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G20: अमेरिकी विरोध व विवादों के बीच जी-20 सम्मेलन समाप्त, भारत का दिखा दबदबा

एजेंसी Published by: लव गौर Updated Mon, 24 Nov 2025 04:10 AM IST
सार

दक्षिण अफ्रीका में पहली बार आयोजित जी-20 शिखर सम्मेलन रविवार को विवादों के बीच सम्पन्न हो गया। अमेरिका के बहिष्कार के कारण दक्षिण अफ्रीकी राष्ट्रपति सिरिल रामफोसा ने समापन समारोह के मौके पर किसी अमेरिकी अधिकारी को गवेल (अध्यक्षता का प्रतीक हथौड़ा) नहीं सौंपा।

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G20 summit ends in South Africa amid US Oppose and controversy India dominates
जी-20 सम्मेलन के समापन की घोषणा करते राष्ट्रपति रामफोसा। - फोटो : X-@g20org
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विस्तार
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दक्षिण अफ्रीका में पहली बार आयोजित जी-20 शिखर सम्मेलन रविवार को विवादों के बीच सम्पन्न हो गया। अमेरिका के बहिष्कार के कारण दक्षिण अफ्रीकी राष्ट्रपति सिरिल रामफोसा ने समापन समारोह के मौके पर किसी अमेरिकी अधिकारी को गवेल (अध्यक्षता का प्रतीक हथौड़ा) नहीं सौंपा। बहरहाल, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मौजूदगी, समूह के सदस्य देशों के नेताओं के साथ उनकी मुलाकात से लेकर सम्मेलन के एजेंडे तक में भारत का दबदबा पूरी तरह नजर आया। भारत वैश्विक दक्षिण की एक प्रमुख आवाज बनकर उभरा।
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अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने दक्षिण अफ्रीका पर नस्लभेद का आरोप लगाते हुए सम्मेलन का बहिष्कार कर दिया था। वह सम्मेलन में शिरकत करने नहीं पहुंचे और जलवायु वित्त जैसे कई अहम मुद्दों पर अड़ंगा लगाकर घोषणापत्र जारी होने से रोकने की कोशिश भी की। लेकिन दक्षिण अफ्रीका ने सम्मेलन के शुरुआत में ही घोषणापत्र को सर्वसम्मति से पारित कराकर साफ कर दिया कि वह अमेरिका गैर-मौजूदगी से प्रभावित होने वाला नहीं है। यह सम्मेलन इस मामले में भी ऐतिहासिक रहा कि पहली बार किसी को अध्यक्षता का प्रतीक हथौड़ा (गैवल) नहीं सौंपा गया। सम्मेलन के समापन से पहले ही दक्षिण अफ्रीकी विदेश मंत्री रोनाल्ड लामोला ने साफ कर दिया कि कोई औपचारिक हैंडओवर सेरेमनी नहीं होगी। अमेरिका चाहे तो बाद में विदेश मंत्रालय के दफ्तर से जी-20 से जुड़े दस्तावेज ले सकता है। 
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अगले मेजबान को सौंपा जाता है गैवल
दरअसल, हर जी-20 शिखर सम्मेलन के मौके पर मेजबानी करने वाला देश अगले मेजबान देश को औपचारिक रूप से गैवल सौंपता है। इस समारोह के दौरान दोनों देशों के नेता आमने-सामने मौजूद रहते हैं। चूंकि राष्ट्रपति ट्रंप ने सम्मेलन का बहिष्कार किया था लेकिन बाद में उन्होंने एक राजदूत को भेजने की बात कही थी। अमेरिका ने उसके अधिकारी को गैवल न सौंपने पर नाराजगी जताई है। इस मुद्दे पर दक्षिण अफ्रीकी विदेश विभाग का कहना है कि यह कोई राजनयिक विवाद नहीं है। बल्कि सम्मान का सवाल है। किसी जूनियर अधिकारी को इसे नहीं सौंपा जा सकता था।

