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Tension: 'इस्राइल-फलस्तीन द्विराष्ट्र समाधान पर बातचीत के लिए नेतन्याहू पर दबाव बनाएं'; फ्रांस की ईयू से अपील

वर्ल्ड डेस्क, अमर उजाला, संयुक्त राष्ट्र Published by: दीपक कुमार शर्मा Updated Tue, 29 Jul 2025 04:29 AM IST
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सार

फ्रांस ने यूरोपीय संघ और बाकी देशों से अपील की है कि वह इस्राइल पर दबाव डालें ताकि वह फलस्तीन के साथ शांति की दिशा में बात करे। फ्रांस ने फलस्तीन को एक देश के रूप में मान्यता दी है। सऊदी अरब और बाकी देश भी यही चाहते हैं कि पहले फलस्तीन को देश माना जाए, तभी इस्राइल के साथ संबंध सुधर सकते हैं।

France calls on EU to press Israel negotiate Palestinian two-state solution
गाजा पट्टी का दृश्य (फाइल) - फोटो : ANI
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विस्तार
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फ्रांस ने सोमवार (स्थानीय समयानुसार) को यूरोपीय संघ (EU) से अपील की कि वह इस्राइल पर दबाव बनाए ताकि वह फलस्तीन के साथ द्वि-राष्ट्र वाले समाधान पर सहमत हो जाए। यह फ्रांस का ताजा कदम है, जो गाजा में जारी युद्ध खत्म करवाने और फलस्तीन को एक स्वतंत्र देश के रूप में मान्यता देने की कोशिश कर रहा है। 

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फ्रांस के विदेश मंत्री  जीन-नोएल बैरोट ने संयुक्त राष्ट्र में पत्रकारों से कहा कि इस बात पर अंतरराष्ट्रीय सहमति है कि इस्राइल-फलस्तीन संघर्ष के राजनीतिक समाधान का समय आ गया है, लेकिन विश्व शक्तियों को बातें करने के साथ-साथ काम भी करने होंगे। उन्होंने कहा, 'यूरोपीय आयोग को यूरोपीय संघ की ओर से अपनी अपेक्षाएं व्यक्त करनी होंगी। वे उपाय दिखाने होंगे जिनसे हम इस्राइली सरकार को इस अपील पर विचार करने के लिए प्रोत्साहित कर सकें।'
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फ्रांस के विदेश मंत्री बैरोट ने यह बात संयुक्त राष्ट्र की एक उच्च-स्तरीय बैठक के पहले दिन कही, जिसमें इस्राइल-फलस्तीन संघर्ष के द्वि-राष्ट्र समाधान पर चर्चा हो रही थी। इस बैठक की सह-अध्यक्षता फ्रांस और सऊदी अरब कर रहे हैं। इस बैठक में दुनिया के 125 देशों के प्रतिनिधि शामिल हुए हैं, जिनमें 50 मंत्री भी हैं। लेकिन इस्राइल और अमेरिका ने इसमें हिस्सा नहीं लिया। 

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बैठक का मकसद शांति की कोशिशों को दोबारा शुरू करना
बैरोट ने कहा कि इस बैठक का मकसद शांति की कोशिशों को दोबारा शुरू करना है, क्योंकि अभी हालात ऐसे हैं कि द्वि-राष्ट्र वाला समाधान खत्म होता दिख रहा है, जबकि यही एकमात्र तरीका है, जिससे इस क्षेत्र में शांति और सुरक्षा आ सकती है। बैरोट ने यूरोपीय संघ से यह भी कहा कि वह इस्राइल पर दबाव डाले ताकि वह फलस्तीनी प्रशासन के दो अरब यूरो के बकाया फंड को जारी करे। वेस्ट बैंक पर नई बस्तियां बनाना रोके, क्योंकि इससे भविष्य के फलस्तीनी देश की जमीन खतरे में पड़ती है। गाजा में इस्राइल समर्थित अमेरिकी गाजा ह्यूमैनिटेरियन फाउंडेशन द्वारा एक सैन्यीकृत खाद्य वितरण प्रणाली को बंद करे, जिससे वहां कई आम लोग मारे गए हैं। 

  • इस्राइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू पहले ही साफ कर चुके हैं कि वे द्वि-राष्ट्र वाले समाधान को मानने के पक्ष में नहीं हैं। 

मैक्रों पहले ही फलस्तीन को स्वतंत्र राष्ट्र के रूप में मान्यता देने का कर चुके एलान
इस बैठक से पहले, फ्रांसीसी राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने कहा था कि सितंबर में संयुक्त राष्ट्र महासभा में विश्व नेताओं की वार्षिक बैठक में फ्रांस फलस्तीन को एक स्वतंत्र राष्ट्र के रूप में मान्यता देगा। यह एक प्रतीकात्मक लेकिन बड़ा कूटनीतिक कदम है, जिससे इस्राइल पर दबाव डाला जा सके। 

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फलस्तीन को मान्यता देने वाला पहला देश फ्रांस 
फ्रांस अब सबसे बड़ी पश्चिमी शक्ति है और फलस्तीन को मान्यता देने वाला जी7 प्रमुख औद्योगिक राष्ट्रों का एकमात्र सदस्य देश है, जिसने फलस्तीन को देश माना है। इससे दूसरे देशों को भी वैसा ही कदम उठाने का रास्ता मिल सकता है। आज की तारीख में 140 से ज्यादा देश फलस्तीन को एक देश मानते हैं। 

फलस्तीनी प्रधानमंत्री की देशों से अपील
बैठक के उद्घाटन अवसर पर, फलस्तीनी प्रधानमंत्री मुस्तफा ने कहा कि जो देश अभी तक फलस्तीन को मान्यता नहीं दे रहे हैं, वे अब देरी न करें। उन्होंने कहा, 'शांति का रास्ता फलस्तीन को एक देश के रूप में मान्यता देने और उसे बर्बादी से बचाने से शुरू होता है।'

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