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ब्रिटेन की मुश्किलें बढ़ीं, यरोपीय यूनियन ने दी अंतरराष्ट्रीय न्यायालय जाने की धमकी
वर्ल्ड डेस्क, अमर उजाला, ब्रसेल्स
Published by: Harendra Chaudhary
Updated Thu, 04 Mar 2021 03:40 PM IST
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सार
ब्रेग्जिट व्यापार समझौते के नियम एक अप्रैल से लागू होने वाले हैं। लेकिन ब्रिटेन के उत्तरी आयरलैंड मामलों के मंत्री ब्रैंडन लुइस ने एलान किया है कि ये अमल अब एक अक्तूबर तक टाला जा रहा है। ब्रिटेन के इस कदम से उत्तरी आयरलैंड भी नाराज है.....

यूरोपीय संघ
- फोटो : pixabay
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विस्तार
ब्रेग्जिट (यूरोपियन यूनियन से ब्रिटेन के अलगाव) के बाद दोनों पक्षों के बीच सद्भावपूर्ण संबंध बने रहने की उम्मीदों को तगड़ा झटका लगा है। यूरोपियन यूनियन (ईयू) ने अब एक ताजा विवाद में ब्रिटेन के खिलाफ कानूनी कदम उठाने का एलान कर दिया है। ताजा विवाद ब्रिटेन की तरफ से उत्तरी आयरलैंड के लिए खाद्य नियंत्रणों के मामले में अनुकंपा अवधि (ग्रेस पीरियड) बढ़ाने के मुद्दे पर उठा है। ईयू ने ग्रेस पीरियड बढ़ाने के ब्रिटेन के फैसले को ‘एकतरफा, अंतररष्ट्रीय कानून के खिलाफ और ब्रेग्जिट व्यापार समझौते का उल्लंघन’ करार दिया है।

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यूरोपीय आयोग के उपाध्यक्ष मार्कोस सेफकोविच ने कहा है कि ब्रिटेन ने ये कदम उठा कर अब तक मौजूद रहे रचनात्मक नजरिए को तिलांजलि दे दी है। उन्होंने कहा कि इस कदम से उत्तरी आयरलैंड से व्यापार के मामले में जो वार्ता चल रही है, उससे भरोसा उठ गया है। ब्रेग्जिट व्यापार समझौते के नियम एक अप्रैल से लागू होने वाले हैं। लेकिन ब्रिटेन के उत्तरी आयरलैंड मामलों के मंत्री ब्रैंडन लुइस ने एलान किया है कि ये अमल अब एक अक्तूबर तक टाला जा रहा है। ब्रिटेन के इस कदम से उत्तरी आयरलैंड भी नाराज है। उसने कहा है कि ये ऐसा कदम है, जिससे उसे कोई सहायता नहीं मिलेगी।
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ब्रेग्जिट समझौते में ब्रिटेन इस प्रावधान पर राजी हुआ था कि ब्रेग्जिट के बाद भी उत्तरी आयरलैंड पर ईयू के कुछ नियम लागू रहेंगे। इसका मकसद उत्तरी आयरलैंड के आजादी समर्थक समूहों और ब्रिटिश सरकार के बीच अतीत में हुए गुड फ्राइडे समझौते की शर्तों का पालन करना बताया गया था। नए प्रावधान से एक अप्रैल के बाद उत्तरी आयरलैंड और ब्रिटेन के बीच खाद्य पदार्थों की आवाजाही पर कस्टम घोषणा संबंधी और कुछ अन्य रुकावटें आ जातीं। इसलिए ब्रिटेन ने अब इन नियमों पर अमल को छह महीने के लिए टाल दिया है। उसने कहा है कि ये कदम इसलिए उठाया गया है ताकि तब तक दोनों स्थानों के कारोबारी इन नियमों को लेकर आश्वस्त और आदी हो जाएं।
टीवी चैनल यूरो न्यूज के मुताबिक आयरलैंड ने ब्रिटिश सरकार के ताजा कदम की आलोचना करते हुए कहा है कि 24 फरवरी को ईयू और ब्रिटेन की साझा कमेटी की बैठक में ब्रिटेन ने ब्रेग्जिट समझौते पर उचित अमल का वादा दोहराया था। लेकिन ताजा घोषणा उस वादे के खिलफ है। आयरलैंड के विदेश मंत्रालय ने कहा कि ब्रिटेन की ये एकतरफा घोषणा विश्वास और दोस्ताना संबंध बनाने में असहायक साबित होगी, जिसके बिना ब्रेग्जिट समझौते पर अमल संभव नहीं है।
ब्रेग्जिट के कारण उत्तरी आयरलैंड में पहले से असंतोष है। लंदन के अखबार द गार्जियन की एक ताजा रिपोर्ट के मुताबिक उत्तरी आयरलैंड के कई समूह गुड फ्राइडे समझौते के प्रति अपनी वचनबद्धता से पीछे हट रहे हैं। ये समूह ब्रेग्जिट के बाद आयरिश सागर में व्यापार के लिए लागू होने वाले नियमों को लेकर चिंतित हैं। गुड फ्राइडे समझौता 1998 में हुआ था। उसके तहत दशकों से उत्तर आयरलैंड की आजादी के लिए मुहिम चला रहे समूहों ने अपनी ये मांग छोड़ दी थी। लेकिन उत्तर आयरलैंड में अब जनमत का एक हिस्सा ब्रेग्जिट के बाद ब्रिटेन के आंतरिक बाजार का हिस्सा बनने को लेकर आशंकित है।
ब्रेग्जिट के बाद से उत्तरी आयरलैंड में बाहर से सामान मंगाने की दिक्कतें बढ़ी हैं। अतिरिक्त नियमों की वजह से उत्तरी आयरलैंड को सामान भेजने वाले ब्रिटिश सप्लायरों की भी मुश्किल बढ़ी है। उत्तरी आयरलैंड की पुलिस ने उत्तर आयरलैंड में इन कारणों से बढ़ रहे असंतोष को लेकर चेतावनी दी गई है। पुलिस अधिकारियों ने कहा है कि देश में बेचैनी का माहौल है। उन्होंने लोगों से हिंसा से बचने की अपील की है। आम तौर इस उभरती स्थिति को उत्तरी आयरलैंड और ब्रिटेन में लोग चिंतित हैं।