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वैश्विक व्यवस्था की बदलती तस्वीर दिखी
अमेरिकी अड़चन से इतर यह सम्मेलन कई पहलुओं पर अपनाए गए दृष्टिकोण की वजह से न केवल प्रतीकात्मक स्तर पर महत्वपूर्ण साबित हुआ बल्कि वैश्विक व्यवस्था में बदली तस्वीर भी दिखी। सिरिल रामाफोसा ने एकजुटता दिखाते हुए संदेश दिया कि अमेरिका की गैरमौजूदगी जी-20 की दिशा-दिशा और उद्देश्य को रोक नहीं सकती। इससे पता चलता है कि जी-10 अब एक बहुध्रुवीय, समावेशी और जिम्मेदार मंच के तौर पर आगे बढ़ रहा है और अब विकासशील राष्ट्र भी वैश्विक एजेंडा तय करने की स्थिति में हैं। भारत ने अपनी अध्यक्षता के दौरान वैश्विक दक्षिण के विकास को मजबूत समर्थन की जो पहल शुरू की थी, वो भी इस सम्मेलन में ज्यादा मुखर होती दिखी।

बहुपक्षीय विकास बैंकों में प्रतिनिधित्व बढ़ाने की मांग
जी-20 देशों ने वर्ल्ड बैंक और आईएमएफ जैसे बहुपक्षीय विकास बैंकों और दूसरे अंतरराष्ट्रीय आर्थिक और वित्तीय संस्थानों में फैसले लेने में विकासशील देशों का प्रतिनिधित्व और आवाज बढ़ाने की जरूरत पर जोर दिया। सम्मेलन में इस बात को रेखांकित किया गया कि गरीबी कम करने और आर्थिक विकास को आगे बढ़ाने में बहुपक्षीय विकास बैंकों की अहम भूमिका होती है।

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जलवायु कार्रवाई से लेकर कर्ज राहत तक विकास के लिए जरूरी मुद्दों पर की चर्चा
जोहानिसबर्ग में दो दिन चले जी-20 सम्मेलन में सदस्य देशों ने वैश्विक दक्षिण के विकास के लिए जरूरी मुद्दों पर गहराई से मंथन किया। इसमें जलवायु कार्रवाई को मौजूदा समय की एक बड़ी जरूरत बताया गया। वहीं, कर्ज के बोझ से राहत के उपायों पर भी चर्चा की गई।
  • वैश्विक दक्षिण देशों ने खुद को आर्थिक साझेदार के तौर पर पेश करने की कोशिश की, जिनके पास खनन, तकनीक और एआई में योगदान के लिए काफी कुछ है।
  • वैश्विक असमानता की गहरी खाई को पाटने के लिए गरीब देशों की प्राथमिकताओं के लिहाज से समावेशी विकास के एजेंडे को आगे बढ़ाने के लिए सदस्य देशों ने दक्षिण अफ्रीकी नेतृत्व की सराहना की।
  • इथियोपिया के प्रधानमंत्री अबी अहमद ने कहा, कर्ज में राहत ऐसे निवेश में बदलनी चाहिए जो लोगों को फायदा पहुंचाए। इसके लिए मौजूदा समय में उचित अंतरराष्ट्रीय वित्तीय संस्थानों की जरूरत है।
  • जमैका के प्रधानमंत्री एंड्रयू माइकल होलनेस ने प्राकृतिक आपदाओं के खतरे को कम करने पर जोर दिया क्योंकि ऐसा कोई झटका वर्षों की वैश्विक संगठनों की तरक्की को एक झटके में खत्म कर सकता है।
  • जी-20 नेताओं ने वैश्विक न्यूनतम कर और अर्थव्यवस्था की डिजटलीकरण से जुड़ी कर चुनौतियों को दूर करने के लिए साथ काम करने का वादा किया है।
  • जी-20सम्मेलन के समापन की औपचारिकता पूरी करते समय दक्षिण अफ्रीकी राष्ट्रपति सिरिल रामफोसा ने अमेरिकी हरकतों के विरोध स्वरूप गैवल किसी अमेरिकी अधिकारी को सौंपने के बजाय मेज पर रख दिया।
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