में घुस आए। 8 और 9 सितंबर को कथित भ्रष्टाचार और सोशल मीडिया पर प्रतिबंध के खिलाफ हुए हिंसक विरोध प्रदर्शन के दौरान 3 पुलिसकर्मियों सहित 72 लोग मारे गए थे।