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Kafala: बदलाव को सख्ती से लागू करने की जरूरत, भारत-पाकिस्तान समेत कई देशों के लाखों मजदूर होंगे लाभान्वित

अमर उजाला नेटवर्क Published by: लव गौर Updated Sat, 25 Oct 2025 06:27 AM IST
सार

कफाला सिस्टम सऊदी अरब और अन्य खाड़ी देशों में 1950 के दशक से लागू था।जिसे खत्म करते हुए बड़ा फैसला किया है। इससे 25 लाख भारतीयों समेत 1.3 करोड़ विदेशी श्रमिकों को बड़ी राहत मिलेगी।

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Kafala System needs to be strictly implemented millions of workers from many countries will benefit
सऊदी अरब में कफाला सिस्टम खत्म - फोटो : अमर उजाला प्रिंट
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सऊदी अरब में आधुनिक गुलामी की प्रथा कफाला समाप्त होने से भारत, पाकिस्तान, बांग्लादेश, फिलीपींस और नेपाल सहित अन्य देशों के लाखों मजदूरों के जीवन और अधिकारों में बड़ा बदलाव आने की उम्मीद है।
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हालांकि, बदलाव का लाभ केवल उनको मिलेगा, जो मिनिस्ट्री ऑफ ह्यूमन रिसोर्सेज एंड सोशल डेवलपमेंट के ई-प्लेटफॉर्म पर रजिस्टर्ड हैं और जिनके पास डिजिटल वर्क कॉन्ट्रैक्ट मौजूद है। अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन ने सऊदी अरब के निर्णय को ऐतिहासिक बताया है, लेकिन चेतावनी भी दी कि नीति परिवर्तन तभी प्रभावी होगा जब इसे जमीनी स्तर पर सख्ती से लागू किया जाए। मानवाधिकार समूह ह्यूमन राइट्स वॉच का कहना है कि यह पहल सराहनीय है, पर कई निजी कंपनियां अब भी पुरानी मानसिकता से काम कराने का प्रयास करेंगी।
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सुरक्षा के लिए निरीक्षण तंत्र की मजबूती जरूरी
निरीक्षण तंत्र को मजबूत किए बिना प्रवासी मजदूरों को पूरी सुरक्षा नहीं मिलेगी। कफाला सिस्टम सऊदी अरब और अन्य खाड़ी देशों में 1950 के दशक से लागू था। इसके तहत किसी विदेशी मजदूर को नौकरी पाने और देश में रहने के लिए किसी स्थानीय स्पॉन्सर (कफील) की अनुमति लेनी पड़ती थी। यह कफील ही मजदूर का पासपोर्ट, रेजिडेंसी परमिट और नौकरी बदलने की अनुमति नियंत्रित करता था। इस व्यवस्था के कारण मजदूर अपने नियोक्ता की मर्जी के बिना न तो नौकरी छोड़ सकते थे न ही देश से बाहर जा सकते थे जिससे लाखों प्रवासी शोषण, वेतन-रोध और दुर्व्यवहार का शिकार होते रहे।

कुवैत और ओमान से भी आगे बढ़ाने की उम्मीद
सऊदी मीडिया के अनुसार कतर ने 2020 में और बहरीन ने 2022 में इसी तरह का सुधार लागू किया था। अब सऊदी अरब के कदम से उम्मीद है कि कुवैत और ओमान जैसे देश भी समान दिशा में आगे बढ़ेंगे। खाड़ी देशों में 3 करोड़ से अधिक प्रवासी कामगार हैं, जिनमें दक्षिण एशियाई मजदूरों की हिस्सेदारी 60 प्रतिशत से अधिक है।

कफाला सिस्टम का अंत सऊदी अरब में विदेशी मजदूरों के अधिकारों के लिए एक ऐतिहासिक मोड़ है। यह कदम जहां वैश्विक मानवाधिकार मानकों की दिशा में सऊदी की प्रतिबद्धता दिखाता है, इससे क्षेत्र के श्रम बाजार में प्रतिस्पर्धा और पारदर्शिता भी बढ़ेगी। हालांकि, वास्तविक परिवर्तन तभी संभव होगा जब स्थानीय नियोक्ता और प्रशासन दोनों इस सुधार को ईमानदारी से लागू करें।
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