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US: हार्वर्ड में विदेशी छात्रों के प्रवेश पर ट्रंप के फैसले पर संघीय अदालत की रोक; विश्वविद्यालय ने दी यह दलील

वर्ल्ड डेस्क, अमर उजाला, वाशिंगटन Published by: शिव शुक्ला Updated Fri, 23 May 2025 10:39 PM IST
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सार

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के प्रशासन ने हार्वर्ड यूनिवर्सिटी की विदेशी छात्रों को दाखिला देने की पात्रता रद्द कर दी है। होमलैंड सिक्योरिटी सचिव क्रिस्टी नोएम ने हार्वर्ड को पत्र लिखकर इसकी जानकारी दी थी, वहीं, अब ट्रंप प्रशासन के इस आदेश पर संघीय अदालत ने रोक लगा दी है।  

Federal judge blocks Trump administration decision to bar foreign student enrolment at Harvard
ट्रंप प्रशासन, हार्वर्ड यूनिवर्सिटी - फोटो : हार्वर्ड विश्वविद्यालय/पीटीआई
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संघीय न्यायाधीश ने अमेरिका में डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन के हार्वर्ड विश्वविद्यालय में विदेशी छात्रों के प्रवेश पर रोक लगाने वाले फैसले पर रोक लगा दी है। ट्रंप प्रशासन के फैसले के खिलाफ हार्वर्ड विश्वविद्यालय ने शुक्रवार को मैसाचुसेट्स में यूएस डिस्ट्रिक्ट कोर्ट में मुकदमा दायर किया। ट्रंप के इस फैसले से विश्वविद्यालय में शिक्षा ग्रहण कर रहे 800 भारतीय समेत अन्य देशों के करीब 7000 छात्रों का भविष्य अधर में लटक गया है। 

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गौरतलब है कि ट्रंप सरकार की आंतरिक सुरक्षा मंत्री क्रिस्टी नोएम ने गुरुवार को हार्वर्ड के स्टूडेंट एंड एक्सचेंज विजिटर प्रोग्राम सर्टिफिकेशन को समाप्त करने का आदेश जारी किया था, यह शैक्षणिक सत्र 2025-2026 से ही प्रभावी होगा। नोएम ने हार्वर्ड विश्वविद्यालय पर हिंसा, यहूदी-विरोधी भावना को बढ़ावा देने और चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के साथ सहयोग का आरोप लगाते हुए यह आदेश जारी किया।  क्रिस्टी नोएम ने विश्वविद्यालय को लिखे पत्र में कहा, मैं आपको यह सूचित करने के लिए पत्र लिख रही हूं कि हार्वर्ड विश्वविद्यालय के छात्र एवं शैक्षणिक विनिमय प्रवेश कार्यक्रम का प्रमाणन तत्काल प्रभाव से रद्द कर दिया गया है।
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इस फैसले को लेकर भारतीय-अमेरिकियों में गुस्सा है। कई लोगों ने इस बारे में कहा, यह वह अमेरिका नहीं है जिसके लिए हम खड़े हैं। इस फैसले से भारत और चीन समेत दुनिया के कई देशों के युवा बुरी तरह प्रभावित होंगे।

वहीं, ट्रंप प्रशासन के इस फैसले को विश्वविद्यालय प्रशासन ने कोर्ट में चुनौती दी है। बोस्टन संघीय अदालत में दायर मुकदमे में हार्वर्ड विश्वविद्यालय की ओर से कहा गया है कि यह आदेश अमेरिकी संविधान और अन्य संघीय कानूनों का घोर उल्लंघन है। इसका विश्वविद्यालय और 7,000 से अधिक वीजा धारक छात्रों पर तत्काल और विनाशकारी प्रभाव पड़ा है। हार्वर्ड ने कहा, कलम के एक झटके से सरकार ने हार्वर्ड के एक चौथाई छात्र समूह, अंतरराष्ट्रीय छात्रों को मिटाने की कोशिश की है, जो विश्वविद्यालय और उसके मिशन में महत्वपूर्ण योगदान देते हैं। 

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विश्वविद्यालय ने कहा, हार्वर्ड के प्रशासन, पाठ्यक्रम और इसके संकाय और छात्रों की विचारधारा को नियंत्रित करने की सरकार की मांग न माने जाने और इसके लिए संविधान के प्रथम संशोधन से मिले अधिकारों का प्रयोग किए जाने के कारण सरकार ने यह प्रतिशोधी कदम उठाया है। 

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ट्रंप प्रशासन का फैसला कानूनी तौर पर सही?

अमेरिकी कानून के तहत होमलैंड सुरक्षा विभाग के पास छात्र वीजा पर अधिकार क्षेत्र है। वह SEVP की देखरेख करता है। हार्वर्ड के SEVP प्रमाणन को रद्द करके, DHS अनिवार्य रूप से विश्वविद्यालय को वैध रूप से विदेशी छात्रों की मेजबानी करने से रोक रहा है। संस्थानों को पहले भी SEVP सूची से हटाया गया है, ऐसी कार्रवाइयां आम तौर पर गंभीर प्रशासनिक चूक जैसे कि मान्यता का नुकसान, योग्य संकाय की कमी या संस्थान को बंद करने के लिए की जाती हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि हार्वर्ड के खिलाफ वर्तमान कार्रवाई अभूतपूर्व है।

भारतीय छात्रों पर भी गिरेगी गाज
ट्रंप के फैसले का तमाम भारतीयों पर भी पड़ेगा। ऐसे भारतीय छात्र हार्वर्ड में पढ़ाई कर रहे हैं या फिर जो इस साल वहां दाखिला लेने की तैयारी कर रहे हैं, उन्हें अमेरिका के इस फैसले की वजह से परेशानियों का सामना करना पड़ेगा। हार्वर्ड के आधिकारिक दस्तावेजों के मुताबिक, हर साल लगभग 1000 भारतीय छात्र यहां दाखिला लेते हैं। इस साल 788 भारतीय छात्रों ने हार्वर्ड में दाखिला लिया था।

प्रतिवर्ष 9 अरब अमेरिकी डॉलर से अधिक का योगदान करते हैं भारतीय
भारतीय छात्र अमेरिकी अर्थव्यवस्था में प्रतिवर्ष 9 अरब अमेरिकी डॉलर से अधिक का योगदान करते हैं। दोनों देशों के बीच सांस्कृतिक और आर्थिक संबंधों को मजबूत करते हैं। दोनों ही देश अक्सर तकनीक, चिकित्सा और अन्य क्षेत्रों में नवाचार का नेतृत्व करते हैं।


100 से अधिक देशों से आते हैं छात्र
हार्वर्ड कैम्ब्रिज, मैसाचुसेट्स में अपने परिसर में लगभग 6,800 विदेशी छात्रों को दाखिला देता है। यह इसके छात्र निकाय का एक चौथाई से अधिक हिस्सा है। इनमें अधिकांश स्नातक छात्र हैं, जो 100 से अधिक देशों से आते हैं। 
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