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फलस्तीन-इस्राइल संघर्ष: गाजा में शांति पर पाकिस्तान के इस ऑफर की अमेरिका ने की पुष्टि, कहा- युद्ध रोकना लक्ष्य
वर्ल्ड डेस्क, अमर उजाला, वॉशिंगटन
Published by: हिमांशु चंदेल
Updated Sat, 20 Dec 2025 12:56 AM IST
सार
अमेरिका ने पुष्टि की है कि पाकिस्तान ने गाजा में शांति स्थापना के लिए प्रस्तावित अंतरराष्ट्रीय स्थिरीकरण बल में शामिल होने का प्रस्ताव दिया है। अमेरिका का कहना है कि उसका मुख्य उद्देश्य फलस्तीन-इस्राइल संघर्ष में युद्ध रोकना और क्षेत्र में स्थिरता लाना है।
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मार्को रुबियो, अमेरिकी विदेश मंत्री
- फोटो : ANI
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विस्तार
गाजा में लंबे समय से जारी इस्राइल-फलस्तीन संघर्ष के बीच शांति स्थापना को लेकर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर नई पहल सामने आई है। अमेरिका ने पुष्टि की है कि पाकिस्तान ने गाजा के लिए प्रस्तावित अंतरराष्ट्रीय स्थिरीकरण बल में अपने सैनिक भेजने की पेशकश की है। यह पहल मौजूदा अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की 20 सूत्री शांति योजना के तहत की जा रही है, जिसका मकसद संघर्ष प्रभावित क्षेत्र में स्थिरता, सुरक्षा और पुनर्निर्माण सुनिश्चित करना है।
अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने साफ किया है कि पाकिस्तान ने गाजा में शांति स्थापना के प्रयासों में शामिल होने की इच्छा जताई है, लेकिन अभी तक कोई अंतिम फैसला नहीं हुआ है। रुबियो के अनुसार, अमेरिका पहले सभी पक्षों को जरूरी जानकारी देगा, उसके बाद ही किसी देश से ठोस प्रतिबद्धता मांगी जाएगी। उन्होंने यह भी कहा कि कई देश ऐसे हैं, जो इस संघर्ष में सभी पक्षों को स्वीकार्य हैं और शांति बल का हिस्सा बनने को तैयार हैं।
पाकिस्तान ने अभी अंतिम फैसला नहीं लिया
पाकिस्तान की ओर से भी साफ किया गया है कि फिलहाल गाजा के लिए प्रस्तावित अंतरराष्ट्रीय स्थिरीकरण बल में सैनिक भेजने पर कोई निर्णय नहीं हुआ है। पाक विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा कि इस मुद्दे पर सरकार के स्तर पर विचार जारी है। हालांकि पाकिस्तान ने संयुक्त राष्ट्र में इस योजना के समर्थन में मतदान किया था, जिससे यह संकेत मिलता है कि वह शांति प्रयासों के पक्ष में है, लेकिन जमीन पर सैनिक भेजने को लेकर सावधानी बरती जा रही है।
ये भी पढ़ें- 'कल पूरा देश हिल जाएगा...', उस्मान हादी की हत्या से पहले आरोपी फैसल ने प्रेमिका से कही थी यह बात
युद्धविराम से पुनर्निर्माण तक की रूपरेखा
ट्रंप की 20 सूत्री शांति योजना गाजा में युद्धविराम, सुरक्षा, विसैन्यीकरण और पुनर्निर्माण पर केंद्रित है। इसी योजना के तहत अंतरराष्ट्रीय स्थिरीकरण बल की परिकल्पना की गई है। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने इस योजना का समर्थन करते हुए एक अस्थायी बहुराष्ट्रीय बल के गठन को मंजूरी दी थी। इसका उद्देश्य गाजा में हिंसा रोकना और आम लोगों को राहत देना है।
राष्ट्रीय हित के साथ शांति की कोशिश
मार्को रुबियो ने कहा कि ट्रंप को अमेरिकी जनता ने इसलिए चुना क्योंकि विदेश नीति में बड़े बदलाव की जरूरत थी। उन्होंने कहा कि दुनिया बदल चुकी है और पुरानी नीतियां अब कारगर नहीं रहीं। अमेरिका की विदेश नीति का केंद्र अब उसका राष्ट्रीय हित है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि वह वैश्विक संकटों से दूरी बना लेगा। गाजा के साथ-साथ अमेरिका रूस-यूक्रेन, भारत-पाकिस्तान, सूडान और अन्य क्षेत्रों में भी शांति की कोशिश कर रहा है।
शांति ही हमारा लक्ष्य- मार्को रुबियो
अमेरिका का कहना है कि उसका लक्ष्य युद्ध रोकना और स्थिरता लाना है, न कि किसी एक पक्ष का समर्थन करना। हालांकि, बातचीत के बाद समझौतों को लागू करना सबसे बड़ी चुनौती होती है। गाजा में अंतरराष्ट्रीय स्थिरीकरण बल की तैनाती तभी संभव होगी, जब सभी पक्ष सहमत हों और भाग लेने वाले देश स्पष्ट प्रतिबद्धता जताएं। आने वाले दिनों में इस मुद्दे पर वैश्विक कूटनीति और तेज होने की संभावना है।
वेनेजुएला पर मार्को रुबियो का सख्त रुख
अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने वेनेजुएला को लेकर ट्रंप प्रशासन की आक्रामक नीति का खुलकर बचाव किया। उन्होंने कहा कि अमेरिका की सैन्य कार्रवाई किसी सरकार को गिराने के लिए नहीं, बल्कि 'नार्को-आतंकवादियों' के खिलाफ है, जो नशीले पदार्थों की तस्करी के जरिए अमेरिका को नुकसान पहुंचा रहे हैं। रुबियो ने वेनेजुएला के राष्ट्रपति निकोलस मादुरो को अवैध शासक बताते हुए कई आरोप लगाए.
