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IAEA: ईरान पर भारी पड़ी पश्चिमी देशों की लॉबिंग, पीछे खींचे कदम; परमाणु स्थलों पर हमलों की रोक का मसौदा टला

वर्ल्ड डेस्क, अमर उजाला, वियना Published by: शुभम कुमार Updated Fri, 19 Sep 2025 05:13 AM IST
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सार

अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी के वियना सम्मेलन में ईरान ने परमाणु संयंत्रों पर हमले रोकने वाला प्रस्ताव अचानक वापस ले लिया। चीन-रूस के समर्थन के बावजूद अमेरिका के दबाव और फंडिंग में कटौती की चेतावनी के चलते यह कदम उठाया गया। यह फैसला ऐसे वक्त हुआ जब ईरान पर फिर से यूएन प्रतिबंध लगाने की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है।

Iran withdraws resolution banning attacks on nuclear sites following US pressure News In Hindi
ईरान फ्लैग - फोटो : Freepik
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ईरान ने वियना में चल रहे अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (आईएईए) के वार्षिक सम्मेलन में उस प्रस्ताव को अचानक से वापस ले लिया जिसमें परमाणु संयंत्रों पर हमले रोकने की मांग की गई थी। चीन, रूस और कई सहयोगी देशों के समर्थन के बावजूद ईरान को यह कदम अमेरिका और पश्चिमी देशों के दबाव के चलते उठाना पड़ा। यह फैसला ऐसे समय में आया है जब ईरान पर फिर से संयुक्त राष्ट्र के प्रतिबंध लगाए जाने की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है।

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इस मामले में पश्चिमी राजनयिकों की माने तो अमेरिका ने पर्दे के पीछे से ईरान के इस प्रस्ताव पर कड़ा विरोध दर्ज कराया और प्रस्ताव पास होने की स्थिति में आईएईए की फंडिंग में कटौती की चेतावनी दी थी। अमेरिका को डर था कि अगर प्रस्ताव पास हुआ, तो इससे इस्राइल की स्थिति कमजोर हो सकती है, जो ईरान के परमाणु कार्यक्रम को लेकर लगातार हमले करता रहा है।

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प्रस्ताव में ईरान पर हमले की निंदा
बता दें कि प्रस्ताव के मसौदे में जून 2025 में ईरान की परमाणु साइटों पर हुए हमलों की कड़ी निंदा की गई थी और इसे अंतरराष्ट्रीय कानून का स्पष्ट उल्लंघन बताया गया था। ईरान ने कहा था कि उसकी परमाणु गतिविधियां शांतिपूर्ण हैं, लेकिन इस्राइल और अमेरिका को शक है कि ईरान परमाणु हथियार विकसित करना चाहता है। आईएईए में ईरान के राजदूत रजा नजाफी ने कहा कि कुछ सदस्य देशों के अनुरोध पर और सद्भावना के साथ, हमने इस प्रस्ताव पर कार्रवाई अगली बैठक तक स्थगित करने का निर्णय लिया है। उन्होंने यह भी कहा कि प्रस्ताव का उद्देश्य किसी में विभाजन पैदा करना नहीं, बल्कि एक स्पष्ट और एकजुट संदेश देना था।

अमेरिका ने भी दिया करारा जवाब
वहीं ईरान के इस प्रस्ताव पर अमेरिका ने भी जबरदस्त पलटवार किया। अमेरिका के प्रतिनिधि हॉवर्ड सोलोमन ने कहा कि यह प्रस्ताव गलत जानकारी पर आधारित था, जिसमें अंतरराष्ट्रीय कानून और आईएईए दस्तावेजों को गलत तरीके से पेश किया गया। उन्होंने दावा किया कि अगर प्रस्ताव पर वोट होता, तो यह ज्यादातर देशों द्वारा खारिज कर दिया जाता।

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ईरान पर प्रतिबंध लागू करने की प्रक्रिया फिर शुरू
गौरतलब है कि यह पूरा घटनाक्रम ऐसे समय में हुआ है जब फ्रांस, जर्मनी और ब्रिटेन ने ईरान के खिलाफ संयुक्त राष्ट्र प्रतिबंधों को दोबारा लागू करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। यह 2015 के परमाणु समझौते का हिस्सा थी, जिसमें स्नैपबैक व्यवस्था के तहत ईरान की अवहेलना पर एक महीने के भीतर प्रतिबंध फिर से लागू किए जा सकते हैं। ऐसे में अगर ईरान इस दौरान अमेरिका के साथ बातचीत शुरू नहीं करता, आईएईए निरीक्षकों को परमाणु साइटों तक पहुंच नहीं देता और 400 किलो से अधिक उच्च स्तर पर संवर्धित यूरेनियम का हिसाब नहीं देता, तो यह प्रतिबंध लागू हो सकते हैं।

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