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बांग्लादेश: सत्ता परिवर्तन के बाद अल्पसंख्यकों पर हमले बढ़े, क्षेत्रीय स्थिरता पर चिंता

एजेंसी Published by: लव गौर Updated Sat, 20 Dec 2025 04:33 AM IST
सार

विश्लेषकों का कहना है कि यह टिप्पणी अगस्त 2024 में पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना को हटाए जाने और मुहम्मद यूनुस के सत्ता संभालने के बाद बांग्लादेश के राजनीतिक और सामाजिक परिदृश्य में आए बदलाव को दर्शाती है।

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Following change of power in Bangladesh attacks on minorities have increased
उस्मान हादी की मौत पर ढाका में न्याय मांगते हुए समर्थकों का हुजूम। - फोटो : अमर उजाला प्रिंट
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विस्तार
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बांग्लादेश में हालिया राजनीतिक बदलाव के बाद अल्पसंख्यकों की सुरक्षा और दक्षिण एशिया की क्षेत्रीय स्थिरता को लेकर चिंताएं और गहरी हो गई हैं। नेशनल सिटिजन पार्टी (एनसीपी) के नेता और दक्षिणी क्षेत्र के मुख्य आयोजक हसनत अब्दुल्ला के उस बयान ने इन आशंकाओं को और बढ़ाया है, जिसमें उन्होंने कहा था कि यदि बांग्लादेश अस्थिर होता है तो भारत के पूर्वोत्तर के सात बहन राज्य अलग-थलग पड़ सकते हैं। टाइम्स ऑफ इस्राइल की एक रिपोर्ट के अनुसार, इस बयान को क्षेत्रीय पर्यवेक्षक गंभीर संकेत के रूप में देख रहे हैं।
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विश्लेषकों का कहना है कि यह टिप्पणी अगस्त 2024 में पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना को हटाए जाने और मुहम्मद यूनुस के सत्ता संभालने के बाद बांग्लादेश के राजनीतिक और सामाजिक परिदृश्य में आए बदलाव को दर्शाती है।
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इस अवधि में कट्टर बयानबाजी बढ़ी है, इस्लामवादी नेटवर्क फिर से सक्रिय हुए हैं और धार्मिक अल्पसंख्यकों के खिलाफ हिंसा की घटनाओं में उल्लेखनीय वृद्धि देखी गई है। विशेषज्ञों के मुताबिक, राजनीतिक संक्रमण के बाद बने सत्ता के खालीपन का फायदा पहचान और असंतोष आधारित राजनीति करने वाली ताकतों ने उठाया है।

टिपरा मोथा युवा विंग का प्रदर्शन
टिपरा मोथा पार्टी के युवा संगठन यूथ टिपरा फेडरेशन (वाईटीएफ) ने शुक्रवार को अगरतला स्थित बांग्लादेश सहायक उच्चायोग के पास प्रदर्शन किया। यह प्रदर्शन बांग्लादेश में भारत-विरोधी अभियान और नेशनल सिटिजन पार्टी (एनसीपी) के हसनत अब्दुल्ला के पूर्वोत्तर भारत को लेकर की गई टिप्पणी के विरोध में किया गया।

ये भी पढ़ें: Bangladesh: 'कल पूरा देश हिल जाएगा...', उस्मान हादी की हत्या से पहले आरोपी फैसल ने प्रेमिका से कही थी यह बात

प्रदर्शन को देखते हुए बांग्लादेश सहायक उच्चायोग के आसपास सुरक्षा व्यवस्था कड़ी कर दी गई है। अब्दुल्ला ने हाल ही में एक रैली में पूर्वोत्तर भारत को अलग करने और अलगाववादी नेताओं को शरण देने की धमकी दी थी।

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