उन्होंने कहा कि उनका शासन ईरान, हिज्बुल्लाह और ड्रग तस्करी संगठनों से सहयोग करता है। उन्होंने कहा कि ये संगठन न सिर्फ तस्करी को संरक्षण देते हैं, बल्कि देश के कुछ हिस्सों पर नियंत्रण भी रखते हैं। रुबियो ने साफ किया कि मौजूदा सैन्य अभियान युद्ध की श्रेणी में नहीं आता और इसके लिए कांग्रेस की मंजूरी जरूरी नहीं है। उन्होंने कहा कि प्रशासन के पास मजबूत कानूनी आधार है और अमेरिका अपने राष्ट्रीय हितों की रक्षा के लिए हर जरूरी कदम उठाता रहेगा।
रूस-यूक्रेन युद्ध पर बोले क्या रुबियो?
रूस-यूक्रेन युद्ध को लेकर मार्को रुबियो ने स्पष्ट कहा कि अमेरिका किसी पर शांति समझौता थोप नहीं सकता। उन्होंने कहा कि युद्ध समाप्ति तभी संभव है, जब रूस और यूक्रेन दोनों शर्तों पर सहमत हों। रुबियो के अनुसार, किसी भी समझौते में दोनों पक्षों को कुछ देना और कुछ लेना होगा। उन्होंने माना कि शांति समझौता न भी हो पाए, यह दुर्भाग्यपूर्ण होगा, लेकिन यथार्थ यही है।
अमेरिका की भूमिका दोनों देशों को बातचीत की मेज तक लाने और साझा समाधान की दिशा में “हल्का धक्का” देने की है। रुबियो ने कहा कि यूक्रेन की ओर से क्षेत्रीय रियायतों को लेकर आपत्ति बनी हुई है, जबकि रूस अपनी शर्तों पर अड़ा है। ऐसे में समझौता आसान नहीं है। उन्होंने दोहराया कि ट्रंप प्रशासन का लक्ष्य युद्ध रोकना है, लेकिन किसी भी कीमत पर नहीं, बल्कि संतुलित और व्यवहारिक समझौते के जरिए।
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अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने साफ किया है कि पाकिस्तान ने गाजा में शांति स्थापना के प्रयासों में शामिल होने की इच्छा जताई है, लेकिन अभी तक कोई अंतिम फैसला नहीं हुआ है। रुबियो के अनुसार, अमेरिका पहले सभी पक्षों को जरूरी जानकारी देगा, उसके बाद ही किसी देश से ठोस प्रतिबद्धता मांगी जाएगी। उन्होंने यह भी कहा कि कई देश ऐसे हैं, जो इस संघर्ष में सभी पक्षों को स्वीकार्य हैं और शांति बल का हिस्सा बनने को तैयार हैं।
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#WATCH | US Secretary of State Marco Rubio says, "... I believe very strongly this president was elected. One of the reasons why President Trump was elected is sort of an understanding among the American people that our foreign policy was in need of a complete recalibration. A… pic.twitter.com/LraT3weyVF
— ANI (@ANI) December 19, 2025
पाकिस्तान ने अभी अंतिम फैसला नहीं लिया
पाकिस्तान की ओर से भी साफ किया गया है कि फिलहाल गाजा के लिए प्रस्तावित अंतरराष्ट्रीय स्थिरीकरण बल में सैनिक भेजने पर कोई निर्णय नहीं हुआ है। पाक विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा कि इस मुद्दे पर सरकार के स्तर पर विचार जारी है। हालांकि पाकिस्तान ने संयुक्त राष्ट्र में इस योजना के समर्थन में मतदान किया था, जिससे यह संकेत मिलता है कि वह शांति प्रयासों के पक्ष में है, लेकिन जमीन पर सैनिक भेजने को लेकर सावधानी बरती जा रही है।
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युद्धविराम से पुनर्निर्माण तक की रूपरेखा
