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Iran: कट्टरपंथी नेता अहमदीनेजाद फिर राष्ट्रपति बनने की रेस में शामिल, अयातुल्लाह खुमैनी की बढ़ सकती है परेशानी

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, तेहरान Published by: नितिन गौतम Updated Sun, 02 Jun 2024 03:00 PM IST
सार

अहमदीनेजाद ने 28 जून को होने वाले राष्ट्रपति चुनाव के लिए रविवार को नामांकन किया। इब्राहिम रईसी की हेलीकॉप्टर हादसे में मौत के बाद ईरान में राष्ट्रपति चुनाव हो रहे हैं।

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hard liner mahmoud ahmadinejad file for iran president election concern Ayatollah Ali Khamenei
ईरान के पूर्व राष्ट्रपति अहमदीनेजाद - फोटो : पीटीआई
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विस्तार
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ईरान के कट्टरपंथी पूर्व राष्ट्रपति महमूद अहमदीनेजाद एक बार फिर राष्ट्रपति पद की रेस में शामिल हो गए हैं। दरअसल अहमदीनेजाद ने 28 जून को होने वाले राष्ट्रपति चुनाव के लिए रविवार को नामांकन किया। इब्राहिम रईसी की हेलीकॉप्टर हादसे में मौत के बाद ईरान में राष्ट्रपति चुनाव हो रहे हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, ईरान में राष्ट्रपति पद की रेस में करीब 20 नाम हैं और अहमदीनेजाद सबसे चर्चित नाम हैं। अहमदीनेजाद साल 2005 में ईरान के राष्ट्रपति चुने गए थे और लगातार दो कार्यकाल तक यानी साल 2013 तक ईरान के राष्ट्रपति रहे। 
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सुप्रीम लीडर अयातुल्लाह खुमैनी पर बढ़ा दबाव
महमूद अहमदीनेजाद के नामांकन के बाद ईरान के राष्ट्रपति का चुनाव रोचक हो गया है। अहमदीनेजाद ईरान के लोकप्रिय नेताओं में से एक हैं। खास बात ये है कि अहमदीनेजाद के नामांकन से ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्लाह अल खुमैनी पर दबाव बढ़ गया है। ईरान का राष्ट्रपति रहने के दौरान अहमदिनेजाद ने अयातुल्लाह अल खुमैनी को चुनौती दी थी, जिसके चलते साल 2021 में अहमदीनेजाद को राष्ट्रपति चुनाव लड़ने से प्रतिबंधित कर दिया गया था। ईरान संवैधानिक निगरानी संस्था, गार्जियन काउंसिल ने उन्हें अयोग्य घोषित कर दिया था। अहमदीनेजाद को अमेरिका का कट्टर विरोधी माना जाता है। अहमदीनेजाद इस्राइल के भी घोर विरोधी माने जाते हैं और वह इस्राइल को दुनिया के नक्शे से मिटाने की बात कह चुके हैं। 
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ईरान का पश्चिमी देशों से लगातार बढ़ रहा तनाव
अहमदीनेजाद अगर ईरान की सत्ता में वापस आते हैं तो कट्टरपंथी नेता की यह वापसी ऐसे समय होगी, जब ईरान और पश्चिमी देशों के बीच तनाव चरम पर है। ईरान लगातार अपने परमाणु कार्यक्रम को बढ़ा रहा है। साथ ही ईरान इस्राइल के खिलाफ भी आक्रामक रुख अपनाए हुए है। इस्राइल हमास युद्ध के चलते ईरान समर्थित हूती विद्रोही लगातार अंतरराष्ट्रीय शिपिंग रूट से गुजरने वाले व्यापारिक जहाजों पर हमले कर रहे हैं, जिसका असर पूरी दुनिया पर पड़ रहा है। 
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