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UN: 'गाजा में मानवीय मदद देने में राजनीति और संघर्ष आड़े नहीं आने चाहिए', यूएन में बोले भारत के राजदूत
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, न्यूयॉर्क
Published by: नितिन गौतम
Updated Wed, 30 Jul 2025 07:45 AM IST
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सार
भारतीय राजदूत ने कहा कि 'भारत का गाजा युद्ध पर स्पष्ट रुख है कि तुरंत युद्धविराम होना चाहिए, लोगों को बिना किसी परेशानी और अड़चन के मानवीय सहायता मिलनी चाहिए, सभी बंधकों की रिहाई हो और बातचीत और कूटनीति से समाधान निकले।'

संयुक्त राष्ट्र में बोलते भारत के स्थायी प्रतिनिधि पी. हरीश
- फोटो : पीटीआई
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विस्तार
संयुक्त राष्ट्र में फलस्तीन में शांति स्थापना और द्वि-राष्ट्र समाधान के मुद्दे पर अहम बैठक हुई। इस बैठक में संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि पी. हरीश ने कहा कि सबसे पहले गाजा में मानवीय सहायता पहुंचनी सबसे जरूरी है। उन्होंने कहा कि राजनीति और संघर्ष मानवीय मदद के आड़े नहीं आने चाहिए। पी. हरीश ने द्वि राष्ट्र समाधान को लेकर कहा कि इस मुद्दे पर दोनों देशों को सीधे बातचीत करनी चाहिए।
'दोनों पक्षों को सीधी बातचीत के लिए तैयार किया जाए'
संयुक्त राष्ट्र में अपने संबोधन में पी. हरीश ने कहा कि 'अब हमारे प्रयास इस बात पर केंद्रित होने चाहिए कि संवाद और कूटनीति के जरिए द्वि-राज्य समाधान कैसे लाया जाए, और दोनों पक्षों को एक-दूसरे के साथ सीधे बातचीत करने के लिए कैसे मनाया जाए। मानवीय सहायता के मुद्दे पर तुरंत ध्यान देने की जरूरत है। गाजा में लंबे समय से लोग परेशान हैं। हजारों लोग मारे गए हैं और कई घायल हुए हैं। कई अस्पताल या नष्ट हो गए हैं या फिर बाधित हैं। गाजा में बच्चे 20 महीनों से स्कूल नहीं जा पा रहे हैं।'
'मानवीय मदद बिना किसी अड़चन के जारी रहे'
भारतीय राजदूत ने आगे कहा 'गाजा में मानवीय सहायता बिना किसी अड़चन के जारी रहनी चाहिए। गाजा में लोगों को भोजन, ईंधन और अन्य बुनियादी जरूरतों तक आसान पहुंच होनी चाहिए। जीवन को बनाए रखने के लिए ये बेहद जरूरी है और इसे राजनीति और संघर्ष के दायरे से बाहर रखना चाहिए।' उन्होंने कहा कि 'भारत का गाजा युद्ध पर स्पष्ट रुख है कि तुरंत युद्धविराम होना चाहिए, लोगों को बिना किसी परेशानी और अड़चन के मानवीय सहायता मिलनी चाहिए, सभी बंधकों की रिहाई हो और बातचीत और कूटनीति से समाधान निकले। इनके अलावा और अन्य कोई विकल्प नहीं है।'
ये भी पढ़ें- India-US: ट्रंप की समय सीमा में दो दिन बाकी, बड़े निवेश-हथियारों की खरीद पर सहमति से भारत निकाल सकता है रास्ता
'मध्य पूर्व में शांति देखना चाहता है भारत'
भारतीय राजदूत ने कहा कि भारत, मध्य पूर्व में शांति और स्थिरता देखना चाहता है और इसके लिए स्थायी समाधान ही जरूरी है। हम केवल कागजी समाधान से संतुष्ट न हों बल्कि व्यवहारिक समाधान हासिल करने की कोशिश करें, जो असल में हमारे फलस्तीनी भाई-बहनों की जिंदगी में कुछ ठोस बदलाव लेकर आएंगे। भारत इस नेक काम में मदद के लिए पूरी तरह से तत्पर और तैयार है।

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'दोनों पक्षों को सीधी बातचीत के लिए तैयार किया जाए'
संयुक्त राष्ट्र में अपने संबोधन में पी. हरीश ने कहा कि 'अब हमारे प्रयास इस बात पर केंद्रित होने चाहिए कि संवाद और कूटनीति के जरिए द्वि-राज्य समाधान कैसे लाया जाए, और दोनों पक्षों को एक-दूसरे के साथ सीधे बातचीत करने के लिए कैसे मनाया जाए। मानवीय सहायता के मुद्दे पर तुरंत ध्यान देने की जरूरत है। गाजा में लंबे समय से लोग परेशान हैं। हजारों लोग मारे गए हैं और कई घायल हुए हैं। कई अस्पताल या नष्ट हो गए हैं या फिर बाधित हैं। गाजा में बच्चे 20 महीनों से स्कूल नहीं जा पा रहे हैं।'
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#WATCH | New York | At the United Nations High-Level International Conference on "The Peaceful Settlement of the Question of Palestine and the Implementation of The Two-State Solution", India's Permanent Representative to the United Nations, Ambassador Harish P. says, "...Our… pic.twitter.com/vweX5UIJMe
— ANI (@ANI) July 30, 2025
'मानवीय मदद बिना किसी अड़चन के जारी रहे'
भारतीय राजदूत ने आगे कहा 'गाजा में मानवीय सहायता बिना किसी अड़चन के जारी रहनी चाहिए। गाजा में लोगों को भोजन, ईंधन और अन्य बुनियादी जरूरतों तक आसान पहुंच होनी चाहिए। जीवन को बनाए रखने के लिए ये बेहद जरूरी है और इसे राजनीति और संघर्ष के दायरे से बाहर रखना चाहिए।' उन्होंने कहा कि 'भारत का गाजा युद्ध पर स्पष्ट रुख है कि तुरंत युद्धविराम होना चाहिए, लोगों को बिना किसी परेशानी और अड़चन के मानवीय सहायता मिलनी चाहिए, सभी बंधकों की रिहाई हो और बातचीत और कूटनीति से समाधान निकले। इनके अलावा और अन्य कोई विकल्प नहीं है।'
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'मध्य पूर्व में शांति देखना चाहता है भारत'
भारतीय राजदूत ने कहा कि भारत, मध्य पूर्व में शांति और स्थिरता देखना चाहता है और इसके लिए स्थायी समाधान ही जरूरी है। हम केवल कागजी समाधान से संतुष्ट न हों बल्कि व्यवहारिक समाधान हासिल करने की कोशिश करें, जो असल में हमारे फलस्तीनी भाई-बहनों की जिंदगी में कुछ ठोस बदलाव लेकर आएंगे। भारत इस नेक काम में मदद के लिए पूरी तरह से तत्पर और तैयार है।
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