ट्रंप की 20 सूत्री शांति योजना गाजा में युद्धविराम, सुरक्षा, विसैन्यीकरण और पुनर्निर्माण पर केंद्रित है। इसी योजना के तहत अंतरराष्ट्रीय स्थिरीकरण बल की परिकल्पना की गई है। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने इस योजना का समर्थन करते हुए एक अस्थायी बहुराष्ट्रीय बल के गठन को मंजूरी दी थी। इसका उद्देश्य गाजा में हिंसा रोकना और आम लोगों को राहत देना है।
राष्ट्रीय हित के साथ शांति की कोशिश
मार्को रुबियो ने कहा कि ट्रंप को अमेरिकी जनता ने इसलिए चुना क्योंकि विदेश नीति में बड़े बदलाव की जरूरत थी। उन्होंने कहा कि दुनिया बदल चुकी है और पुरानी नीतियां अब कारगर नहीं रहीं। अमेरिका की विदेश नीति का केंद्र अब उसका राष्ट्रीय हित है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि वह वैश्विक संकटों से दूरी बना लेगा। गाजा के साथ-साथ अमेरिका रूस-यूक्रेन, भारत-पाकिस्तान, सूडान और अन्य क्षेत्रों में भी शांति की कोशिश कर रहा है।
शांति ही हमारा लक्ष्य- मार्को रुबियो
अमेरिका का कहना है कि उसका लक्ष्य युद्ध रोकना और स्थिरता लाना है, न कि किसी एक पक्ष का समर्थन करना। हालांकि, बातचीत के बाद समझौतों को लागू करना सबसे बड़ी चुनौती होती है। गाजा में अंतरराष्ट्रीय स्थिरीकरण बल की तैनाती तभी संभव होगी, जब सभी पक्ष सहमत हों और भाग लेने वाले देश स्पष्ट प्रतिबद्धता जताएं। आने वाले दिनों में इस मुद्दे पर वैश्विक कूटनीति और तेज होने की संभावना है।
वेनेजुएला पर मार्को रुबियो का सख्त रुख
अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने वेनेजुएला को लेकर ट्रंप प्रशासन की आक्रामक नीति का खुलकर बचाव किया। उन्होंने कहा कि अमेरिका की सैन्य कार्रवाई किसी सरकार को गिराने के लिए नहीं, बल्कि 'नार्को-आतंकवादियों' के खिलाफ है, जो नशीले पदार्थों की तस्करी के जरिए अमेरिका को नुकसान पहुंचा रहे हैं। रुबियो ने वेनेजुएला के राष्ट्रपति निकोलस मादुरो को अवैध शासक बताते हुए कई आरोप लगाए.
उन्होंने कहा कि उनका शासन ईरान, हिज्बुल्लाह और ड्रग तस्करी संगठनों से सहयोग करता है। उन्होंने कहा कि ये संगठन न सिर्फ तस्करी को संरक्षण देते हैं, बल्कि देश के कुछ हिस्सों पर नियंत्रण भी रखते हैं। रुबियो ने साफ किया कि मौजूदा सैन्य अभियान युद्ध की श्रेणी में नहीं आता और इसके लिए कांग्रेस की मंजूरी जरूरी नहीं है। उन्होंने कहा कि प्रशासन के पास मजबूत कानूनी आधार है और अमेरिका अपने राष्ट्रीय हितों की रक्षा के लिए हर जरूरी कदम उठाता रहेगा।
रूस-यूक्रेन युद्ध पर बोले क्या रुबियो?
रूस-यूक्रेन युद्ध को लेकर मार्को रुबियो ने स्पष्ट कहा कि अमेरिका किसी पर शांति समझौता थोप नहीं सकता। उन्होंने कहा कि युद्ध समाप्ति तभी संभव है, जब रूस और यूक्रेन दोनों शर्तों पर सहमत हों। रुबियो के अनुसार, किसी भी समझौते में दोनों पक्षों को कुछ देना और कुछ लेना होगा। उन्होंने माना कि शांति समझौता न भी हो पाए, यह दुर्भाग्यपूर्ण होगा, लेकिन यथार्थ यही है।
अमेरिका की भूमिका दोनों देशों को बातचीत की मेज तक लाने और साझा समाधान की दिशा में “हल्का धक्का” देने की है। रुबियो ने कहा कि यूक्रेन की ओर से क्षेत्रीय रियायतों को लेकर आपत्ति बनी हुई है, जबकि रूस अपनी शर्तों पर अड़ा है। ऐसे में समझौता आसान नहीं है। उन्होंने दोहराया कि ट्रंप प्रशासन का लक्ष्य युद्ध रोकना है, लेकिन किसी भी कीमत पर नहीं, बल्कि संतुलित और व्यवहारिक समझौते के जरिए।
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